मध्यप्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष की कार में उल्टा तिरंगा

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पिछले दिनो छपारा मे आयोजित भारत निर्माण जनसूचना अभियान के दौरान मध्यप्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम मे पहुंचे थे परंतु वे जिस वाहन से पहुंचे उस वाहन मे लगा हुआ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा उलटा लगा होने से वहां उपस्थित मीडिया कर्मी और प्रशासनिक तंत्र मे हलचल मच गई।

]ठाकुर हरवंश सिंह ने तिरंगा उलटा लगा होने को मानवीय भूल के रूप मे स्वीकार किया और उन्होने तत्काल ही इस बात के लिये खेद प्रकट किया तथा तिरंगे को तत्काल सीधा किया गया।

मिली जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश ङ्क्षसह को यह वाहन जिला प्रशासन ने उपलब्ध कराया था जिसमे वे सासंद बसौरी सिंह मसराम के साथ छपारा मे भारत निर्माण जनसूचना अभियान द्वारा आयोजित कार्यक्रम मे शामिल होने पहुंचे थे। जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराये वाहन के संबंध मे सत्कार अधिकारी सी.एस. शुक्ला ने एक अखबार को दिये बयान मे यह स्वीकार किया है कि वे केवल फॉलो उपलब्ध कराते हैं तो वहीं दूसरी ओर ठाकुर हरवंश ङ्क्षसह द्वारा यह कहा गया कि वाहन चालक ने गलती से तिरंगा झंडा उलटा लगा दिया जबकि वाहन चालक का कहना है कि एसडीएम कार्यालय से वाहन मे झंडा लगा मिला था।

राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान का ध्यान रखना जिस संवैधानिक व्यक्ति को सम्मान स्वरूप इसके उपयोग करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है उसकी स्वयं की होती है इसके साथ ही संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज को सुबह एवं शाम को सलामी देते हैं सत्कार अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराये गये वाहन मे तिरंगा लगाते समय इस बात का ध्यान न दिया जाना भी राष्ट्रीय अपमान की श्रेणी मे आता है तिरंगा वाहन मे लगाने की जिम्मेदारी यदि वाहन चालक को ही होती तो सत्कार अधिकारी के रूप मे एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी को जिम्मेदारी देने की कोई आवश्यकता ही नही है। परंतु इस पूरे प्रकरण मे जो राष्ट्रीय स्वाभिमान से जुड़ा हुआ है विपक्षी दलो की रहस्यमयी चुप्पी का कारण व्यापक चर्चा का विषय बना हुआ है।

जहां छोटे-छोटे हास्य परिहास की बातो को ओछी बयानबाजी कर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित कर दिया जाता है। उसी जिले मे मध्यप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष के वाहन मे राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक तिरंगे झंडे का उलटा लगे होने पर विरोधी दलों की चुप्पी समझ से परे है। देश के किसी कोने मे इस प्रकार की घटना घटित होती है तो राजनैतिक दलों के प्रवक्ताओं द्वारा राष्ट्र के सम्मान और अपमान से इसी बात को जोड़कर तीखी विज्ञप्तियां जारी कर अपनी-अपनी कलम का जौहर दिखाया जाता है परंतु जिले मे ही इस प्रकार की घटना पर इनकी कलम बोथली दिखाई देना दाल मे कुछ काला होने की और राजनैतिक ईमानदारी को शंकित करता है तथा राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रति भी चुप्पी साध लेना अच्छी मानसिकता का प्रमाण नही कहा जा सकता।

राष्ट्रीय ध्वज उलटे लगे होने का यह दुर्भाग्य पूर्ण घटना क्रम किसी सरपंच या किसी मास्टर द्वारा किया जाता तो उसे थाने मे बुलाकर उसे राष्ट्रीय अपमान का दोषी बना दिया जाता है, परंतु यही कृत्य उच्च पदो पर बैठे हुये व्यक्तियों द्वारा किया गया तो राजनैतिक, सामाजिक और समाज के ठेकेदारों की चुप्पी दर्शाती है कि नियम कानून केवल असमर्थ व्यक्तियों के लिये ही होते हैं और कहा भी गया है कि समरथ को नही दोष गोसांई।
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