बालाघाट, 17 दिसंबर 2025: बालाघाट के कलेक्टर श्री मान मीणा ने एक उच्च श्रेणी शिक्षक को सस्पेंड कर दिया। शिकायत एवं सूचना के बाद प्राथमिक जांच में पाया गया कि उच्च श्रेणी शिक्षक सोशल मीडिया पर नेतागिरी कर रहा था। सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद सरकार की आलोचना कर रहा था। याद रखिए मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियम के अनुसार सरकारी कर्मचारियों को पॉलिटिक्स करने और सरकारी नीतियों की आलोचना करने का अधिकार नहीं है। केवल कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी, कर्मचारियों से जुड़ी नीतियों के बारे में प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। उनका उद्देश्य कर्मचारी हित होना चाहिए।
सरकारी शिक्षक का राजनीति करना बिल्कुल अनुचित: कलेक्टर
दरअसल, शिक्षक सुनील मेश्राम ने अपने फेसबुक अकाउंट से मध्य प्रदेश शासन और सरकार के खिलाफ टिप्पणियां की थीं, जिसे प्रशासन ने बेहद गंभीरता से लिया। 4 दिसंबर 2025 को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और स्पष्टीकरण मांगा गया। लेकिन 8 दिसंबर को दिया गया जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया। कलेक्टर का कहना है कि ऐसे कृत्य से शासन की इमेज खराब होती है और शिक्षक जैसे सम्मानित पद पर रहते हुए यह आचरण बिल्कुल अनुचित है। इसी वजह से मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 के तहत उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। निलंबन की अवधि में उनका मुख्यालय सहायक परियोजना प्रशासक कार्यालय, एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना, बैहर रखा गया है।
सरकारी कर्मचारियों के लिए फ्रीडम ऑफ स्पीच नहीं है
यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकारी शिक्षक होने के नाते सोशल मीडिया पर राजनीतिक टिप्पणियां करना सिविल सर्विस रूल्स का सीधा उल्लंघन माना जाता है। लोकल स्तर पर लोग इसे लेकर अलग-अलग राय रख रहे हैं, कुछ इसे अनुशासन की मिसाल बता रहे हैं तो कुछ फ्रीडम ऑफ स्पीच का मुद्दा उठा रहे हैं, लेकिन नियम तो नियम हैं भाई, सरकारी नौकरी में न्यूट्रल रहना पड़ता है।
मध्यप्रदेश और आसपास के राज्यों में सोशल मीडिया पर सरकार या पीएम के खिलाफ टिप्पणी करने पर शिक्षकों के निलंबन के कुछ पुराने केस मिले हैं, जैसे छत्तीसगढ़ में कुछ मामलों में सख्त एक्शन हुआ था। बालाघाट जिले में पहले भी कलेक्टर मृणाल मीना ने अनुशासन संबंधी कार्रवाइयां की हैं, लेकिन यह वाला केस खास तौर पर पॉलिटिकल कमेंट्स से जुड़ा है।
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