डेढ़ लाख अतिथि शिक्षकों का शोषण बंद करे सरकार: भूरिया

भोपाल । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने आंदोलनरत डेढ़ लाख अतिथि शिक्षकों की मांगों को ‘‘न्यायोचित’’ और मानवीय आधार पर मंजूर करने योग्य बताते हुए राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वह संवेदनशीलता और व्यावहारिकता का परियच देते हुए अतिथि शिक्षकों की वाजिब मांगों को शीघ्र मंजूर करे, जिससे कि एक तो वर्ष 2005, 2008 और 2011 में संविदा शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण इन अतिथि शिक्षकों का शोषण बंद हो सके और उनके सामने अनिश्चितता की जो तलवार लटकी हुई है, वह भी हट सके।

आपने कहा है कि राज्य सरकार के लिये भी यह शोभनीय नहीं है कि अतिथि शिक्षकों को मनरेगा की मजदूरी दर से भी कम पारिश्रमिक मिले और अपने चपरासी को तो 11 हजार से अधिक का वेतन दे एवं बच्चों का भविष्य निर्माण करने वाले उच्च शिक्षित अतिथि शिक्षकों को 2500, 3500 और 4500 रूपये माहवार में ही टरका रही है। यह तो शिक्षकों से बेगार कराने जैसी शर्मनाक स्थिति है।

श्री भूरिया ने कहा है कि इन अतिथि शिक्षकों को अपनी न्यायोचित मांगों के लिए बार-बार सड़कों पर उतरना पड़े और पुलिस की लाठियां खाना पड़े, यह सरकार के लिए शोभास्पद नहीं है। इन शिक्षकों की मांगों को गंभीरता से देखा जाए, तो वे औचित्यपूर्ण लगती हैं। वे यही तो चाहते हैं कि गुरूजी और अनुदेशकों की भांति पृथक से विभागीय परीक्षा लेकर उन्हें भी नियमित किया जाए, जिससे दैनिक वेतनभोगी होने की मुसीबत से उन्हें मुक्ति मिल सके। जिन अतिथि शिक्षकों ने पिछले वर्षों में संविदा शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है, उन्हें संविदा शिक्षक के पद पर नियुक्ति दी जाए।

उनकी यह मांग भी व्यावहारिक है कि जिन्हें अतिथि शिक्षक के बतौर विद्यालयों में पढ़ाते कई वर्ष हो चुके हैं, उनको अन्य पद पर नियुक्ति के लिए अधिकतम आयु सीमा में कम से कम 15 वर्ष की छूट दी जाए। यह इसलिए जरूरी है कि अतिथि शिक्षक के रूप में कई शिक्षक अधिकतम आयु सीमा को पार कर चुके हैं। इस कारण बेहतर नौकरी के दरवाजे उनके लिए बंद हो गए हैं।

आपने आगे कहा है कि इन अतिथि शिक्षकों के साथ दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों से भी बदतर बर्ताव हो रहा है। एक तो उन्हें लिखित नियुक्ति आदेश नहीं दिया जाता तथा दूसरा, उन्हें अतिथि शिक्षक के बतौर विद्यालय में शिक्षकीय कार्य के लिए जुलाई में रखा जाता है। इस कारण मार्च से जून, चार महीने वे बेकार हो जाते हैं तथा उनके सामने रोजी-रोटी का गंभीर संकट खड़ा हो जाता है। यह एक अमानवीय व्यवहार है, जो राज्य सरकार की जानकारी में अतिथि शिक्षकों के साथ हो रहा है। आपने मुख्य मंत्री से आग्रह किया है कि इनके साथ न्याय करें।

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