Culpable Homicide क्या होता है और यह मर्डर से अलग कैसे हैं

कुल्पेबल होमिसाइड एक गंभीर अपराध है, जो किसी व्यक्ति की मौत का कारण बनने वाले कार्य को कवर करता है, लेकिन ये हमेशा मर्डर की कैटेगरी में नहीं आता। आसान भाषा में समझें तो कुल्पेबल होमिसाइड मतलब "सदोष मानव वध" या "दोषपूर्ण हत्या" यानी वो मौत जो लापरवाही, इरादे या ज्ञान के साथ हुई हो, जहां आरोपी को पता था कि उसका काम किसी की मौत का कारण बन सकता है।

अब भारत में ये नई भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS) की धारा 100 में डिफाइन किया गया है। पहले ये IPC की धारा 299 में था, लेकिन 1 जुलाई 2024 से BNS लागू हो गया। धारा 100 कहती है:

कोई व्यक्ति तब कुल्पेबल होमिसाइड का अपराध करता है जब उसके द्वारा किया गया कोई भी कार्य किसी की मौत का कारण बनता है, और ये कार्य तीन स्थितियों में से किसी एक के साथ होता है:
1. मौत करने का इरादा (intention of causing death)।
2. ऐसी शारीरिक चोट पहुंचाने का इरादा जो मौत का कारण बनने की संभावना रखती हो (intention of causing such bodily injury as is likely to cause death)।
3. ये ज्ञान कि उसका कार्य मौत का कारण बनने की संभावना रखता है (knowledge that the act is likely to cause death)।

उदाहरण से समझिए:

- अगर कोई व्यक्ति गुस्से में चाकू मारता है और मौत हो जाती है, लेकिन मर्डर की स्पेसिफिक एक्सेप्शंस नहीं लगतीं, तो कुल्पेबल होमिसाइड हो सकता है।
- तेज रफ्तार से गाड़ी चलाकर एक्सीडेंट करना, क्योंकि ड्राइवर को पता होता है कि निर्धारित से अधिक स्पीड में गाड़ी चलाने से एक्सीडेंट हो सकता है और किसी की मौत भी हो सकती है। ये भी कुल्पेबल होमिसाइड के अंतर्गत आता है।

The difference between culpable homicide and murder

मर्डर (BNS धारा 101) कुल्पेबल होमिसाइड का ही एक ज्यादा गंभीर रूप है, जहां इरादा बहुत क्लियर और खतरनाक होता है। अगर कुछ एक्सेप्शंस लग जाएं (जैसे ग्रेव प्रोवोकेशन), तो मर्डर, कुल्पेबल होमिसाइड नॉट अमाउंटिंग टू मर्डर बन जाता है, जिसकी सजा कम हो सकती है (BNS धारा 105)।

सरल शब्दों में, यदि आप कोई ऐसा काम करते हैं जो किसी की मौत का कारण बनता है तो कुल्पेबल होमिसाइड और यदि आपको ऐसा काम करते हैं जो उस व्यक्ति की मौत का कारण बनता है, जिसे आप मारना चाहते हैं तो मर्डर। यानी मर्डर में टारगेट फिक्स होता है, स्पष्ट होता है कि आप किसको और क्यों मारना चाहते हैं। कुल्पेबल होमिसाइड में टारगेट फिक्स नहीं होता, कोई भी व्यक्ति मर सकता है। 

सजा: कुल्पेबल होमिसाइड की सजा मौत की स्थिति और इरादे पर डिपेंड करती है (लाइफ इम्प्रिजनमेंट या कई साल की जेल तक हो सकती है)। ये नॉन-बेलेबल ऑफेंस है, मतलब पुलिस थाने से जमानत नहीं मिलती। मर्डर एक जघन्य ने अपराध है। इसमें उम्र कैद से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है।

ऐसे केस में कोर्ट इरादे और परिस्थितियों को गहराई से देखता है, क्योंकि ये मौत का मामला है। जिंदगी की कीमत बहुत बड़ी होती है। लेखक: उपदेश अवस्थी (पत्रकार एवं विधि सलाहकार)।
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