भोपाल। एमपी कैडर के आईएएस अफसरों की रंगरेलियां, बीवियों से तनाव और भ्रष्टाचार खुलासों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोत्तरी के बाद अब अफसरों की इज्जत बचाने के लिए, बजाए उनके आचरण में सुधार का उपक्रम करने के, आईएएस एसोसिएशन मीडिया को अपने हिसाब से ड्राइव करने की प्लानिंग कर रही है।
एसोसिएशन का मानना है कि कुछ अधिकारी मीडिया की सुर्खियां बन रहे हैं। जिन मामलों को लेकर उन्हें आरोपों के घेरे में लिया जा रहा है, उनमें पहले ही उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है।
सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों आईएएस अधिकारी निशांत वरवड़े और निकुंज श्रीवास्तव ने एसोसिएशन के समक्ष यह बात रखी थी कि शासन-प्रशासन में पदस्थ विरोधी खेमे के लोग मीडिया संपर्कों का उपयोग कर उनके बारे में अनावश्यक प्रचार कर रहे हैं।
वरवड़े को तो परिजनों के सामने सफाई तक देनी पड़ी। इसके अलावा एसोसिएशन के पास कुछ और अधिकारियों ने भी शिकायत दर्ज कराई थी। अफसर एसोसिएशन पर दबाव बना रहे हैं कि वह इसकी रोकथाम के लिए पहल करे।
इसी तरह के बेबुनियाद आरोप लगते रहे तो सीधी भर्ती के आईएएस अफसरों में निर्णय लेने की क्षमता नहीं रहेगी। इसके अतिरिक्त समकक्ष अफसरों में कटुता भी बढ़ेगी। इसलिए एसोसिएशन यह विचार कर रहा है कि यदि किसी आईएएस अफसर पर कोई आरोप लगता है या उसका नाम किसी घोटाले में लिया जाता है तो निर्दोष होने की सूरत में एसोसिएशन शासन से तत्काल क्लीन चिट की कागजी कार्रवाई को पूरी कराएगा। साथ ही उसे प्रचारित भी करेगा। इसके बाद यदि मीडिया में उस अधिकारी का नाम लिया जाता है तो इसे रोकने के लिए एसोसिएशन कानूनी प्रक्रिया का सहारा भी लेगा।
कुल मिलाकर आपसी खींचतान से परेशान आईएएस एसोसिएशन अपने अफसरों में तालमले या उन्हें अपने परिवारों में प्रेम व्यवहार बनाने की सीख देने के बजाए ऐसे मामलों को उजागर करने का माध्यम बनने वाली मीडिया पर कंट्रोल करने की प्लानिंग कर रही है। एसोसिएशन मीडिया को कानून का डर दिखाकर इस प्रक्रिया को अंजाम देने की योजना बना रही है।
॥इस बारे में विचार चल रहा है। एक-दो माह में बैठकर कर गाइड लाइन तय करेंगे ताकि, ऐसे मामलों में निर्दोष आईएएस अधिकारियों की मदद की जा सके। बेबुनियाद आरोपों से आईएएस अधिकारियों की सामाजिक प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही है, जिसका असर कार्यक्षमता पर पड़ता है।
अरुणा शर्मा
अध्यक्ष
आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन
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इस मामले में भोपालसमाचार.कॉम केवल एक खुला सवाल:— क्या आईएएस अफसर नाबालिग, विकलांग या इतने निरीह हैं कि कोई भी विरोधी उनकी छवि खराब करने के लिए मीडिया का उपयोग कर ले और वो अपनी बात मीडिया के बीच रख ही ना पांए। यदि नहीं तो संविधान ने एक नागरिक को जो भी अधिकार दिए हैं आईएएस अफसर भी उसी का पालन करें, किसी एसोसिएशन को 'काजी' बनाने की जरूरत क्या है ?