भोपाल। नाईजीरिया से आने वाले युवाओं के एक वर्ग को उनके देश में ही इंटरनेट बैंकिंग, एसएमएस या मेल आईडी से ठगी करने के तरीके के बारे में बकायदा प्रशिक्षण देकर भारत भेजा जा रहा है।
नाईजीरिया में ठगी करने वाले लोगों का एक संगठन बनाया गया है, जो इन्हें प्रशिक्षण देता है। यह संगठन भारत में भी इन ठगों को एक सूत्र में बांधे रखने का कार्य कर रहा है। दिल्ली के जनकपुरी इलाके में इनकी पूरी गैंग रहती है।
भारत और विदेश की कई नामी कंपनियों के फर्जी लोगो, लेटरहेड का इस्तेमाल लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए करते थे। यह खुलासा साइबर पुलिस के हत्थे चढ़े नाइजीरियन ठगों से पूछताछ में हुआ है। साइबर पुलिस विभिन्न प्रांतों के एक दर्जन से अधिक लोगों का पता लगा चुकी है जो इनकी ठगी का शिकार हो चुके हैं।
तीन हजार लोगों का डाटा
डीएसपी सुनील राजौरे के अनुसार आरोपियों के पास से जप्त लेपटॉप और पेन-ड्राइव से करीब तीन हजार व्यक्तियों के मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी बरामद हुई है। पुलिस इन सभी लोगों को ई-मेल और मैसेज कर जानकारी प्राप्त कर रही है। इसके अलावा अभी तक की विवेचना में महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक के करीब एक दर्जन लोगों का पता चला है, जिनके साथ इन लोगों ने ठगी की है। ठगे गए व्यक्ति पहले ही अपने क्षेत्र की पुलिस से शिकायत कर चुके हैं। अब संबंधित प्रदेश की पुलिस भी इन आरोपियों को रिमांड पर ले सकती है।
दो की शिनाख्त, होगा बड़ा खुलासा
एआईजी साइबर क्राइम एसएस गौर ने बताया कि दो और नाईजीरियन ठगों की शिनाख्त कर ली गई हैं, जिन्हें गिरफ्तार करने जल्द ही एक टीम दिल्ली जाएगी। इसके अलावा आरोपियों को फर्जी दस्तावेज और दूसरे के दस्तावेज के आधार पर सिम कार्ड उपलब्ध कराने वाले गिरोह का पता लगाया जा रहा है। इसके अलावा उन व्यक्तियों की तलाश भी की जा रही है जो इन्हें भारतीय बैंकों के खाता नंबर उपलब्ध कराते थे। उन्होंने बताया कि आरोपियों की रिमांड खत्म होने पर न्यायालय से और रिमांड की मांग की जाएगी। उन्होंने बताया कि आरोपी यूके बेस्ड सर्वर का उपयोग कर मैसेज और ई-मेल करते थे। इसके अलावा सॉफ्टवेयर के माध्यम से इंडियन मोबाइल कॉल को भी यूके के मोबाइल नंबर का बनाकर लोगों को अपने झांसे में लेते थे।
पांच लाख का टारगेट
पूछताछ में यह भी सामने आया है कि गिरोह एक व्यक्ति से पांच लाख रुपए की ठगी का टारगेट लेकर चलते थे। पैसे एंठने के लिए हर वह हथकंडा अपनाते थे, जिससे पैसे निकाले जा सकें। ज्ञात हो कि आरोपियों के पास से विभिन्न कंपनियों की 65 से अधिक सिम, 3 लेपटॉप, 5 पेन-ड्राइव, तीन डाटा कार्ड पुलिस ने बरामद किया था।
जरूरी था प्रशिक्षण
पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया है कि उन्हें नाईजीरिया में ही विशेष प्रशिक्षण दिया जाता था, जिसमें इंटरनेट बैंकिंग के जरिए दूसरे के खाते से पैसे ट्रांसफर करने, एसएमएस या मेल आईडी के जरिए लॉटरी का झांसा देने, जाल में फंसने के बाद व्यक्ति से पैसे ऐंठने, भारतीय लोगों से मेलजोल बढ़ाने, पुलिस और खुफिया एजेंसियों से दूर रहने, पकड़े जाने के बाद पुलिस व खुफिया एजेंसियों की चंगुल से बचने के तरीके सहित कई अन्य बातें उन्हें सिखाई जाती थीं। प्रशिक्षण के बाद ही उन्हें संगठन सुविधाएं मुहैया उपलब्ध कराता है।
फर्जी आईडी से ई-मेल
एआईजी के अनुसार देश-विदेश की कई नामी कंपनियों के फर्जी आईडी बनाकर उनके लोगो और लेटर हेड का इस्तेमाल कर लोगों को ई-मेल करते थे। उनका इरादा लोगों के मन में विश्वास पैदा करना था, जिसके लिए वे नामी कंपनियों के नाम का सहारा ले रहे थे। उन्होंने बताया कि ऐसी तीन दर्जन से अधिक कंपनियों के नामों का गलत उपयोग कर लोगों को ठगी का शिकार बनाया है।
बैंक खाते के पांच हजार
दो नाईजीरियन ठगों के साथ गिरफ्तार भारतीय आरोपी आशीष जॉन्सन ने पुलिस को बताया है कि मेरी मुलाकात एक थिएटर में इन दोनों से हुई थी। आरोपियों ने बताया था कि मेरा पैसा कहीं से आने वाला है, मेरे पास बैंक अकाउंट नहीं है। आप अकाउंट उपलब्ध करा दें, मैं आपको पांच हजार रुपए दूंगा। आशीष ने इनके बहकावे में आकर अपना एकाउंट उपलब्ध करा दिया। इसके बाद उसे यह बिना मेहनत की कमाई लगने लगी।
बरतें सावधानी
जो व्यक्ति मैसेज और ईमेल के जरिए ठगी का शिकार हुए हों या जिनके पास मेल और मैसेज लॉटरी जीतने या ईनाम पाने से संबंधित आए हैं। उन सभी को रिप्लाई न करें और सीधे साइबर थाने में संपर्क करें। यदि साइबर थाने में संपर्क नहीं कर सकते तो अपने क्षेत्र के संबंधित थाने में जरूर शिकायत करें। ईनाम के लालच में अपना डाटा, मोबाइल नंबर, बैंक खाता नंबर किसी भी अपरचित को न दें।