धीरज चतुर्वेदी/छतरपुर। जनआर्शीवाद के लिए हाईटेक बस पर सवार मुख्यमंत्री को किस तरह जनता आर्शीवाद देगी जब प्रदेश में निरकुंश व्यवस्था के दर्शन हो रहे हो। चौकांने वाले आंकड़े विधानसभा पटल पर रखे गए कि 135 दिनो में समूचे प्रदेश में 8079 युवतियां लापता हुई वही 596 का अपहरण, 240 की हत्या, 170 के साथ गैंगरेप, 32 को जिन्दा जलाने की घटनाएं घटित हुई।
सबसे शर्मनाक यह कि इस दौरान 83 नाबालिग कन्याएं दुष्कर्म का शिकार हुई। बुंदेलखंड के छह जिलों में भी यही परिदृश्य सामने दिखा। यहां 206 बलात्कार की घटनाएं हुई जिसमें 29 गैंगरेप शामिल है। नारी उत्थान के ढिढोरां पीटने वाली भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को मध्यप्रदेश में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के मामले मुंह छिपाने लायक बनाते है।
बेटी बचाओ और महिला सशक्तिकरण जैसे अभियानों की हवा निकालते बलात्कार के आंकड़े है। वह भी जब प्रदेश के मुखिया स्वयं को लड़कियों का मामा कहलाना पंसद करते हो। दलीलों में इस सच को दबाया जा सकता है लेकिन असलियत यह भी है कि अपराधियो में भय खत्म हो चुका है और पुलिस सिस्टम पूरी तरह नाकाम हालत में है।
बुदेलखंड के छह जिलो छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, दतिया, दमोह, सागर और पन्ना जिलो में पिछली 1 फरवरी से 15 जून तक 206 महिलाओ के साथ बलात्कार की घटनाएं दर्ज की गई जिसमें 29 गैंगरेप भी शामिल है। हर वर्ग उत्थान की दुहाई देने वाली प्रदेश सरकार के लिए ओर क्या शर्मनाक पहलू होगा कि सबसे अधिक पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के साथ दुष्कृत्य की घटनाएं हुई।
आंकड़ों के अनुसार इन छह जिलों में 99 पिछड़ा वर्ग, 54 अनुसूचित जाति, 27 अनुसूचित जनजाति और 19 सामान्य वर्ग की महिलाएं-युवतियां दुष्कृत्य का शिकार बनीं। जिलेबार यह आंकड़े इस प्रकार है कि सागर में 70, छतरपुर में 36, दतिया में 15, टीकमगढ़ में 35, दमोह में 22 और पन्ना में 24 बलात्कार की घटनाएं पुलिस रोजनामचो में दर्ज हुई। दिल्ली में एक गैंगरेप होने पर भाजपा के जिम्मेदार नेता सरकार से स्तीफा मांगने के लिए सड़कों पर उतर जाते है। बुंदेलखंड डमें दो युवतियों ने दुष्कर्म की घटना के बाद आत्महत्या कर मौत को गले लगा लिया। यह दुखद घटनाये पन्ना और टीकमगढ़ जिले में घटित हुई।
प्रदेश में महिलाओं की असुरक्षा को और सरकार की नियत को दागदार करते युवतियों के गायब होने के मामले है।
बुंदेलखंड के छह जिलों में 135 दिनों यानि 1 फरवरी से 15 जून के बीच 797 युवतियां लापता हुई। जिसमें से 77 के अपहरण की पुष्टी हुई वहीं 26 की हत्या कर दी गई। इनमें से 382 पिछड़ा, 215 अनुसूचित जाति, 87 अनुसूचित जनजाति और 113 सामान्य बर्ग की महिलाएं है जिनके गायब होने की सूचना पर पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज किया है। सबसे अधिक सागर संभागीय जिले में 273 महिलाएं-युवतियां गायब हुई जबकि छतरपुर में 135, पन्ना में 89, दमोह में 137, टीकमगढ में 123 और दतिया में 40 मामले इस तरह के दर्ज हुये। सनद रहे कि बुंदेलखंड के छतरपुर, पन्ना, दमोह, सागर जिलो में युवतियो का अपहरण कर उन्हे जिस्मफरोशी के अड्डों पर बेचने वाला गिरोह कई समय से सक्रिय है। इस तरह के कई मामले प्रकाश में आए है। खासकर आदिवासी समाज की युवतियों को इस गंदे खेल में धकेल दिया जाता है।
समूचे प्रदेश की तरह बुदेलखंड में महिलाओं पर बढ़ते जा रहे अमानवीय अत्याचारों के मामलों में भाजपा नेता और पुलिस अधिकारियों की दलीले एक स्वर है। सरकार और पुलिस अमले का तर्क रहता है कि पुलिस रोजाना मचों में बिना किसी दवाब के अपराध दर्ज हो रहे है जो सरकार की कानूनी व्यवस्था की चौकसी का द्योतक है। पर तर्क यह भी नजायज नही है कि आखिर अपराध हो क्यों रहे है। क्या पुलिस का भय अपराधियों के मनोमस्तिष्क मे नही रह गया है। अपराध होने के बाद उसकी रिपोर्ट दर्ज करने से क्या जिम्मेदारियों की इतिश्री हो जाती है। सबसे गोण तथ्य है कि जब इतने अपराध दर्ज हो गये तो क्या महिलाये स्वयं महफुज समझ सकती है।