मौत के मुहाने तक पहुंच गए हैं जानकी चट्टी में फंसे मध्यप्रदेश के कई तीर्थयात्री

भोपाल। यमुनोत्री की पहाड़ी से छह किमी नीचे जानकी चट्टी में मध्यप्रदेश के कई लोग सहायता के इंतजार में हैं। कोई पूछने वाला नहीं। किसी को डायरिया हो चुका है, तो कोई सर्दी-खासी और बुखार से पीडि़त। तीर्थाटन को आए दल में अधिकतर बुजुर्ग पुरुष, महिलाएं व बच्चे हैं। लोगों के पास न राशन बचा है, न दवा-पानी के लिए पर्याप्त रुपए हैं।

मोबाइलों में बेलेंस और बैटरियां खत्म हो गईं हैं, एसटीडी कॉल दरें 25 रुपए प्रतिमिनट वसूली जा रहीं हैं। गुरुवार को कुछ यात्रियों ने ग्वालियर में श्री संजय अग्रवाल को उनके मोबाइल नंबर 9049994326 पर बताया कि 'हम लोग बहुत मुसीबत में हैं, कुछ मदद कीजिए।

डायबिटीज व हृदय रोग के भी मरीज

बताया जा रहा है कि जो लोग जानकी चट्टी इनमें कुछ मधुमेह (डायबिटीज) के मरीज है, कुछ को हृदय रोग है। गोविंदपुर के बीके वर्मा की बाइपास सर्जरी हुई है। दल में अधिकतर लोग बीमार हो चुके हैं। कहीं कोई डॉक्टर नहीं। श्री अग्रवाल ने बताया कि यमुनोत्री में पांच हजार से अधिक लोग फंसे हुए हैं। प्रशासन ने एक स्कूल में चार पूड़ी, सब्जी के साथ पानी की व्यवस्था की है, मगर सबको यह नहीं मिल पाता। दूसरे प्रदेशों के जनप्रतिनिधि यहां फंसे अपने लोगों का सहयोग कर रहे हैं, मगर हमारे नहीं।

35 रुपए में पानी, 2000 में सिलेंडर

श्री गुप्ता ने बताया कि जानकी चट्टी में फंसे मध्यप्रदेश के तीर्थयात्री जत्थों के किसी सदस्य को जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है परंतु, जिंदगी बहुत कठिन हो चुकी है। 30 से 35 रुपए में पानी का बोतल बिक रहा है। होटल संचालक जेनरेटर चला कर शाम 7 से 9 बजे तक बिजली देते हैं। उन्होंने बताया कि भोजन बनाने के लिए बर्तन कुछ यात्रियों के पास है, लेकिन राशन नहीं मिल रहा। बहुत मुश्किल से दो हजार रुपए में एक गैस सिलेंडर मिला है। हम नाश्ता नहीं बना रहे। दोपहर का भोजन बनता है। कुछ सब्जी बना लेते हैं, ताकि रात में सिर्फ रोटी बनानी पड़े। उन्हें बताया गया है कि करीब 30 किलोमीटर तक सड़क का नामोनिशान मिट चुका है। लोग पहाड़ के किनारे से निकल रहे हैं। हमारे साथ बुजुर्ग हैं, इसलिए हम उन्हें लेकर आगे नहीं जा सकते। केदारनाथ में फंसे तीर्थयात्रियों को सहयोग मिल रहा है, यमुनोत्री में नहीं।

भोलेनाथ ने बचा लिया मगर अब क्या करें

टाटा स्टील से सेवानिवृत परमेश्वर प्रसाद सिंह की उम्र 71 वर्ष है, जबकि माला देवी की 60 साल। माला देवी ने बताया कि हम शाम में यमुनोत्री दर्शन करने के बाद पहाड़ से उतर रहे थे कि बारिश शुरू हो गई। रात 7 बजे तक हम जानकी चट्टी बस पड़ाव के पास होटल में आ चुके थे। रात में गाड़ी चलाने पर मनाही है। भोलेनाथ की कृपा है। वरना रात में सफर करते, तो शायद आज दुनिया में नहीं रहते। मगर, अब क्या करें। यहां एक-एक पल काटना मुश्किल है। कोई हमारी सुध लेने वाला नहीं है।

केदारनाथ में लगे हैं राहतदल, यमुनोत्री लावारिस

तीर्थयात्रियों का कहना है कि केदारनाथ में तो तमाम राहतदल लगे हुए हैं, लेकिन यमुनोत्री में जो लोग जिंदा बच गए हैं, उनको लावारिस छोड़ दिया गया है। उनका कहना है कि आगे 30 किलोमीटर तक की सड़क गायब हो गई है। कहीं कुछ नहीं बचा है। जो युवा हैं वो पहाड़ के रास्ते आगे चले गए, अब केवल बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे बचे हैं। संक्रामक रोग फैलने लगे हैं। बिजली नहीं है। फोन बंद हो गए हैं। यदि तत्काल राहत नहीं मिली तो यहां प्राकृतिक आपदा से बच गए तीर्थयात्री बेमौत मर जाएंगे। 
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