समाज में कई आदतन अपराधी होते हैं। चोरी, लूट, ठगी, डकैती इत्यादि का अपराध एक से अधिक बार करते हैं। हर अपराध के लिए उन्हें समान सजा मिलती है लेकिन बलात्कार के मामले में ऐसा नहीं है। भारतीय न्याय संहिता में आदतन बलात्कारी के लिए Zero Tolerance की नीति का पालन किया जाता है। ऐसे अपराधी के लिए मृत्यु दंड और कम से कम उसकी मृत्यु तक उसे जेल में बंद रखने का प्रावधान है।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 71
भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 71 अभ्यस्त अपराधियों (repeat offenders) के लिए दंड के प्रावधानों से संबंधित है, जो विशेष रूप से गंभीर यौन अपराधों के लिए है।
इस धारा के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
• लागू होने की स्थिति: यह धारा उस व्यक्ति पर लागू होती है जिसे पहले नीचे दी गई किसी भी धारा के तहत दोषी ठहराया जा चुका है और वह दोबारा इनमें से किसी भी अपराध के लिए दोषी पाया जाता है:
1. धारा 64: बलात्कार (Rape) के लिए दंड।
2. धारा 65: कुछ विशेष मामलों में बलात्कार के लिए दंड (जैसे 16 या 12 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ बलात्कार)।
3. धारा 66: पीड़िता की मृत्यु या उसके लगातार वानस्पतिक अवस्था (persistent vegetative state) में रहने का कारण बनने वाले अपराध के लिए दंड।
4. धारा 70: सामूहिक बलात्कार (Gang rape) के लिए दंड।
कठोर दंड का प्रावधान:
यदि कोई व्यक्ति इन अपराधों को दोहराता है, तो उसे निम्नलिखित में से किसी एक दंड से दंडित किया जाएगा:
- आजीवन कारावास: जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास होगा।
- मृत्युदंड (Death Penalty): अदालत उसे मौत की सजा भी सुना सकती है।
निष्कर्ष: यह धारा यौन अपराधों के मामलों में अपराधियों के प्रति शून्य सहिष्णुता (Zero Tolerance) की नीति को दर्शाती है, जहाँ बार-बार अपराध करने वालों के लिए केवल दो ही सजाएं निर्धारित हैं: शेष जीवन जेल में बिताना या मृत्युदंड। यह प्रावधान समाज में यौन अपराधों को रोकने के लिए एक कड़े निवारक (deterrent) के रूप में कार्य करता है। लेखक: उपदेश अवस्थी (पत्रकार एवं विधि सलाहकार)।
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