उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। हबीबगंज से इन्दौर के बीच प्रस्तावित डबल डेकर ट्रेन अब बीरबल की खिचड़ी हो गई है। पकने का नाम ही नहीं ले रही। होली के रोज भोपाल आ जाना थी, फिर नहीं आईं। अब पता चला है कि कपूरथला के बाहर ही खड़ी है।
उत्तर रेलवे-मध्य रेलवे, दक्षिण रेलवे-पश्चिम रेलवे, रेलवे रेलवे के जंजाल में फंसे डबरडेकर के कोच भोपाल पहुंचने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। रेलवे के अधिकारी भी स्कूल स्टूडेंट्स की तरह हर नए पीरियड में नया स्टेटमेंट जारी कर रहे हैं।
ताजा खबर मिल रही है कि कोच कपूरथला फैक्ट्री परिसर के बाहर हुसैनपुर स्टेशन पर खड़े हैं, उन्हें आगे ले जाने की अनुमति नहीं मिल पाई है। रेलवे के अधिकारियों ने इस संबंध में मुख्यालय से संपर्क किया है। अधिकारियों ने एक दो रोज में अनुमति मिलने की संभावना जाहिर की है। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली स्थित मुख्यालय बड़ौदा हाउस से जब तक अनुमति नहीं मिल जाती, तब तक ट्रेन को आगे ले जाना संभव नहीं है। इसके लिए फिरोजपुर रेलवे के अफसरों ने मुख्यालय में चर्चा की है। बताया गया है कि हुसैनपुर स्टेशन से रैक रवाना होने के बाद उत्तर रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे के रास्ते पश्चिम मध्य रेल के भोपाल रेल मंडल में लाए जाने हैं। रेलवे की सबसे बड़ी दिक्कत नई दिल्ली-चेन्नई (ग्रांट ट्रंक रूट) का व्यस्त होना है। इस रेल मार्ग पर दक्षिण भारत और मुंबई की ओर जाने वाली गाड़ियों का आवागमन होता है। इस व्यस्ततम रूट के खाली होने पर ही ट्रेन के रैक भोपाल तक लाए जा सकेंगे। इस प्रक्रिया में ये रैक गुरुवार सुबह तक भोपाल पहुंचने के आसार हैं।
समझ यह नहीं आ रहा है कि रेलवे अधिकारियों को इस पूरी प्रक्रिया की जानकारी क्या कोच के कपूरथला से बाहर निकलने के बाद पता चली। क्या उपरोक्त तमाम प्रक्रियाओं को पूरा करने के निर्देश रेल मंत्रालय में हाल ही में जारी किए हैं। यदि नहीं तो ये मजाक क्यों किया जा रहा है।
इससे पहले कोच भोपाल के लिए रवाना हुए थे। किसी और ने लाठी अड़ा दी और भैंस उठा ले गया। फिर कोच चले, फिर नहीं चले, फिर चले फिर नहीं चले, फिर होली पर आने वाले थे, फिर नहीं आए, अब कपूरथला के बाहर खड़े हैं। ऐसा लग रहा है रेलवे के अधिकारियों ने पहली बार इस प्रक्रिया पर काम किया है। हर कदम पर अटक जाती है। इससे तो रोडवेज की खटारा बसें बढ़िया, चलती हैं तो पहुंच जरूर जातीं हैं।