दिल्ली की उलझन: यह तो होना ही था....!

प्रधनमंत्री और श्रीमती सोनिया गाँधी भले ही कितना ही आश्चर्य व्यक्त करें की स्टालिन के यहाँ गई सीबीआई के बारे में उनको कुछ पता नहीं,सही नहीं है| सीबीआई तो वह हथियार हो गई है, जिसे सत्ता जब चाहें, किसी के भी खिलाफ चलाया जा सकता है| स्टालिन ताज़ा उदाहरण है नितिन गडकरी थोडा पुराने|

गडकरी आज भी उस जुगलबंदी की तलाश में जुटे है| जो पक्ष और प्रतिपक्ष में हुई थी| सबसे ताज़ा उदाहरण बेनी - मुलायम कथा का उत्तरार्थ है| कल तक कठोर मुलायम आज मुलायम हो गये अगर करुणानिधि की तरह कुछ कर बैठते तो क्या होता है ? हमेशा की तरह मनमोहन सिंह एक बार फिर कह देते ‘मुझे कुछ मालूम नहीं , देखता हूँ’| इस सादगी पर कौन न मर जाये ऐ खुदा.........!

मुलायम सिंह यादव और बेनी प्रसाद वर्मा प्रहसन की शुरुआत सीबीआई के दफ्तर से हुई थी और अभी उसके दरवाजे पर जाकर समझौते में तब्दील हुई है| समझौता कितने दिन चलेगा मालूम नही, अभी तो सरकार की मुसीबत टल गई है| दोनों की जुगल बंदी एक दूसरे के खिलाफ सीबीआई की शिकायत से ही टूटी थी और बेनी बाबू ने कांग्रेस का रास्ता पकड़ा था|  राहुल बाबा कल बोल ही गये है सांसद चुनाव के लिए तैयार रहे| कर्नाटक के साथ चुनाव कराने के बारे में कांग्रेस की और से चुनाव आयोग को टटोला भी गया था| चुनाव आयोग ने समय माँगा है|

दिल्ली कुछ राज्यों को इस बात का मौका दे रही है, कि वे गलती करें तो मध्यप्रदेश के साथ उनके चुनाव करा दिए जाये| इनमे उत्तर प्रदेश है| यह फार्मूला कल तुरुप के इक्के की तरह दिखाया गया था और आज के स्टालिन शो ने तो सामने वाले के पत्ते ही उड़ा दिये| राजनीति में ऐसा होता है अक्सर| इस बार भी हो गया, तो नया क्या है ? यह तो होना ही था।

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