राकेश दुबे प्रतिदिन। प्रधानमंत्री जापान से लौटे, जाते समय जिस चिंता को बेवजह करार दे गए थे, उसकी पुष्टि के आंकड़े लिए भारतीय सांख्यिकी एवं योजना कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट मिली।
प्रधानमंत्री जब भारत से जा रहे थे तब स्टेंडर्ड एंड पुअर की रिपोर्ट से उपजी चिंता को बेवजह बता गये थे। अब भारत सरकार के मंत्रालय कह रहा है,"वर्ष २०१२ -१३ में अर्थव्यवस्था में वृद्धि की दर ५% रही है।" भारतीय रिजर्व बैंक की चिंता से वित्त मंत्री न इत्तेफाक रखते हैं। प्रधानमंत्री जी आपके पास कोई जादू का डंडा हो तो घुमाइए।
प्रधानमंत्रीजी, आप जानते है की यह क्यों हुआ ? कह नहीं सकते। यह तर्क भी बेमानी है, सबको मालूम है कि घोटालों और भ्रष्टाचार के कारण औद्योगिक उत्पादन गिरा है, विदेशी निवेश भी रुक गया। सकल घरेलू उत्पाद गिर कर ४.८ रह गया है , वह भी किसानों की मेहरबानी से।
निश्चित ही जिस तरह से किसान वर्षा पर निर्भर है,उसी तरह औद्योगिक उत्पादन देश के वातावरण पर निर्भर है । देश में शांति का माहौल जरूरी है । आतंकवाद, नक्सलवाद और भ्रष्टाचार किसी पर भी आपका नियंत्रण नहीं हो सका। वित्त मंत्री अब आईने की तरह साफ बोलने वाली रिजर्व बैंक को भी नहीं बख्श रहे हैं ।प्रधानमंत्री के रूप न सही अर्थशास्त्री के रूप में ही कुछ करिये । क्योंकि यह सारी सफलता-असफलता आपके ही खाते में गिनी जाएगी ।