Space में हीरों से भरा हुआ ग्रह मिला, गोल नहीं अंडाकार है

नई दिल्ली, 17 दिसम्बर 2025
: नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (Webb) का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने एक अत्यंत दुर्लभ प्रकार के एक्सोप्लैनेट (हमारे सौर मंडल के बाहर का ग्रह) का अवलोकन किया है, जिसकी वायुमंडलीय संरचना हमारे समझने के तरीके को चुनौती देती है कि ग्रह कैसे बनते हैं। क्यों​कि यह ग्रह गोल नहीं बल्कि अंडाकार है। दूसरी आश्चर्यजनक बात यह है कि इस ग्रह में ऐसी सामग्री है जिससे हीरे बनते हैं। 

What Happened

1. अद्वितीय ग्रह की खोज: वैज्ञानिकों ने PSR J2322-2650b नामक एक बृहस्पति-द्रव्यमान वाली वस्तु की खोज की। यह ग्रह एक पल्सर की परिक्रमा करता है। पल्सर एक तेजी से घूमने वाला न्यूट्रॉन तारा होता है।
2. हीरे का ग्रह: इस ग्रह का वायुमंडल हीलियम और कार्बन से बना है। इसकी संरचना वैज्ञानिक अपेक्षाओं से पूरी तरह अलग थी। इस ग्रह पर कालिख (soot) के बादल तैरते होंगे, और ग्रह के भीतर, ये कार्बन बादल घनीभूत होकर हीरे बना सकते हैं। इसके मतलब हुआ कि यह ग्रह हीरों से भरा हुआ हो सकता है। 
3. असामान्य वायुमंडल: यह एक नए प्रकार के ग्रह का वायुमंडल है जो पहले कभी नहीं देखा गया है। सामान्यतः, वैज्ञानिक एक्सोप्लैनेट पर पानी, मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसे सामान्य अणुओं को देखने की उम्मीद करते हैं, लेकिन उन्हें आणविक कार्बन (विशेष रूप से C3 और C2) मिला। लगभग 150 ग्रहों में से, जिनका अध्ययन किया गया है, किसी में भी इतना पता लगाने योग्य आणविक कार्बन नहीं पाया गया है।
4. अति-तीव्र कक्षा: यह ग्रह अपने तारे (पल्सर) के बहुत करीब है, केवल 10 लाख मील दूर है। तुलना के लिए, पृथ्वी सूर्य से लगभग 10 करोड़ मील दूर है। अपनी अत्यधिक तंग कक्षा के कारण, इस एक्सोप्लैनेट का पूरा वर्ष सिर्फ 7.8 घंटे का होता है। पल्सर के गुरुत्वाकर्षण बल इस बृहस्पति-द्रव्यमान वाले ग्रह को एक अजीब नींबू के आकार में खींच रहे हैं।

What is the Benefit/Advantage

1. नई जानकारी: यह खोज उस जानकारी को चुनौती देती है जो हमारे पास है कि ग्रह कैसे बनते हैं। इस ग्रह की अत्यधिक कार्बन-समृद्ध संरचना इसे किसी भी ज्ञात निर्माण तंत्र से अलग करती है। यह वायुमंडल एक बड़ी पहेली है जिसका पीछा करना वैज्ञानिकों के लिए एक रोमांचक चुनौती है।
2. बेहतर अध्ययन: यह ग्रह एक पल्सर की परिक्रमा करता है, जो मुख्य रूप से गामा किरणें और उच्च-ऊर्जा कण उत्सर्जित करता है, जिन्हें वेब की इन्फ्रारेड दृष्टि नहीं देख पाती है। चूंकि बीच में कोई चमकीला तारा नहीं था, वैज्ञानिकों को एक बहुत ही 'पवित्र स्पेक्ट्रम' (प्रिस्टीन स्पेक्ट्रम) मिला। इसका मतलब है कि वे सामान्य एक्सोप्लैनेट की तुलना में इस प्रणाली का अधिक विवरण में अध्ययन कर सकते हैं।
3. वेब की क्षमता का प्रदर्शन: यह खोज केवल वेब टेलीस्कोप ही कर सकता था। इसकी इन्फ्रारेड दृष्टि और उत्कृष्ट संवेदनशीलता के कारण, यह खोज संभव हो पाई। पृथ्वी से ऐसी वेधशालाएं संभव नहीं हैं। यह दिखाता है कि वेब दूर की दुनिया के रहस्यों को सुलझाने में कितना महत्वपूर्ण है।

संक्षेप में, यह खोज एक अज्ञात प्रकार के ग्रह को दिखाती है, जो हमें सिखाती है कि ब्रह्मांड में ग्रह निर्माण की प्रक्रिया हमारे विचार से कहीं अधिक अजीब और विविध हो सकती है। यह वैज्ञानिक ज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाती है।

Analogy
इस खोज को इस तरह समझा जा सकता है जैसे आप किसी गुब्बारे को फुलाने के लिए पानी का उपयोग करने की कोशिश कर रहे थे, और अचानक, आपको पता चला कि एक गुब्बारा हवा के बजाय, तरल सोने से फूला हुआ है। यह ग्रह (PSR J2322-2650b) हमारे ग्रह निर्माण के 'नियमों' का पालन नहीं करता, जो इसे ब्रह्मांड की प्रयोगशाला में अध्ययन के लिए एक विशेष और रहस्यमय नमूना बनाता है।
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