भोपाल, 29 दिसंबर 2025: प्रतिष्ठित पत्रकार श्री राजीव सोनी की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि मध्य प्रदेश में पिछले 22 साल से सिविल सेवा नाट्य मंडल की गतिविधियां ठप हैं और Science Direct में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार यदि आप लोगों को क्रिएटिव काम नहीं देंगे तो वह अपने आप सत्ता के प्रति नेगेटिव हो जाएंगे। अब प्रश्न उपस्थित होता है कि क्या यही कारण है जो, सातवां वेतनमान और भरपूर छुट्टियों के बाद भी मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारी सरकार के प्रति नेगेटिव माइंड सेट रखते हैं?
22 साल से ठप हैं कर्मचारियों की रंगमंच गतिविधियां: राजीव सोनी की रिपोर्ट
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हाल ही में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का वार्षिक मिलन समारोह (IAS MEET) संपन्न हुआ है। सभी अधिकारी अपने परिवार के साथ आए और सांस्कृतिक एवं खेल गतिविधियों में भाग लिया। यह उनके लिए आनंद के दो दिन थे जो अगले 1 साल तक याद रहेंगे। इधर प्रतिष्ठित पत्रकार श्री राजीव सोनी अपनी रिपोर्ट में बताती है कि 22 साल पहले तक, विल सेवा खेल मंडल के तहत सांस्कृतिक गतिविधियों में प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारियों की भागीदारी रहती थी। वर्ष 2001 में भोपाल के रवींद्र भवन में मध्यप्रदेश ने आयोजक की भूमिका निभाई थी, लेकिन इसके बाद यह सिलसिला बंद हो गया। वर्ष 2006 और 2007 तक नाटक टीम का होता रहा परंतु सरकारी रवैया के कारण यह गठन भी बंद हो गया। जबकि 2001 से पहले तक मध्य प्रदेश को श्रेष्ठ रंग गर्मियों का राज्य कहा जाता था।
भोपाल समाचार डॉट कॉम की पड़ताल
इस रिपोर्ट के आधार पर हमने यह जानने का प्रयास किया कि, मध्य प्रदेश के कर्मचारियों में तेजी से बढ़ता नैतिकता का अभाव, रिश्वत वसूली के लिए नियमों से खिलवाड़, निरंकुशता (हाल ही में एक व्यक्ति को भोपाल में इसलिए मारा पीटा गया क्योंकि वह रिश्वत देने को तैयार नहीं था। उसके खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा का मामला भी दर्ज करवाया गया। वीडियो वायरल हुआ था), एवं सरकार के खिलाफ नेगेटिव माइंडसेट बनता जा रहा है।
साइंस डायरेक्ट पत्रिका में (Journal of Creativity Volume 34, Issue 2, August 2024) इस बारे में बड़ी रिसर्च रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। वैसे तो यह रिसर्च Creativity, Mental health, Art, Writing, Music, Crafts, Cognitive flexibility के बारे में थी लेकिन इसमें यह भी बताया गया है कि रचनात्मक गतिविधियां बंद हो जाने से व्यक्ति का भावनात्मक नियंत्रण बिगड़ जाता है। उसका माइंडसेट नेगेटिव हो जाता है और कई बार डिप्रेशन में भी चला जाता है।
एक अन्य रिसर्च में RCT (Randomized Controlled Trial) ने दिखाया कि कला-आधारित प्रोग्राम में शामिल लोगो का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हुआ, जबकि नियंत्रण समूह में (खड़े अनुशासन में) समय के साथ स्वास्थ्य कमज़ोर हुआ। इसका मतलब यह है कि क्रिएटिव गतिविधियों में भाग न लेने से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव देखे जा सकते हैं।
निष्कर्ष:-
मध्य प्रदेश सरकार एवं मध्य प्रदेश शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को, खास तौर पर मुख्य सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को इस बारे में विचार करना चाहिए। कहीं ऐसा तो नहीं की एक छोटी सी गतिविधि बंद कर देने के कारण कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी कम हो रही है। रंगमंच कर्मचारियों में नैतिकता का भाव लाता है। कहीं ऐसा तो नहीं की सांस्कृतिक गतिविधियां नहीं होने के कारण कर्मचारी निरंतर रिश्वतखोर होते जा रहे हैं?
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