भोपाल. सिवनी गोलीकांड मामले में दोषी आईपीएस अफसर आरके मराठे को केंद्र सरकार ने क्लीनचिट दे दी है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने राज्य सरकार से सिफारिश की है कि मराठे के खिलाफ चल रही जांच बंद की जाए और उन्हें माफ करें। आयोग की रिपोर्ट 11 मार्च को राज्य शासन को मिल गई थी। गृह विभाग ने आगे की कार्रवाई के लिए प्रकरण मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दिया है।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि विभागीय जांच के बाद राज्य सरकार ने रिपोर्ट आयोग को भेजी। आयोग ने मराठे को 6 मार्च 2012 को आरोप पत्र जारी किया था। उन्होंने एक माह बाद ही अपना पक्ष लिखित में भेज दिया था। मराठे ने अपने जवाब में कहा था कि सूचना मिलने के बाद वे न केवल घटना स्थल पर पहुंचे थे, बल्कि घटना के बाद उत्पन्न स्थिति को पूरी दक्षता के साथ नियंत्रित किया था।
जिस समय घटना हुई, वे जिले में ही दौरे पर थे। घटना के बाद कई जगह चक्काजाम और घेराव होने के कारण कानून व्यवस्था बिगड़ गई थी, इसलिए इससे निपटने के बाद घटना स्थल पर पहुंचे थे।
मजिस्ट्रियल जांच में दोषी नहीं
घटना की मजिस्ट्रियल जांच में मराठे पर लगे आरोप सिद्ध नहीं हुए। आईजी छिंदवाड़ा और जबलपुर रेंज ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मराठे ने एसपी की विवेकपूर्ण शक्तियों और उपलब्ध संसाधनों पर निर्भरता के आधार पर स्वविवेक से सही निर्णय लिए। उल्लेखनीय है कि इस घटना के बाद मराठे को सिवनी से हटा दिया गया था। इसके बाद अभी तक उन्हें किसी जिले की कमान नहीं दी गई। वे वर्तमान में छिंदवाड़ा बटालियन में कमांडेंट हैं।
क्या है नियम
अखिल भारतीय सेवा के अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के लिए यूपीएससी की राय अनिवार्य है। इसके लिए अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन एवं अपील) नियम 1969 के नियम 10 के तहत यूपीएससी अपना मत देने से पहले संबंधित अफसर का पक्ष सुनता है। इसके बाद अनुशंसा करता है। जिसके आधार पर कार्रवाई की जाती है।
क्या है मामला
सिवनी के कान्हीवाड़ा गांव में 6 जुलाई 2007 को अवैध शराब बनाने की सूचना पुलिस को मिली थी। जिस पर केवलारी एसडीओपी जेपी उइके और कान्हीवाड़ा थाना प्रभारी सीआर पटेल के नेतृत्व में पुलिस दल ने छापा मारा था। इस दौरान गांव वालों ने पुलिस दल पर हमला कर दिया था। जिसमें एसडीओ, टीआई सहित कई पुलिस कर्मी गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस दौरान पुलिस द्वारा गोली चलाने पर अनुसूचित जनजाति वर्ग के एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे।