भोपाल। कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया ने कहा कि केंद्र सरकार, भारतीय जैव प्रौद्योगिकी नियामकीय प्राधिकरण एवं कृषि जैव सुरक्षा अधिनियम के जरिए जीएमओ फसलों को भारत में लाने की कोशिश में है जिससे भारत एक बार फिर यूरोपीय देशों का गुलाम बन जाएगा।
उन्होंने दावा किया कि इन फसलों के उपयोग से न केवल हमारे देश की जैव विविधता खतरे में आ जाएगी बल्कि आने वाली पीढ़ी नपुंसक हो जाएगी। इस बिल का विरोध करते हुए उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्षों को पत्र लिखकर इस बिल की मुखालफत करने का अनुरोध किया है। कुसमारिया बुधवार को अपने सरकारी बंगले पर पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे।
एक ओर तो फ्रांस, जर्मनी आस्ट्रिया पेरू तथा स्पेन जैसे देशों ने अपने देशों में जीएम फसलों को प्रतिबंधित कर रखा है और हंगरी ने तो 1,000 एकड़ में खड़ी मक्के की जीएमओ फसल को पूरी तरह नष्ट कर दिया है, वहीं भारत सरकार इन फसलों की भारत में खेती कराने पर अमादा है।
अमेरिका तथा यूरोपीय देशों पर जीएम फसलों के माध्यम से भारत को फिर से गुलाम बनाने का षडयंत्र रचने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि खेती हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और जो राष्ट्र हमारी खेती के संसाधनों पर कब्जा कर लेगा वह इस देश की 64 प्रतिशत आबादी को अपने हिसाब से नियंत्रित कर सकेगा।
उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोप के देश, मोनसेन्टों तथा कारगिल जैसी कंपनियों के माध्यम से हमारे किसानों की पंरपरागत बीज व्यवस्था, खेती के कालचक्र तथा परंपरागत उर्वरक व्यवस्था को बदलने में सफल हो गये हैं। आज बी.टी काटन जैसी फसलों के लिये किसान बहुराष्ट्रीय कंपनियों से बीज व दवाईयां खरीदने को मजबूर हैं।