इंदौर। सुयोग अस्पताल में बुधवार को इंसानियत तार-तार हो गई। जलने के बाद सुयोग अस्पताल लाई गई महिला की मंगलवार रात मौत हो गई थी। इलाज के 30 हजार रुपए बकाया होने पर प्रबंधन ने शव देने के बदले परिवार के तीन लोगों को गिरवी रख लिया। बाद में बंधक बने रिश्तेदारों को छोडऩे के बदले भी बाइक गिरवी रख ली, जिसे रात तक नहीं छोड़ा गया।
पीपल्यापाला के पास सोनिया गांधी नगर निवासी ज्योति (19) पति राहुल गोयल सोमवार सुबह किचन में काम करते हुए स्टोव से जल गई थी। परिजनों ने उसे सुयोग अस्पताल में भर्ती करवाया था। राहुल ने बताया अस्पताल प्रबंधन और मेडिकल वालों ने पत्नी की मौत के बाद से 30 हजार रुपए जमा करवाने के लिए परेशान करना शुरू कर दिया था। पहले हम 40 हजार जमा कर दिए थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि सुबह शव मांगा तो कहा गया पहले पैसे लाओ, फिर शव पीएम के लिए भेजेंगे। उसके बाद शव मिलेगा। इस पर परिजनों ने हंगामा कर दिया। प्रबंधन ने करीब नौ हजार रुपए कम किए और कहा- 13 हजार मेडिकल का और सात हजार अस्पताल का जमा करवा दो। परिजनों ने इनकार कर दिया। पुलिस ने जब शव पीएम के लिए ले जाने को कहा तो अस्पताल और मेडिकल वालों ने राहुल के पिता मोहन, फूफा सोनू ठाकुर और बुआ सोनूबाई को वहीं बैठा लिया और राहुल से कहा शव दे रहे हैं। पैसे जमा करोगे तो इन्हें छोड़ेंगे।
बुआ की तबीयत बिगड़ी तो बोले सामान ले आओ- बंधक बनी बुआ सोनू की तबीयत बिगडऩे लगी तो बाकी लोगों ने जाने का आग्रह किया। प्रबंधन ने कहा- कोई कीमती सामान या गाड़ी ले आओ, उसके बदले छोड़ेंगे। इस पर सोनू ठाकुर ने बाइक उन्हें दी। इसके बाद चार बजे छोड़ा गया। सोनू ने बताया रात तक गाड़ी नहीं दी गई।
हमने नहीं मेडिकल वाले ने किया
महिला की मौत के बाद जब परिजन पैसे नहीं दे पा रहे थे तो हमने बकाया राशि माफ करते हुए शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। परिजनों को बंधक बनाने और गाड़ी रख लेने की जानकारी मुझे शाम को कुछ मीडियाकर्मियों से मिली। ये सब मेडिकल वाले ने किया होगा। मैंने मेडिकल स्टोर वाले से पूछा तो पता चला कि परिजन तो चले गए हैं। तब मैंने गाड़ी भी देने के लिए कह दिया था। हमने मेडिकल शैलेष जैन को दे रखा है।
डॉ. आरएस बंग
संचालक सुयोग हॉस्पिटल
मेरा नहीं है मेडिकल
मैं अस्पताल में आता-जाता हूं, लेकिन स्टोर मेरा नहीं । मेडिकल स्टोर किसका है ये डॉक्टर या मेडिकल वाला जाने। मुझे जानकारी नहीं है।
शैलेष जैन