मंदसौर- (उमेश नेक्स) ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि देश में न जाने कितने राजनितिक दल है और ना जाने कितने संगठन, सबके अपने अपने महा पुरुष है तो सबके अपने अपने शहीद...! नेताओं और आकाओं के जन्मदिन मनाने वालो को शहीदों से क्या वास्ता...? आज इस देश में ऐसे कई शहीद है जिन्हें देश के नेताओं और जनता ने भुला दिया है ऐसे ही एक अमर शहीद का नाम है शहीद उधमसिंह...
ये वो अमर शहीद है जो जलियावाला बाग़ हत्या काण्ड के वक्त मात्र 14 वर्ष का था और जो अनाथ था मगर देश भक्ति के जज्बे के चलते ये छोटी उम्र से ही आजादी के आन्दोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेता था और जो जलियांवाला बाग़ हत्या काण्ड में मारे गये अपने निर्दोष देशभक्त भाई बहनों की मोत का बदला लेने के लिए 21 वर्षो बाद किसी तरह लन्दन पहुँच था और वहाँ जाकर उसने जलियावाला बाग़ हत्या काण्ड के आरोपी जनरल डायर को लंदन असेम्बली की भरी सभा के बीच में पहुँच कर गोली मार कर मोत के घाट उतारा दिया था यही शहीद उधमसिंह ऐसा क्रांतिकारी था जीसको विदेश में फांसी पर लटकाया गया था और सजा से पहले जिससे जज ने प्रश्न किया था कि तुम्हे अपने बचाव में कुछ कहना है तो उधमसिंह ने कहाँ था कि हाँ मुझे राम मोहम्मद सिंह डिसूजा के नाम से पुकारा जाए...! फिर जज ने प्रश्न किया की तुम हिन्दू हो या मुस्लमान तो उनने कहा था कि नही मै हिन्दुस्तानी हु...!
ऐसे अमर शहीद को आज ही के दिन यानि 31 जुलाई 1940 को लंदन में फांसी पर लटकाया गया था जिनका आज 74 वां बलिदान दिवस था जिसको आज के ये कथित देश भक्त नेता भूल गये है...? शहीदों की चिताओं पर अपनी राजनीती की रोटियाँ सेक सेक कर कुर्सिया पाने वाले इन नेताओ को जरा भी शर्म नही कि हम उन देशभक्तो की याद में चन्द श्रद्धा के फुल भी चड़ा आये जिन शहीदों ने भारत माँ को विदेशियों से आजाद करवाने के लिए हंसते हंसते अपने शीश भारत माँ के चरणों में चड़ा दिए थे...! जो खुद अनाथ थे मगर भारत माँ के हर लाल को अपना भाई बहन समझते थे...!