भोपाल। प्रदेश में कर्मचारी वर्ग में वर्तमान में सबसे अधिक प्रदेश सरकार द्वारा हनन मात्र शिक्षक वर्ग का ही किया जा रहा है।
जहां नियुक्ति व अनुकंपा नियुक्ति भी संविदा कर दी गई तो दूसरी ओर वेतन व सेवा शर्त में नियमित कर्मचारी से काफी भेदभाव किया जा रहा है तो इसी तारतम्य मे संविदा अध्यापक व गुरूजी के बाद और निचले स्तर पर लाकर शिक्षक को अतिथी शिक्षक का दर्जा दे दिया जिन्हे प्रदेश के मुख्यमंत्री पिछले सत्र से गुरूजीयों की तरह अलग से परीक्षाए लेकर संविदा अध्यापक का दर्जा देने का आश्वासन दे रहे हैं तो दूसरी ओर राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा एक आदेश जारी कर उनकी सेवा स्थिति में सरकार की मंशा की दुर्भावना स्पष्ट कर दि किंतु अध्यापक मोर्चा अतिथि शिक्षकों के साथ किसी भी मनमानी को नही सहन करेंगा।
अध्यापक संयुक्त मोर्चे के प्रदेश संरक्षक मनोज मराठे ने बताया कि जहां अल्प वेतन पर पूरे प्रदेश में हजारो बीएड और डीएड व प्रथम श्रेणी में डिग्री धारी बेरोजगार युवक सेवा दे रहे है उन्हे राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा एक आदेश जारी कर यह स्पष्ट किया की सरकारी स्कुलों में नये शिक्षा स्तर से नियुक्त किये जाने वाले अतिथी शिक्षकों केवल मानदेय दिया जायेगा उन्हे उनके कार्यकाल का अनुभव प्रमाण पत्र नही दिया जायेगा और न ही उन्हे इसी अवधि का कार्यानुभव उनकी किसी सरकारी भर्ती में काम आयेगा श्री मराठे ने रोष व्यक्त किया कि एक तरफ मुख्यमंत्री इन्हे नियुक्ती में वरीयता देकर गुरूजीयों की तरह पात्रता परीक्षा आयोजित कर अध्यापक वर्ग में सम्मिलित करने की बात करते है तो दूसरी तरफ राज्य शिक्षा केन्द्र उपेक्षा भरा आदेश निकालता है।
यदि अतिथी शिक्षक का कार्य संतोषप्रद नही पाया गया तो बीच में से हटाने का फरमान भी सरकार ने जारी कर दिया है साथ ही पिछले सत्र में सेवा दे चुके अतिथि शिक्षक को इस सत्र में पुनः वरियता दिये जाने की व्यवस्था थी इसका उल्लेख भी उक्त आदेश में नही है इस तरह वर्षो से सेवा दे रहे अतिथी शिक्षकों को बोनस अंक व वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति में वरियता दिये जाने व अन्य मांगो को लेकर अध्यापक संयुक्त मोर्चे के संरक्षक श्री मराठे ने प्रदेष मुख्यमंत्री,शिक्षामंत्री को पत्र लिखकर अतिथीयों के संबंध में शीघ्र उचित लेने की मांग की है अन्यथा मोर्चा अतिथी षिक्षको के लिए आंदोलन करेंगा।
मनोज मराठे
संरक्षक
अध्यापक संयुक्त मोर्चा
मो. 9826699484