अनूपपुर(राजेश शुक्ला)। प्रदेश के मुख्यमंत्री एक ओर जहां प्रदेश के लोगों को 24 घंटे बिजली देने की योजना अटल ज्योति अभियान का शुभारंभ कर रहे हैं, परंतु जहां-जहां इस योजना का शुभारंभ कर रहे हैं, इनके जाने के बाद यह ज्योति और अधिक बुझने लगती है कारण लोग पहले 22 घंटे या घोषित कटौती के बाद बिजली मिल जाती थी, परंतु इस योजना के शुभारंभ के बाद अब इसका कोई समय निर्धारित नहीं है कि बिजली कितनी देर तक मिलेगी।
लोगों का मानना है कि अटल ज्योति अभियान शुभारंभ के पहले कम से कम एक निश्चित समय के बाद बिजली मिलती थी, किंतु इस योजना के प्रारंभ होते ही अब बिजली मिलने का कोई समय नहीं है। अघोषित कटौती कई घंटे बनी रहती है। प्रदेश के 40 जिलों में इस योजना का शुभारंभ को मुख्यमंत्री ने ढिंढ़ोरा पीट कर कर दिया है, किंतु इनके जाने के बाद 24 घंटे बिजली मिलने की घोषणा का हाल बुरा हो जाता है लोगों को 10 से 12 घंटे ही बिजली मिल रही है, तो फिर यह कैसी अटल ज्योति, जब सरकार 24 घंटे बिजली देने के नाम पर चुनावी वर्ष में लोगों के साथ छल कर रही है तो जनता भी चुनाव के समय इसका भुगतान तो करेगी ही।
जिले में जिस दिन से अटल ज्योति का शुभारंभ के नाम से 24 घंटे बिजली देने की योजना शुभारंभ हुई है उसी दिन से यहां पर अघोषित कटौती 8 से 10 घंटे जिला मुख्यालय में हो गई है। जब यह हाल जिला मुख्यालय का है तो ग्रामीण व अन्य छोटे शहरों का बुराहाल है।
शुभारंभ हुआ गलत
मुख्यमंत्री ने सबसे पहले अनूपपुर के साथ छल किया। इस योजना का शुभारंभ गलत ढ़ंग से होने के कारण यहां पर नजर सी लग गई है कि जिले के लोगों को 24 घंटे बिजली नसीब ना हो। इस योजना का शुभारंभ मुख्यमंत्री ने पडोसी जिले से कराया, जबकि अन्य जिलों में उसी जिले के मुख्यालय से हो रहा है। इससे बिजली में नजर लग गई और अनूपपुर के साथ-साथ उमरिया में भी अटल ज्योति का हाल बेहाल है। मुख्यमंत्री पहले इसकी नजर उतारे तो शायद लोगों को योजना का लाभ मिल सके अन्यथा ऐसा नहीं लगता कि जिले के लोगों को 24 घंटे बिजली नसीब होगी।
लचर विद्युत व्यवस्था
लगातार कई दिनों से रात-रात भर जिला मुख्यालय समेत संपूर्ण जिला बिजली की मार से प्रभावित है। लोग रातों की नींद भी ढंग़ से नहीं ले पा रहे हैं। जगह-जगह विद्युत तारे टूट रही है, तो कहीं ट्रांसफार्मर जल रहा है। इस समस्या से जिले के लोग जूझ रहे हैं। इस संबंध में जब विद्युत विभाग के अधिकारियों से पूछा जाता है तो वहां से वही रटारटाया जवाब मिलता है कि डीओ खराब हो गया हम बना रहे हैं, परंतु असलियत कुछ और है। जिले में विद्युत विभाग की अव्यवस्थाओं का मुख्य वजह है यहां पर पूरी तरह सामानों का ना होना, इनके नाम पर लाखों रूपये मंजूर हुआ, परंतु इसके बदले कोई सामान नहीं आया और अधिकारी नेता मिलकर मरम्मत व अन्य कार्यो के लिये आई राशि का आपस में ही बंदरबांट कर लिया।
प्री मानसून के नाम से उड़ाएं लाखों रूपये
प्री मानसून के पहले पेड़ों की छटाई के लिये लाखों का बजट आया, ङ्क्षकंतु जिले में विद्युत विभाग द्वारा एक भी पेड़ों की छटाई नहीं किया गया। इसे कोई भी देख सकता है। विभाग सभी जगह प्री मानसून के पहले विभाग को लाखों का बजट इसलिये देती है कि मानसून के समय लोगों को विद्युत की मार न झेलना पड़े, परंतु विभाग के अधिकारी इस राशि को अपनी राशि मानकर अपने ऐसो आराम में खर्च कर लेते हैं। इस राशि में ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारी शामिल रहते हैं, अगर इसकी सही ढ़ंग से जांच कराई जाये तो सच्चाई सामने आ जायेगी।
विद्युत आपूर्ति बंद की जानकारी लेने पहुंचे लोगों पर लादे झूठे मुकदमे- लगातार अघोषित विद्युत कटौती से पूरा जिला परेशान है। दो माह पूर्व इसी तरह विद्युत विभाग के लोगों ने नगर में तीन दिनों तक विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से नहीं देने पर नगरवासियों ने उनके कार्यालय पहुंचकर इसका कारण पूछा तो विभाग के अधिकारी नगरवासियों पर ही बरस पड़े और इन लोगों पर पुलिस में झूठी शिकायत दर्ज करा दी। और इसका समर्थन जिले के मुखिया ने भी किया है, जबकि लोग परेशान होकर कार्यालय में पहुंचकर अधिकारियों से जानकारी चाही थी और अब उन 28 लोगों पर पुलिस में मुकदमा दर्ज कर दिया है।
राजनैतिक अक्षमता
इसका कारण यह भी है कि नगर में राजनैतिक अक्षम होने के कारण यह हादसे होना वाजिब है। जब तक सत्तादल के लोग अपने जिले के विकास की बातें नहीं सोचेंगे तब तक इसका भला नहीं होगा। ये नेता अपनी नेतागिरी ठेकेदार बनने और भूमि दलाल बनकर अधिकारियों पर धौस जमाते हैं, परंतु नगर के विकास की सोच नहीं है। यहां पर राजनीतिज्ञ लोगों में इसकी कमी का खामियाजा नगर को उठाना पड रहा है।
सत्ता पक्ष से विपक्ष लें सीख- जिले को बने १० वर्ष होने को है, परंतु भाजपा के तथाकथित नेता नगर के विकास में एक ईंट भी नहीं रखी है। चाहे वो अपने आप को कितना बडा समझे परंतु जनता के सामने एक नकारा व्यक्ति है। बिजली की अघोषित कटौती से आमजन परेशान है, परंतु नेता जनता की इस परेशानी को उठाने के लिये सामने तक नहीं आए हैं और ना ही इसके लिये कोई ठोस पहल की है।
कांग्रेस राज्य में जनता थी प्रसन्न
इससे अच्छा तो लोगों की नजर में कांग्रेस का शासन मानते हैं जहां लोकप्रिय विधायक बिसाहूलाल सिंह का कार्यकाल लोगों के आंखों के सामने तैर जाता है कि उनके रहते क्षेत्र की जनता को किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा, बल्कि उन्हें बिन मांगे सब कुछ मिला। भाजपा के नेताओं को इनसे सीख लेनी चाहिए और कांग्रेसियों के कार्यो से सीखकर नगर के विकास में उनसे एक कदम आगे होना चाहिए। जनता अटल ज्योति के नाम से अपने आप को छला महसूस कर रही है कि इससे अच्छा तो दो घंटे की कटौती बाकी पूरा दिन आराम था।