भोपाल। महिला आयोग के सामने आज एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। यहां एक महिला की मौत के मामले में उसके माता पिता ने हाजिर होकर बताया कि उनकी बेटी जिंदा थी लेकिन ससुराल वालों ने उसकी शवयात्रा निकाली और जिंदा ही चिता पर लिटाकर जला डाला।
माता—पिता ने बताया कि वो चिल्लाते रहे, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। पुलिस के पास गए तो पुलिस ने भी रिपोर्ट नहीं लिखी। एक महीने बाद एफआईआर दर्ज भी की तो यह लिखा कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली थी। बेबस माता-पिता का कहना अब उन्हें महिला आयोग से न्याय की आस है। यदि यहां भी उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे पत्नी और दोनों बच्चों के साथ आत्महत्या कर लेंगे।
मामला ग्वालियर के निबुआपुरा गांव का है। ग्वालियर निवासी सरदार सिंह ने राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष उपमा राय को बताया कि मेरी बेटी सीमा परिहार की शादी चार साल पहले सुरजीत सिंह से हुई थी। उसके दो बच्चे हैं, शादी के बाद सीमा और उसका पति सुरजीत निबुआपुरा में उनके ही मकान में रहते थे। उन्होंने बेटी-दामाद को रहने के लिए अपना मकान दिया था।
जब बेटी और दामाद का झगड़ा हो रहा था उस समय घर पर सुरजीत का मौसा संतोष भी था। दोनों ने सीमा के बच्चों के सामने उसका गला संडसी से पकड़कर घोंट दिया। उसके बाद सूचना दी कि उनकी बेटी ने फांसी लगा ली है।
माता-पिता अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि सुरजीत और उसके दोस्त सीमा को लेकर अपने गांव चले गए हैं, जब वे सुरजीत के गांव पहुंचे तो गांव वालों ने बताया कि सीमा की मौत हो गई है और उसे ससुराल वाले श्मशान ले गए। वे और उनकी पत्नी श्मशान पहुंचे तो देखा बेटी को चिता पर लेटाया जा चुका था और आग दे दी गई थी। उन्होंने आयोग को बताया कि वे चिल्लाते रहे कि बेटी जिंदा है, उसे मत जलाओ, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।