नई दिल्ली, 11 दिसंबर 2025: मध्य प्रदेश के सागर जिले में बहुचर्चित निलेश आदिवासी सुसाइड मामले ने अब सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम आदेश में मध्य प्रदेश पुलिस महानिदेशक को तीन सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाने के लिए कहा है। इस जांच में पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह की कथित भूमिका पर भी रोशनी डाली जाएगी, क्योंकि निलेश की पत्नी रेवाबाई ने उन पर और उनके सहयोगियों पर प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए हैं। कोर्ट ने साफ कहा कि मामले की परिस्थितियां निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग करती हैं, और लोकल पुलिस से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती।
सागर का निलेश आदिवासी सुसाइड केस
यह मामला 25 जुलाई 2025 को तब सुर्खियों में आया जब 42 वर्षीय आदिवासी युवक निलेश आदिवासी ने मालथौन कस्बे के अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उनकी पत्नी रेवाबाई ने आरोप लगाया कि निलेश को राज्य के पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह और उनके हेंचमैन रघुवेंद्र परिहार उर्फ छुनू, नितिन जैन उर्फ निक्की तथा अजित राय द्वारा लगातार प्रताड़ित किया गया। रेवाबाई के मुताबिक, निलेश को 10 लाख रुपये का लालच देकर बीजेपी नेता गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ फर्जी SC/ST एक्ट के तहत FIR दर्ज कराने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
इससे नाराज होकर उन्हें अपहरण, मारपीट और धमकियों का शिकार बनाया गया, जो आखिरकार उनकी मौत का कारण बनी। रेवाबाई ने 27 जुलाई और 3 अगस्त को लोकल थाने में शिकायतें कीं, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने SIT के लिए गाइडलाइन भी जारी की है
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची शामिल थे, ने FIR 329/2025 और संबंधित रिकॉर्ड को तुरंत SIT के कब्जे में लेने का आदेश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि दो दिनों के अंदर SIT का गठन हो, जांच फौरन शुरू हो और एक महीने में पूरी की जाए। SIT के प्रमुख के रूप में एमपी कैडर के बाहर से आए डायरेक्ट रिक्रूट सीनियर सुपरिटेंडेंट रैंक के IPS अधिकारी को चुना जाए, ताकि निष्पक्षता बनी रहे। टीम का दूसरा सदस्य एक युवा IPS अधिकारी होगा, जिसकी कोई जड़ें मध्य प्रदेश में न हों, जबकि तीसरा सदस्य डिप्टी सुपरिटेंडेंट से ऊपर रैंक की महिला पुलिस अधिकारी होगी।
कोर्ट ने गवाहों की सुरक्षा पर खास जोर दिया। रेवाबाई सहित किसी भी विटनेस को प्रभावित न करने और विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम को सख्ती से लागू करने के आदेश दिए गए। साथ ही, निलेश के भाई नीरज आदिवासी और पूरे परिवार पर किसी भी दमनकारी कार्रवाई पर पूर्ण रोक लगा दी गई।
निलेश के भाई ने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को जिम्मेदार बताया था
नीरज ने पुलिस बयान में गोविंद सिंह राजपूत समेत कुछ अन्य लोगों को जिम्मेदार ठहराया था, जिसके बाद राजपूत के खिलाफ केस दर्ज हुआ। राजपूत ने गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की, जहां रेवाबाई की याचिका के साथ उनकी सुनवाई चल रही थी।
कोर्ट ने विभिन्न बयानों और परिस्थितियों को देखते हुए गोविंद सिंह राजपूत की गिरफ्तारी पर फिलहाल अंतरिम राहत दी है। हालांकि, अगर SIT को कोई गंभीर आपत्तिजनक सामग्री मिलती है, तो कस्टोडियल इंटरोगेशन के लिए कोर्ट से अनुमति मांगी जा सकती है। इसके अलावा, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को रेवाबाई की रिट पिटीशन (नंबर 31491/2025) को इस आदेश को ध्यान में रखते हुए जल्द निपटाने का निर्देश दिया गया।
अन्य संबंधित अपडेट्स:
इस मामले से जुड़े पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह पर एक और गंभीर आरोप लगा है। जनवरी 2025 में सागर जिले में महिला अंजना अहिरवार और उनके परिवार के तीन सदस्यों की हत्या के मामले में भी परिवार ने भूपेंद्र सिंह पर जांच में बाधा डालने का आरोप लगाया। एक मां ने सुप्रीम कोर्ट में CBI जांच की मांग की, जिसमें कहा गया कि पूर्व मंत्री के राजनीतिक प्रभाव से पुलिस की जांच पटरी से उतर गई। कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया, लेकिन अभी फैसला लंबित है।
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