भोपाल, 14 दिसंबर 2025: मध्य प्रदेश में भाजपा की मोहन सरकार के 2 साल पूरे हो चुके हैं और पूरे प्रदेश में जश्न मनाया जा रहा है। इस बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव अचानक दिल्ली पहुंच गए और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। अब मध्य प्रदेश में लोग यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि दोनों के बीच क्या बातचीत हुई होगी। हम आपको बताते हैं कि ऐसे पांच मुद्दे हैं जिनको लेकर दोनों के बीच बातचीत अवश्य हुई।
मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार
मुख्यमंत्री ने हाल ही में सभी मंत्रियों की समीक्षा की है। मीडिया के सामने कुछ नहीं कहा गया लेकिन सरकारी सूत्र कहते हैं कि, श्री अमित शाह के निर्देश पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सभी मंत्रियों की फाइल बनाई है। इसमें सबके पॉजिटिव और नेगेटिव है। विजय शाह जैसे मंत्रियों के बारे में भी फैसला लेना है। और फिर सबको एडजस्ट भी करना है। वर्तमान में मुख्यमंत्री के पास 15 विभाग है। गृह मंत्रालय को फुल टाइमर मंत्री की जरूरत है। इसके अलावा निगम मंडल की जो लिस्ट तैयार हो गई है, इसकी घोषणा भी करनी है। दोनों के बीच बातचीत का यह सबसे प्रमुख मुद्दा रहा होगा।
शिवराज सिंह चौहान
पिछले कुछ दिनों में मध्य प्रदेश की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान अपने आप में एक बड़ा मुद्दा बन गए हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री होने के बावजूद वह नियमित रूप से मध्य प्रदेश में एक्टिव है और अपने नेटवर्क के संपर्क में है। पिछले दिनों उन्होंने अपने समाज के सम्मेलन में "यह सरकार मैंने बनाई, मुख्यमंत्री मुझे बनना चाहिए था" जैसा कुछ बोल गए थे। हाल ही में उन्होंने, केंद्रीय नेतृत्व से मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की शिकायत की है। कहा तो यह भी जा रहा है कि उन्होंने बिल्कुल लास्ट मिनट पर भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि बनूँगा तो मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनूँगा, नहीं तो कृषि मंत्री ही ठीक हूं। यही कारण है कि, चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई और नितिन नवीन को कार्यकारी अध्यक्ष बनना पड़ा।
राज्य के विकास और केंद्र से सहयोग पर चर्चा
पिछली कई मुलाकातों में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने, नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन, सहकारिता, नक्सल मुक्ति जैसी उपलब्धियों की समीक्षा और केंद्र से फंडिंग/प्रोजेक्ट्स पर बात हुई है। हाल ही में मध्य प्रदेश को नक्सल-मुक्त घोषित किया गया है, जिसे सीएम ने अमित शाह और पीएम मोदी की नीतियों का श्रेय दिया है। अब इसका फायदा भी उठाना है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया
दूसरे केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी पिछले कुछ दिनों में काफी तेजी से एक्टिव हुए हैं। पिछले दिनों उन्होंने अपनी पॉलिटिकल टेरिटरी का ऐलान कर दिया था। इसमें लगभग 30% मध्य प्रदेश आता है। ग्वालियर में प्रभारी मंत्री के नाम पर बैठक बुलाई जाती है और फिर स्वयं बीच की कुर्सी पर बैठकर एक महाराज की तरह अधिकारियों को दिशा निर्देश देते हैं। इस समस्या का समाधान भी चाहिए।
बढ़ता हुआ विरोध और उसका समाधान
पिछले दिनों स्वयं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा था, वह मार्गदर्शन के लिए अक्सर दिल्ली जाते हैं। मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में मोहन सरकार का विरोध बढ़ रहा है। इस आग को भड़काने वालों में श्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के अलावा श्री शिवराज सिंह चौहान, श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ प्रचारक और भारतीय जनता पार्टी के कुछ बड़े नेताओं के नाम सामने आए हैं। मध्य प्रदेश में खुले तौर पर कहा जा रहा है कि 2028 का विधानसभा चुनाव डॉ मोहन यादव की लीडरशिप में नहीं लड़ा जाएगा। उपदेश अवस्थी।
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