रायपुर। काला चश्मा पहनकर पीएम नरेन्द्र मोदी से शेकहेण्ड करने वाले कलेक्टर अमित कटियार को सोशल मीडिया पर भरपूर सपोर्ट मिल रहा है। एक्सपर्ट पैनल भी कटियार के साथ है। यहां हम यह भी बता दें कि कटियार एक बेहद ईमानदार और डाउन टू अर्थ कलेक्टर हैं। केवल 1 रुपए सेलेरी लेते हैं।
वह जहां भी तैनात रहे उन्होंने बिना राजनीतिक दवाब से कामकाज किया, जिससे वहां का प्रशासन चुस्त और दुरुस्त रहा। कटारिया रायपुर नगर निगम के कमिश्नर बने तब पूरी राजधानी अतिक्रमण के दर्द से कराह रही थी। रायपुर रेलवे स्टेशन सहित चौपाटी एरिया और अन्य महत्वपूर्ण मार्ग पूरी तरह से अतिक्रमण की गिरफ्त में थे। जहां से गुजरना लोग समय की बर्बादी मान चुके थे लेकिन अपने पदस्थापन के बाद इस युवा अधिकारी ने जो कर दिखाया वह लोगों के लिए एक मिसाल है। बिना किसी दबाव की परवाह किए कटारिया इन इलाकों को अतिक्रमण से मुक्त करा दिया। कहा जाता है कि इसलिए कटारिया की नेताओं से नहीं बनती है।
सम्पन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाले अमित कटारिया एक और खास बात है। वह एक रुपए सैलरी लेकर जनता की सेवा करते हैं। बात 2008 की है। तब वह रायपुर में बतौर जिला पंचायत सीईओ के पद पर नियुक्त हुए थे। उस दौरान उन्होंने सरकार से अपना वेतन सिर्फ एक रुपए लेने का फैसला लिया था। अपने इस निर्णय के बाद वह पूरे प्रदेश में चर्चा में आ गए। इसके बाद से लेकर वह अब तक अपने इस निर्णय पर कायम हैं। अभी भी बस्तर जिला कलेक्टर के रुप में कटारिया सिर्फ एक रुपए की सैलरी ही लेते हैं।
इससे पहले अमित कटारिया रायपुर जिला पंचायत सीईओ, रायपुर निगम कमिश्नर, रायगढ़ कलेक्टर सहित नया रायपुर डेवलपमेण्ट अथारिटी जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण दायित्व मात्र अपनी एक रुपए की सैलरी पर ही निभा चुके हैं।
लोग कटारिया को एक ईमानदार और तुनकमिजाज अफसर के तौर पर जानते हैं। सम्पन्न परिवार और बड़े ओहदे पर होने के बाद भी कटारिया के अंदर एक आम आदमी है। उनकी फेसबुक वॉल से ली गई यह तस्वीर इसकी मिसाल है। इस तस्वीर में अमित कटारिया एक बस्ती में बिछी पाइप लाइन से पानी पी रहे हैं।