भोपाल। माशिमं में रिश्वत लेते पकड़े गए क्लर्क ने अंकसूची को तीन महीने से दबाकर रखा था। जबकि अंकसूची 30 मार्च में ही संशोधन कर रिकॉर्ड रूम में भेज दी गई थी। अंकसूची तत्कालीन सचिव संतोष मिश्रा एवं अध्यक्ष स्वदीप सिंह द्वारा अनुमोदित कर दी गई थी। उसके बाद भी अंकसूची को बाबू द्वारा रोककर रखा गया।
इसकी जांच की जा रही है। गौरतलब है कि मंगलवार को अंकसूची के संशोधन के एवज में बाबू लक्ष्मण तिवारी दो हजार रुपए की रिश्वत लेते धरा गया था। इसके बाद से मामले की जांच की जा रही है। मंडल से जांच की जिम्मेदारी परीक्षा नियंत्रक को सौंपी गई है। वहीं, इस मामले में तथ्य भी खुलने शुरू हो गए हैं।
मार्कशीट में संशोधन मार्च में किया जा चुका था, पर मार्कशीट को रोककर रखा गया और बाबू द्वारा इसकी एवज में पैसे की मांग की गई। हालांकि अभी ये मामला सामने आया है, लेकिन इस मामले के सामने के बाद अन्य संशोधन के लिए आई अंकसूचियों पर नजर ठहर गई है, क्योंकि अब भी सैकड़ों मार्कशीट संशोधन के लिए लंबित हैं।