भोपाल। आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया को यदि राकेटमेन कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। वो सीधे दुश्मन के खेमे में घुसते हैं और फूट जाते हैं। विनम्रता, समझौता और जुलानिया तीनों का कोई संबंध नहीं है। इसका एक और उदाहरण बीते रोज जयपुर में देखने को मिला जब एक मीटिंग के दौरान जुलानिया ने राजस्थानीय अधिकारियों को सीधे सीधे यह कह डाला कि यदि 'गंभीरता से निर्णय नहीं लिया तो मध्यप्रदेश में घुसने नहीं दूंगा'।
लोग इसके कुछ भी अर्थ निकाल सकते हैं। समीक्षाओं का दौर शुरू हो गया है और लम्बा भी चल सकता है, लेकिन एक बात तय है कि इन कड़वे शब्दों के पीछे जुलानिया का कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं था। वो राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच जल विवाद निपटाने के लिए सोमवार को जयपुर में आयोजित बैठक में भाग लेने गए थे। इस मीटिंग में राजस्थान के कमांड एरिया डवलपमेन्ट (सीएडी) के प्रमुख सचिव संजय दीक्षित भी मौजूद थे।
दीक्षित ने मप्र जाकर बांधों में रोके जा रहे राजस्थान के हिस्से के पानी का निरीक्षण करने की बात कही थी। जुलानिया ने मुख्य सचिव सी.के मैथ्यू को मामले की जानकारी दी और जल विवाद जल्द सुलझाने की बात कही। जुलानिया ने कहा, ऎसा न होने पर दोनों प्रदेशों के तापीय व परमाणु ऊर्जा संस्थानों को पानी मिलना बंद हो जाएगा। फसलें भी सूख जाएंगी।
बैठक शुरू होने पर राजस्थान ने पहले के समझौते से मप्र पर बकाया चल रहे 102 करोड़ रूपए (ब्याज सहित 350 करोड़) जल्द देने की मांग की। मप्र के अधिकारियों ने मांग ठुकरा दी। राजस्थान ने पक्ष रखा कि अगर यह पैसा नहीं मिलता है, तो इसकी एवज में राजस्थान को उसके हिस्से का 1.1 मिलियन वर्ग फीट क्षेत्र का पानी छोड़ दे, ताकि इस पैसे की भरपाई हो सके। इस पर मध्यप्रदेश के अधिकारियों ने पानी का ऎसा कोई हिस्सा होने से ही मना कर दिया।
प्रेशस के इस खेल का अंत आईएएस राधेश्याम जुलानिया ने किया। उन्होंने कड़े शब्दों में स्पष्ट कर दिया कि जनहित के मामलों में बहुत देर तक लटकाया नहीं जाना चाहिए। यदि ऐसा किया गया तो मुश्किल होगी। भले ही जुलानिया के खिलाफ अब कई तरह की प्रतिक्रियाएं आएं लेकिन वो अपने टारगेट को अचीव करने में सफल रहे। उन्होंने इस मामले की ओर पूरे देश का ध्यान खींच लिया।
देश में कहीं भी आने-जाने का संवैधानिक अधिकार हर व्यक्ति को है, लेकिन मध्यप्रदेश के अधिकारियों ने धमकी देकर इसका उल्लंघन ही किया है।
संजय दीक्षित
प्रमुख सीएडी सचिव
राजस्थान के अघिकारी खुद कोई जानकारी नहीं देना चाह रहे थे, लेकिन निरीक्षण करना चाहते थे। हमने मना कर दिया।
राधेश्याम जुलानियाप्रमुख जल संसाधन सचिव, मध्यप्रदेश