भोपाल। अध्यापकों के वेतन मामले में मध्यप्रदेश सरकार फिलहाल झुकने को तैयार नहीं, लेकिन उन्होंने समझौते का एक दरवाजा खुला छोड़ा है। सरकार की ओर से प्रवक्ता संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इसी सप्ताह में सीएम के साथ मीटिंग के बाद मामले को सुलझा लिया जाएगा, लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि हड़ताल गैरकानूनी है।
मंत्री ने कहा कि जिन शिक्षा कर्मियों को कांग्रेस की दिग्विजय सरकार ने 500 रुपए में रखा था, उन्हें इससे कई गुना वेतन मिल रहा है। उन्होंने दो बार व्यापमं की पात्रता परीक्षा में असफल रहे गुरुजियों को एक और मौका देकर नियमित करने से इंकार किया। विपक्षी सदस्यों ने सरकार के जबाव से असंतुष्ट होकर सदन से वाकआउट किया।
हड़ताल से स्कूलों में शिक्षण कार्य प्रभावित होने का यह मामला बसपा विधायक रामलखन सिंह, कांग्रेस के सुखदेव पांसे सहित पंद्रह विधायकों ने ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए उठाया था। स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री नाना भाउ मोहोड़ ने जबाव में कहा कि जिन अध्यापकों को 2007 में 2500 रुपए मिल रहे थे, अब चार गुना तक वेतन दिया जा रहा है। अध्यापक छात्र हित के विपरीत हड़ताल पर गए हैं। स्कूलों में अतिथि शिक्षकों के जरिए शिक्षण कार्य कराया जा रहा है।
संसदीय कार्य मंत्री मिश्रा ने कहा कि पांच हजार पाने वाले 17 हजार, चार हजार वाले 13 हजार और तीन हजार वाले अब 10 हजार रुपए वेतन पा रहे हैं। यह संवर्ग नगरीय प्रशासन और पंचायत विभाग के तहत आता है।
कांग्रेस विधायक रावत ने कहा कि यह जिन विभागों के तहत आते हैं, उन्हीं की तरह छठवां वेतनमान क्यों लागू नहीं किया जा रहा है? तबादले की नीति भी नहीं बनाई जा रही है। निर्दलीय विधायक पारस सकलेचा ने कहा कि अगर अध्यापक संवर्ग नगरीय प्रशासन और पंचायत विभाग के तहत है तो फिर सदन में जबाव स्कूल शिक्षा मंत्री क्यों देते हैं?
मंत्री ने कहा कि कोई हड़ताल पर नहीं है, हमने जांच करा ली है। वेतनमान का मामला वित्तीय है, इस पर अध्यापकों के प्रतिनिधियों मुरलीधर पाटीदार तथा अन्य से मुख्यमंत्री की चर्चा के बात सहानुभूति पूर्वक निर्णय लिया जाएगा। चर्चा ज्ञापन के बिंदुओं पर ही होगी। व्यापमं की परीक्षा पास कर चुके गुरुजियों को संविदा शिक्षक पदस्थ करने की प्रक्रिया जारी है।