इंदौर, 2 दिसंबर 2025: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार 1 दिसंबर की देर रात करीब साढ़े दस बजे इंदौर के दयालबाग क्षेत्र में संचालित आश्रय स्थल का अचानक निरीक्षण कर प्रशासनिक व्यवस्था की हकीकत को परखा। ठंड के मौसम में बेघर और जरूरतमंद लोगों के लिए चलाए जा रहे इस केंद्र में पहुंचकर उन्होंने न केवल वहां ठहरे लोगों से सीधा संवाद किया, बल्कि हर व्यक्ति को अपने हाथों से कंबल भी वितरित किए।
मुख्यमंत्री झाबुआ, दाहोद और इंदौर के मजदूरों से मिले
निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने झाबुआ, दाहोद और इंदौर के विभिन्न श्रमिकों तथा नर्मदा परिक्रमा कर लौट रहे एक परिक्रमावासी से उनकी दिनचर्या, सुविधाओं और समस्याओं की विस्तार से जानकारी ली। अधिकारियों से भी मौके पर ही व्यवस्थाओं का फीडबैक लिया गया। यह दौरा इसलिए खास रहा क्योंकि यह पूरी तरह अनौपचारिक और बिना किसी पूर्व सूचना के था, जिससे जमीनी स्तर पर चल रही व्यवस्थाओं की वास्तविक स्थिति सामने आई।
IARC ने इस प्रकार के निरीक्षण को सबसे प्रभावी बताया
ऐसे औचक निरीक्षण सिस्टम को दुरुस्त रखने में असाधारण रूप से कारगर साबित होते हैं। जब कोई वरिष्ठ अधिकारी या मुख्यमंत्री स्वयं बिना घोषणा के पहुंचते हैं तो निचले स्तर तक का अमला चौकस रहता है और कागजी खानापूर्ति की गुंजाइश कम हो जाती है। भारतीय प्रशासनिक सुधार आयोग की दूसरी रिपोर्ट (2008) में भी इस बात पर जोर दिया गया था कि अनियोजित निरीक्षण (surprise inspections) सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने का सबसे प्रभावी तरीका हैं।
विश्व बैंक की एक पुरानी स्टडी (2004) में भी पाया गया था कि जिन राज्यों में मुख्यमंत्री या मंत्री नियमित रूप से औचक दौरे करते हैं, वहां कल्याणकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने की दर 30-35 प्रतिशत तक अधिक रहती है।
CM डॉ मोहन यादव अक्सर ऐसे निरीक्षण करते हैं
मध्यप्रदेश में पिछले एक साल में डॉ. मोहन यादव ने कई बार इसी तरह रात में अस्पताल, थाने, आश्रय स्थल और छात्रावासों का निरीक्षण किया है और हर बार कुछ न कुछ कमियां सामने आने के बाद तत्काल सुधार के निर्देश दिए हैं। यह सिलसिला बताता है कि व्यक्तिगत निगरानी और सक्रियता से नौकरशाही में सुस्ती दूर की जा सकती है और योजनाएं सिर्फ फाइलों में नहीं, धरातल पर दिखाई देती हैं।
आश्रय स्थल से निकलने के बाद मुख्यमंत्री पास के श्री काल भैरव धाम भी पहुंचे और पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। यह छोटा सा दौरा एक संदेश भी था कि जनप्रतिनिधि और प्रशासन अगर चौबीसों घंटे जनता के बीच रहने को तैयार हों, तो व्यवस्थाएं अपने आप सुधरने लगती हैं।
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