भोपाल। अखबारों में रिपोर्टिंग के लिए पत्रकारों को नियुक्त किया जाता है। वो जाते हैं, अपनी आखों से देखते हैं, प्रमाण जुटाते हैं और दुनिया को सच बताते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार अब अखबार मालिकों को इस खर्चीली रिपोर्टिंग से राहत देने की योजना पर काम कर रही है। भाजपा के स्टेट ब्यूरोचीफ प्रभात झा ने अपने महामंत्री राकेश सिंह को कांग्रेस की रिपोर्टिंग पर लगा दिया है। उनकी पहली रिपोर्ट भी आ गई है।
कटनी से रिपोर्टिंग कर लौटे राकेश सिंह ने बताया है कि कांग्रेस का आंदोलन बिफल हो गया है। वहां किसान थे ही नहीं, मजबूरी में कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं को बुलाया और भीड़ दिखाई। इस मामले में अपन चर्चा करेंगे, एक ब्रेक के बाद, लेकिन पहले पढ़िए राकेश सिंह की यह रिपोर्ट जो आज भाजपा मीडिया सेंटर से सभी अखबारों को रिलीज की गई।
दुष्प्रचार पर टिकी उम्मीदें ध्वस्त, जनसमर्थन के अभाव में कांग्रेस का आंदोलन विफल: राकेश सिंह
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री, सांसद राकेश सिंह ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार देश में किसानों के हित में क्रांतिकारी कदम मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उठाकर खेती को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में कारगर प्रयास किये गये, जिनका मध्यप्रदेश में किसानों ने भरपूर लाभ उठाया। जीरों प्रतिशत ब्याज पर फसल कर्ज देने में मध्यप्रदेश के प्रयास न केवल सराहे गये बल्कि देश में किसानों को लेकर एक नई बहस आरंभ हुई है।
ऐसे में कांग्रेस की दुष्प्रचार पर आधारित उम्मीदें तो ध्वस्त हुई, किसान आंदोलन में किसानों का टोटा पड़ गया। विवश होकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को लाना पड़ा। राकेश सिंह ने कहा कि हकीकत तो यह है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस राजनैतिक दल के रूप में अपनी प्रासंगिकता खो चुकी है। किसानों के लिए घडि़याली आंसू बहाकर कांग्रेस अपना घर संभालने की विफल कोशिश कर रही है।
राकेश सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश में 2003 में सत्ता में आने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से योजनाओं पर अमल किया है। इसी का नतीजा है कि प्रदेश में कृषि की विकास दर देश में सबसे अधिक 18 प्रतिशत पर पहुंची है। बिजली के क्षेत्र में सुधार का ही नतीजा है कि रबी, खरीफ का रकवा बढ़ा है। वर्ष 2011-12 में रबी उत्पादन का कीर्तिमान बना है। भारतीय जनता पार्टी ने ही समर्थन मूल्य में इजाफा करने के लिए लगातार संघर्ष किया ओर राज्य में सरकार के स्तर पर 100 रू. क्विंटल बोनस मध्यप्रदेश सरकार ने दिया। प्रदेश के दस लाख आठ हजार किसानों से 84 लाख टन गेंहू समर्थन मूल्य पर खरीदकर उन्हें 840 करोड़ रू. बोनस के रूप में और 11 हजार 634 करोड़ रू. गेंहू के मूल्य के रूप में दिये गये। समर्थन मूल्य पर खरीद की ई-पेमेंट व्यवस्था की देश भर में सराहना हुई।
राकेश सिंह ने कहा कि प्रदेश के किसानों ने कटनी में आयोजित कांग्रेस के किसान आंदोलन से दूरी बनाकर कांग्रेस की अवसरवादिता को आईना दिखा दिया है। किसानों की आड़ में विरोध प्रदर्शन में कतारवद्ध होने की कांगे्रसियों की कोशिशें बड़े नेताओं और किसानों के शामिल नहीं होने से धरी की धरी रह गयी। आंदोलन फ्लाप साबित हुआ है।
इस पूरी रिपोर्ट में यदि भाजपा का गुणगान हटा दिया जाए तो राकेश सिंह ने कुछ इस अंदाज में कहा है 'आंदोलन में किसान नहीं थे, कांग्रेस कार्यकर्ता थे' जैसे राकेश सिंह दरवाजे पर खड़े होकर सबके आईडी कार्ड चैक करके आए हों। इस मामले में अपने गुरु प्रभात से थोड़े कच्चे रह गए राकेश सिंह, नहीं तो वो संख्या भी जारी कर देते कि कितने किसान थे और कितने नेता।
मजेदार तो यह है कि राकेश सिंह की यह रिपोर्ट इतनी तेजी से मीडिया में रिलीज की गई, कि अखबारों के अपने वेतनभोगी रिपोर्टर भी पूरी खबर नहीं लिख पाए थे और संपादकों की टेबल तक प्रिंटआउट पहुंच गए थे।
अपने राम यह कतई नहीं कहते कि राजनीति न करो, विरोधियों की पोल न खोला, लेकिन थोड़ा सब्र तो करो बाबा। अखबारों में छप तो जाने दो फिर दर्ज कराना अपनी प्रतिक्रियाएं। इस तरह मीडिया के समाचार विभाग पर अतिक्रमण की कोशिशें क्यों कर रहे हो। आखिर ऐसा क्या कर रहे हो मध्यप्रदेश में कि मीडिया की निष्पक्ष रिपोर्टिंग से डर लगता है।