सारंग इतने बेशर्म कैसे हो गए

भोपाल। उपदेश अवस्थी। इधर भारत की छाती पर वेदना की लाश रखी है। देश शोकमग्न है, आंदोलित है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी शोक जताया है, डीजीपी ने प्रदेश में हाईअलर्ट घोषित कर दिया है और भाजपा विधायक विश्वास सारंग हैं कि जन्मदिवस का जश्न मना रहे हैं। शोममग्न भोपाल की सड़कों पर रोड-शो हो रहा हैं। रैलियां निकालीं जा रहीं है। फिल्मी गीत बज रहे हैं। समझ नहीं आ रहा सारंग इतने बेशर्म कैसे हो गए।


आमजन की राजनीति और भोपाल से सारंग परिवार का कोई पचास साल पुराना रिश्ता है। कैलाश सारंग जी भोपाल और भोपाल के बाहर पूरे देश में उनके संपर्क में आने वाले लोगों के सुख दुख में हमेशा शामिल रहे। यही कारण रहा कि कैलाश जी को सबने सम्मान दिया। आदर दिया और जब विश्वास सारंग को उन्होंने राजनीति में उतारा तो उन्हें भी हाथों हाथ लिया। विधायक की कुर्सी तक पहुंचने में विश्वास सारंग का अपना कम कैलाश जी का योगदान ज्यादा है, ये सभी जानते हैं। विश्वास जी की पहचान आज भी कैलाश जी से ही होती है।


हम समझते थे कि विश्वास भी कैलाश जी की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे, लेकिन ये क्या वो तो जश्न मना रहे हैं। दिल द्रवित है, मन सन्न रह गया है। शब्द सूझ नहीं पड़ रहे हैं। आज सुबह से ही सबकुछ अजीब सा है। सुबह सवेरे जब भजन सुनने के बाद टीवी पर समाचार चैनल लगाए तो पता चला कि सिंगापुर इलाज के लिए रिफर की गई गैंगरेप पीड़िता की मौत हो गई है।

वो केवल गैंगरेप पीड़िता नहीं थी, कानून में मौजूद उनकी खामियों का सबूत थी तो अपराधियों के हौंसले बुलंद करते है और लोगों के मन से कानून का डर खत्म कर देते हैं। पिछले 13 दिन से देश आंदोलित है। भारत में शायद यह पहला आंदोलन है जो बिना नेतृत्व के लगातार संचालित हो रहा है। भारत का आम आदमी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। सुरक्षा की मांग कर रहा है।

भोपाल भी इससे अछूता नहीं है। यहां भी प्रदर्शन हुए, हो रहे हैं। शोक की लहर है। उस मृतका ​से किसी का कोई रिश्ता नहीं है, लेकिन हरकोई शोकमग्न है। ऐसे में विश्वास सारंग जन्मदिवस का जश्न मना रहे हैं। घर से आफिस के लिए निकला तो दो स्थानों पर रोड शो देखने को मिले। पहला अशोकागार्डन से प्रेस काम्पलेक्स की ओर जा रहा था और दूसरा बोर्डआफिस चौराहे पर लालबत्ती के तमाम नियमों को धता बता हुए चौराहा क्रास कर रहा था।

समझ नहीं आ रहा कि ये कैसा जश्न है जो स्थगित नहीं किया गया। क्यों स्थगित नहीं किया गया। क्या इसे तुरंत रोक नहीं दिया जाना चाहिए। आम आदमी के वोट से चुनाव जीतने वाले विश्वास सारंग को को कैलाश जी ने, उनकी भाजपा ने इतने भी संस्कार नहीं दिए।

अब मर्यादित शब्द लिखने की हिम्मत नहीं रही। आप सब समझदार हैं।


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