भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार सभी सरकारी अस्प्तालों में डायलिसिस केन्द्र खोलने जा रही है। नियम कहते हैं कि इसके लिए डॉक्टर की डिग्री डीएम नेफ्रोलॉजिस्ट होना चाहिए और मध्यप्रदेश में तो इस डिग्री वाला एक भी डॅक्टर नहीं है।
किडनी की परेशानी से जूझ रहे मरीजों के लिए सरकार ने सभी जिला अस्पतालों में डायलिसिस केन्द्र खोलने का निर्णय लिया है। हालांकि सरकार के पास एक भी नेफ्रोलॉजिस्ट नहीं है।
इंडियन नेफ्रोलॉजिस्ट सोसायटी (आईएनए) व मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआई) के अनुसार डायलिसिस के लिए डॉक्टर को डीएम (डॉक्टोरेट आफ मेडिसिन) नेफ्रोलॉजिस्ट होना जरूरी है। सवाल यह है कि बिना विशेषज्ञ यह सेंटर कैसे काम करेंगे।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार संपूर्ण स्वास्थ्य सबके लिए कार्यक्रम के तहत प्रदेश में 50 डायलिसिस यूनिट तैयार कर रही है। इसके लिए सभी जिला अस्पतालों में इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर लिया गया है। वहीं उपकरणों को खरीदी की तैयारी भी हो गई है। विभाग की योजना के अनुसार एक महीने में सभी जिला अस्पताल की डायलिसिस यूनिट को शुरू कर दिया जाएगा।
इसके लिए सभी अधिकारियों को निर्देश दिए जा चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यह फैसला उन गरीब मरीजों के मद्देनजर लिया गया है, जो निजी अस्पतालों का खर्च नहीं उठा सकते।
सवाल तो केवल एक ही है कि जब सरकार के पास डॉक्टरों की कमी है, नए डॉक्टर नौकरी लेने नहीं आ रहे, पुराने छोड़कर जा रहे हैं। स्पेशपलिस्ट मौजूद नहीं हैं तो पहले मैनपॉवर पर काम क्यों नहीं करते, मशीनरी पर क्यों कर रहे हैं।
कहीं कोई भ्रष्टाचार की प्लानिंग तो नहीं। योगीराज शर्मा की परंपरा को तो आगे नहीं बढ़ाया जा रहा।