इंदौर। जस्टिस पीके जायसवाल की सिंगल बेंच में सीए महेश अग्रवाल व रुचि सोया के कंपनी सचिव अशोककुमार अग्रवाल की जमानत अर्जियों पर सुनवाई हुई, जहां महेश की ओर से सीनियर एडवोकेट एएम माथुर ने पैरवी करते हुए कहा कि उनका मुवक्किल लंबे समय से सीए जैसे प्रतिष्ठित पेशे में है, मामले में कोई अपराध नहीं बनता।
सीबीआई का अनुसंधान अधूरा है और अभी तक चालान पेश नहीं किया गया है ऐसे में लंबे समय से जेल में बंद उनके मुवक्किल को अब और जेल में रखे जाने का कोई औचित्य नहीं है। वहीं अशोक की ओर से सीनियर एड्वोकेट जयसिंह ने पैरवी करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को लंबे समय तक जेल में रखने की जरूरत नहीं है। वैसे भी जिस धारा में केस दर्ज है उसमें पांच साल की सजा का प्रावधान है न कि उम्रकैद का। उनका मुवक्किल प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुकात रखता है ऐसे में उसके फरार होने की संभावना नहीं है।
सीबीआई की ओर से एड्वोकेट सोहनलाल नागर ने कोर्ट में केस डायरी जमा करते हुए जमानत दिए जाने का विरोध किया और कहा कि इससे अनुसंधान प्रभावित होगा। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुलजिमों को जमानत का लाभ नहीं दिया जाए। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा है। गौरतलब है कि कोर्ट ने 22 मार्च को सीए सहित तीन मुलजिमों को 4 अप्रैल तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था। मामले में सीबीआई को चालान पेश करने के निर्देश दिए गए हैं।