हरियाणा में लूट और चोरी की वारदातें कर रहा था एमपी के बदमाशों का गिरोह

भोपाल। मध्यप्रदेश के बदमाशों का एक गिरोह हरियाणा में चोरी और लूट की वारदातों को अंजाम दे रहा था। इतना ही नहीं, वो चोरी की वारदातों के लिए मासूम बच्चों का उपयोग करते थे और बच्चे भी कई अलग अलग शहरों के, जिन्हें नौकरी के नाम पर यह गिरोह अपने साथ ले आता था।

इस गिरोह और वारदातों का खुलासा शायद कभी ना होता, परंतु एक पुलिस मुखबिर की मुस्तैदी ने पूरे के पूरे गिरोह को सलाखों के पीछे भेज दिया। पुलिस इन्फार्मर को भी यह अंदेशा नहीं था कि गिरोह इतना शातिर है। उसने तो केवल न्यू ऋषि नगर इलाके में कुछ संदिग्ध लोगों की सूचना पुलिस को दी थी।

इस पर कार्रवाई करते हुए मौके पर पहुंची पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया। इनके पास से एक तलवार, लोहे का पाइप और डंडा बरामद हुआ। पूछताछ में पकड़े गए लोगों ने लूट की योजना बनाने की कबूल की। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि बदमाशों ने अपने नाम एमपी राजगढ़ के कादिया गांव का लक्ष्मण, बलदेव और नीतेश बताया।

आरोपियों ने पूछताछ में पीएनबी बैंक में हुई चोरी की वारदात का भी खुलासा किया। इसके बाद 1.86 लाख की नकदी चुराने वाले दोनों बच्चों को भी गिरफ्तार किया गया। बच्चों को बोस्टर्ल जेल और आब्जर्वेशन होम भेज दिया गया।

आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया, यहां से उन्हें सात दिन के रिमांड पर भेज दिया गया। इनसे चोरी की रकम बरामद करनी है। गैंग का एक सदस्य अपने हिस्से की रकम लेने के बाद से गायब है। पुलिस को उसकी तलाश है। यह गैंग तेल फेंकने, बैंक या भीड़ भाड़ वाले इलाके से लोगों की नकदी उड़ाने का काम करता था। पुलिस के लिए यह बड़ी सफलता है। मामले की पड़ताल के बाद कई और वारदातों का खुलासा हो सकता है।

बैंक खाता किया सील

पुलिस ने लक्ष्मण का बैंक खाता सील करा दिया है। पूछताछ में पीएनबी से चोरी रकम में से मिले 48 हजार रुपये बैंक में जमा कराने की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने बैंक में संपर्क किया। लक्ष्मण के पास से नकदी जमा कराई गई रसीद भी बरामद की है।

बच्चों से कराता था चोरी

पुलिस के अनुसार एमपी से आया यह गैंग बच्चों से चोरी कराता था। इसके लिए उन्हें खासतौर पर तैयार किया जाता है। गैंग बच्चे भी चुन कर लाता है। सीधे साधे बच्चे गैंग में शामिल नहीं किए जाते। होशियार और शरारती बच्चे ही यह गैंग अपने साथ लेते थे। ये सभी एक ही गांव के हैं। गांव से ही बच्चों को छांट कर अपने साथ दूसरे शहर में काम की बात कहकर लाते थे।

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