भोपाल। पुलिस थानों में रिपोर्ट दर्ज कराना कितना मुश्किल होता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज पुलिस अधिकारियों की बैठक में गृहमंत्री को आदेश देना पड़ा कि कम से कम सरकारी अधिकारियों के आवेदनों पर तो एफआईआर दर्ज करो।
मध्यप्रदेश पुलिस के हालात इससे कहीं ज्यादा बदतर है। एक अदद रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए आम आदमी को कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं, ये सभी जानते हैं। पुलिस विभाग के बुलंद हौंसले तो देखिए कि वो शासकीय अधिकारियों तक के आवेदन पर कार्रवाई नहीं करते। जब यह मामला गृहमंत्री तक पहुंचा तो उन्होंने भी केवल एक निर्देश जारी कर इतिश्री कर ली। उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया जिन्होंने शासकीय अधिकारियों की शिकायतों को डस्टबिन में डाल रखा है।
गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने केवल इतना कहा कि शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा एफ.आई.आर. दर्ज करवाने के लिये दिये गये आवेदन पर तुरंत प्रकरण दर्ज किया जाये। गृह मंत्री ने कहा कि एफ.आई.आर. दर्ज करने के बाद प्रकरण से संबंधित दस्तावेज लेकर पूरी जाँच करें। उन्होंने कहा कि जाँच के बाद नियमानुसार कार्यवाही की जाये। गृह मंत्री ने कहा कि पुलिस थानों में एफ.आई.आर. दर्ज करने में अनावश्यक विलम्ब नहीं किया जाये।