भोपाल। सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी के सामने भूरिया पूरी तरह से बेपर्दा हो चुके हैं। हाईकमान को यह मालूम है कि भूरिया में कुछ भी ऐसा नहीं है जिसके भरोसे संगठन छोड़ा जाए और इसी निर्देश के साथ यहां नए प्रभारी को भेजा जा रहा है।
नईदिल्ली में ही मध्यप्रदेश के नए प्रभारी मोहनप्रकाश को स्पष्ट रूप से समझा दिया गया है कि प्रदेशअध्यक्ष कांतिलाल भूरिया के बस का ज्यादा कुछ नहीं है, वो तो हर कदम के लिए महासचिव दिग्विजय सिंह की ओर ताकते हैं। भूरिया को दिग्विजय सिंह और पूर्व प्रभारी ने बहुत मदद की लेकिन वह संगठन को मजबूत करने में नाकाम रहे हैं। चुनावों के कारण फिलहाल कोई फेरबदल संभावित नहीं है, लेकिन इसके बाद...।
कुल मिलाकर मोहन प्रकाश को संदेश दे दिया गया है कि भूरिया की बातों में आकर मिसगाइड होने की जरूरत नहीं है। अपना टारगेट है कांग्रेस के पांच शक्तिकेन्द्रों को आपस में टकराने से रोकना और कुछ ऐसा करना कि कम से कम वो एकजुट दिखाई देते रहें।
सनद रहे कि कांतिलाल भूरिया जब से प्रदेश अध्यक्ष बने हैं, पूरी की पूरी कांग्रेस की सेकेंड लाइन के हाथों में चली गई है। कांग्रेस के प्रदेश पदाधिकारियों की सूची में कई नाम ऐसे हैं जिनको देखने के बाद बहुत स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि या तो भूरिया के पास अच्छे नेताओं से संपर्क ही नहीं है या फिर लोग कांग्रेस में नए पद लेने को तैयार ही नहीं है। मजेदार तो यह है कि ये सारे के सारे पदाधिकारी किसी और के नहीं बल्कि भूरिया के कोटे के ही हैं।