जबलपुर। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार और भाजपा की संवेदनशीलता का एक नमूना देखिए कि रेप के बाद मौत से जूझ रही 'गुड़िया' का तीन दिन तक जबलपुर में इलाज चलता रहा, लेकिन एक भी भाजपाई उसका हालचाल पूछने तक नहीं आया। यदि प्रशासनिक संवेदनशीलता न होती तो शायद वो वहीं दम तोड़ चुकी होती। सनद रहे कि जबलपुर वही शहर है जहां से विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी आते हैं।
प्रदेश में इस साल चुनाव होने जा रहे हैं सभी राजनैतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं लेकिन घंसौर में घटित उस घटना की तरफ जिसमें आरोपियों ने तमाम मानवीयता को दर किनार कर पांच साल की मासूस बच्ची को पाशविक दर्द दिया है उसे लेकर उम्मीद के मुताबिक जनप्रतिनिधियों का रुख नहीं दिखा।
इस मामले में पार्टी का कोई भी जवाबदार जनप्रतिनिधि अथवा संगठन के आला पदाधिकारियों को बच्ची का हाल जानने की फुर्सत नहीं थी जिनकी सरकार इस सूबे में लगभग एक दशक से है। गौरतलब है कि जबलपुर में इस बच्ची का पिछले तीन दिनों से उपचार किया जा रहा था परंतु सत्ता दल के नेता जैसे इस तरह की गंभीर वारदात से अनजान बने रहे।
वह भी ऐसे समय में जब पूरे देश में इस तरह की घटनाओं पर लोगों का आक्रोश बढ़ रहा है। लोग तो यह भी कहते सुने जा रहे हैं कि सत्ता दल को तीसरी बार सरकार बनाने की चिंता अधिक हैऔर इसी उधेड़बुन में पार्टी के जनप्रतिनिधि जुटे हुए हैं। बच्ची की हालत को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह कह रही है कि प्रदेश के सीएम जिन्हें मामा भी कहा जाता है ने भी उसकी खबर लेने में जैसे देरी कर दी है या कहें उन्हें खबर देने में विलंब किया गया है, उसके बाद घंसौर की गुड़िया को एअर एम्बुलेन्स से नागपुर उपचार के लिए भेजने की पहल की गई।
उल्लेखनीय है कि जिस तरह का कृत्य चार साल की बच्ची के साथ किया गया है उससे लोग बस यही कह रहे हैं कि अब इंसानों मेंमानवीय संवेदना खत्म होती जा रही है तभी तो हवस के वहशी इस तरह का कृत्य कर रहे हैं और मासूम बच्चियों की जान के दुश्मन बन गए हैं।
यहां यह बात ध्यान देने वाली है कि फिलहाल बच्ची की खबर लेने कांग्रेस की तरफ से विधानसभा उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह जबलपुर अस्पताल पहुंचे थे वहीं सत्ता दल से जुड़े किसी भी जनप्रतिनिधि अथवा पार्टी पदाधिकारियों ने इस तरह की अमानवीय घटना के शिकार परिजनों से मिलने की जेहमत तक नहीं उठाई है।
वैसे सिवनी और आस-पास के लोगसहायता के लिए आगे बढ़े थे और उन्होंने शुरुआत में ही आर्थिक मदद बच्ची के उपचार के लिए परिजनों तक भेजी थी। क्या सरकार को सिर्फ दिल्ली की गुड़िया की ही चिंता- आम जनों का कहना है कि हमारा खून खून, तुम्हारा सिर्फ पानी वाली कहावत की तर्ज पर सिर्फ दिल्ली में हुई घटना बड़ी लग रही है और यहां हुई घटना पर क्या शहर सहित तमाम जनप्रतिनिधि जो बात-बात पर शहर में हल्ला मचाने वाले नेताओं को क्या इस खबर की जानकारी नहीं है।