देहरादून/अंकित चौधरी। ‘हिम्मते मर्दा तो मददे खुदा ...’ खुदा भी उन्हीं की मदद करते हैं जो हिम्मत करते हैं। जी हां! उत्तराखंड में आई आपदा में फंसे लोगों को जब सरकारी मदद नहीं मिली तो कई तमाम परेशानियों को झेलते हुए अपने को बचाकर सुरक्षित लौट रहे हैं।
आंसुओं से भरी आंखें, सिसकती आवाज में ग्वालियर, एमपी निवासी सोनाली वत्स बोली हम गंगोत्री मार्ग पर फंस गए थे। सरकार और सेना से मदद नहीं मिलने पर बच्चों को गोद में लिए पहाड़ के कठिन रास्तों को पार करते खुद और बच्चों का जीवन बचाया।
न खाने को कुछ है न पीने के लिए पानी
शुक्रवार को दून पहुंची सोनाली वत्स ने बताया कि खुद को बचाए रखने के लिए रास्तों में फंसे हजारों लोग संसाधनों के बगैर जंग लड़ रहे हैं। न खाने को है न पीने के लिए पानी। रास्तों में फंसे उन हजारों लोगों को जल्दी निकालकर नहीं लाया गया तो भूख-प्यास के चलते वे खत्म हो जाएंगे।
सोनाली पति अनुराग वत्स, दो बेटे ऋषि और पर्व के संग गंगोत्री से लौट रही थी। तभी रविवार से उफनाई गंगोत्री पूरे मार्ग को तबाह कर ले गई। गाड़ियां मलबे में तीन-तीन फिट धंसी हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास घटना के वक्त पर्याप्त पैसे थे, इसलिए वह रविवार से मंगलवार तक एक होटल में ठहरे।
एक बोतल पानी सौ रुपये
जिनके पास पैसे नहीं उनकी जिंदगी आखिरी पलों तक पहुंच चली है। उन्होंने कहा कि आपदा के बाद सोमवार को कोई किराया नहीं लिए जाने की घोषणा के बावजूद होटल संचालकों ने मंगलवार और बुधवार तक का किराया उनसे वसूला। खाने के तिगुने पैसे चुकाए। एक बोतल पानी सौ रुपये में मिली।
सांसें चलती रहे इतना भर पानी बूंद-बूंद कर पिया। बुधवार को होटल संचालक ने जबरन उन्हें बाहर निकाल दिया। जिंदा बचने के लिए बच्चों को गोद में लिए मुरैना, ग्वालियर निवासी श्रद्धा तोमर, पत्नी राजकुमार तोमर उनकी बेटी नंदनी और बेटे युवराज संग पैदल ही पहाड़ों से हर्षिल की तरफ चल दिए। 15 घंटे में 29 किलोमीटर पैदल पहाड़ों में चलकर रात को हर्षिल हैलीपैड के पास पहुंचे। यहां सेना की तरफ से हल्का खाना मिला और गला गीला करने को पानी।
शुक्रवार दोपहर दोनों महिलाएं बच्चों संग हेलीकाप्टर से दून पहुंची। लेकिन दोनों के पति हर्षिल में फंसे हैं। उन्होंने बताया कि सहारा नहीं मिलने से सैकड़ों लोग पैदल ही हर्षिल की तरफ आ रहे हैं। भूखे-प्यासे सैकड़ों लोग हिम्मत टूटने से रास्तें में फंसे हैं। उनकी सिकुड़ती आंतें चलने को गवारा नहीं हैं। बस निगाहें किसी को बचाने के लिए ढूंढ रही हैं। इनके साथ कैथल, हरियाणा निवासी वृद्धा निर्मला देवी भी सुरक्षित पहुंची।
लोगों तक नहीं पहुंच रहा खाना
सेना और अन्य निजी हेलीकाप्टर से खाने के पैकेट गिराए तो जा रहे हैं लेकिन लोगों को नहीं मिल पा रहे हैं। शुक्रवार को यहां फंसे कुछ लोगों का दून हैलीपैड पर मौजूद परिजनों से संपर्क हुआ। उनका कहना था कि खाना लोगों से दूर गिर रहा है। पानी की बोतलें और बिस्कुटों के पैकेट गिरते ही फट जा रहें हैं। खाने को कुछ नहीं मिल पा रहा है।
