BANK कभी भी हड़प सकता है आपका पैसा: नया कानून | NATIONAL NEWS

विकास जोशी/नई दिल्ली। यह आपके लिए नोटबंदी से भी ज्यादा चौंकाने वाली खबर है। आपकी जिंदगी भर की जमापूंजी (SAVING/ INVESTMENT) जिसे आपने BANK में इसलिए रखा है, क्योंकि वो वहां सुरक्षित रहेगी, अब खतरे में हैं। बैंक कभी भी आपकी जमापूंजी हड़प सकता है। आपको आपकी FD या सेविंग खाते में मौजूद पैसे का भुगतान करने से इंकार कर सकता है। नरेंद्र मोदी सरकार के नए कानून FRDI BILL में बैंकों को इस तरह के अधिकार दिए जा रहे हैं। यह कानून संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होगा और विपक्षी सांसदों की संख्या काफी कम होने के कारण पूरी उम्मीद है कि पास भी हो जाएगा। इसका पूरा नाम है फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल -2017.  (FINANCIAL RESOLUTION AND DEPOSIT INSURANCE BILL 2017)

आपकी गाढ़ी कमाई होगी बैंक की
सबसे बड़ा सवाल बैंकों में रखे आपके पैसे को लेकर है। यह बिल बैंक को अधिकार देता है कि वह अपनी वित्तीय स्थ‍िति बिगड़ने की हालत में आपके जमा पैसे लौटाने से इनकार कर दे और इसके बदले आपको सिक्योरिटीज अथवा शेयर दे दे। 

क्या है एफआरडीआई बिल
फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल (एफआरडीआई बिल) वित्तीय संस्थानों के दिवालिया होने की स्थिति से निपटने के लिए बनाया गया है। जब भी कोई बैंक अपना कारोबार करने में सक्षम नहीं होगा और वह अपने पास जमा आम लोगों के पैसे लौटा नहीं पाएगा, तो उस बैंक को इस संकट से उभारने में मदद करेगा ये एफआरडीआई बिल। किसी भी बैंक, इंश्योरेंस कंपनी और अन्य वित्तीय संस्थानों के दिवालिया होने की स्थ‍िति में उसे इस संकट से उभारने के लिए यह कानून लाया जा रहा है।

आम आदमी के लिए इसलिए है चिंताजनक
इस प्रस्तावित कानून में 'बेल इन' का एक प्रस्ताव दिया गया है। अगर इस प्रस्ताव को मौजूदा मसौदे के हिसाब से लागू कर दिया जाता है, तो बैंक में रखे आपके पैसों पर आपसे ज्यादा बैंक का अधिकार हो जाएगा। इससे बैंकों को एक खास अधिकार मिल जाएगा। बैंक अगर चाहें तो खराब वित्तीय स्थ‍िति का हवाला देकर आपके पैसे लौटाने से इनकार कर सकते हैं। इसके बदले वह आपको शेयर्स व अन्य प्रतिभूति दे सकते हैं। जिसे आप न चाहें, तो भी लेना होगा।

क्या होता है बेल-इन
बेल-इन का साधारण शब्दों में मतलब है कि अपने नुकसान की भरपाई कर्जदारों और जमाकर्ताओं की जेब से करना। इस बिल में यह प्रस्ताव आने से बैंकों को भी यह अधिकार मिल जाएगा। जब उन्हें लगेगा कि वे संकट में हैं और उन्हें इसकी भरपाई करने की जरूरत है, तो वह आम आदमी के जमा पैसों का इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे। इस मामले में सबसे डरावनी बात यह है कि बैंक आपको ये पैसे देने से इनकार भी कर सकते हैं। हालांकि वित्त मंत्री अरुण  जेटली ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह परिभाषित करने के लिए कहा है, जो फिलहाल मसौदे में किया नहीं गया हैं

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