भोपाल। आरटीई के तहत गरीब व कमजोर वर्ग के बच्चों को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं में नर्सरी एवं पहली कक्षा में 25 फीसद प्रवेश के लिए दूसरे चरण की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने गुरुवार को सभी डीईओ एवं कलेक्टरों को निर्देशित किया है। राज्य शिक्षा केंद्र के निर्देश मिलते ही प्रवेश शुरू कर दिए जाएंगे।
आरटीई के तहत वंचित समूह एवं कमजोर वर्ग के बच्चों को सीबीएसई, आईसीएसीई एवं अन्य प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी या पहली कक्षा में 25 फीसद प्रवेश दिए जाने थे। इस प्रक्रिया में अल्प शैक्षणिक संस्थाएं शामिल नहीं हुई थीं। जिस पर शिक्षा विभाग द्वाराआरटीई का प्रावधान क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल जैसी अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं पर लागू होगा या नहीं, इस संबंध में राज्य शासन के विधि विभाग से अभिमत प्राप्त किया गया।
अभिमत के अनुसार गैर अनुदान प्राप्त ऐसी क्रिश्चियन मिशनरी तथा अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं के स्कूल, जहां मुख्यत: धार्मिक निर्देश नहीं दिए जाते हों, वहां पर आरटीई अधिनियम के अंतर्गत 25 प्रतिशत प्रवेश देने के उपबंध लागू होंगे। वहीं, ऐसी क्रिश्चियन मिशनरी तथा अन्य अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाएं, जहां मुख्यत: धार्मिक निर्देश दिए जाते हों, वहां 25 फीसद प्रवेश देने के उपबंध लागू नहीं होंगे। इससे पहले 46 स्कूलों ने प्रवेश प्रक्रिया से बचने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के 12 अप्रैल 2012 के उस आदेश का सहारा लिया था। इन स्कूलों ने अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र को आधार बनाकर गरीब बच्चों को स्कूल में प्रवेश नहीं दिया।
अब संशोधित प्रक्रिया के अनुसार मूल अधिनियम की धारा (1) में नई उपधारा 4 और 5 जोड़ी गई। इसके अनुसार संविधान के अनुच्छेद 29 एवं 30 के अध्याधीन रहते हुए नि:शुल्क और बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2012 के प्रावधान नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करने के संबंध में लागू होंगे। इसकी कोई भी बात मदरसे, वैदिक पाठशाला और शैक्षणिक संस्थानों जो मुख्य रूप से धार्मिक निर्देश देते हों, लागू नहीं होंगे। यह संशोधन भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना 1 अगस्त 2012 से लागू किए गए हैं। आरटीई के तहत प्रथम चरण की प्रवेश प्रक्रिया की 15 फरवरी को लॉटरी निकाली जा चुकी है।