Drink and drive में सिर्फ ड्राइवर नहीं गाड़ी में बैठे सभी लोग जिम्मेदार: हाई कोर्ट

इंदौर, 23 दिसंबर 2025
: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने ड्रिंक एंड ड्राइव के बाद हुए एक्सीडेंट के मामले में ड्राइवर के पास वाली सीट पर बैठे हुए व्यक्ति को यह कहते हुए जमानत नहीं दी की ड्रिंक एंड ड्राइव में केवल ड्राइवर नहीं बल्कि गाड़ी में बैठे हुए सभी लोग जिम्मेदार होते हैं, क्योंकि सभी लोग नशे में धुत एक व्यक्ति को गाड़ी ड्राइव करने की मंजूरी देते हैं। इस प्रकार को अपराध में बराबर के भागीदार होते हैं। 

लापरवाही से वाहन चलाने वाले ड्राइवर को रोकना पैसेंजर की जिम्मेदारी

इंदौर के लसूड़िया क्षेत्र में 8 नवंबर 2025 की रात हुआ वो दिल दहला देने वाला हादसा फिर से सुर्खियों में है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने इस केस में एक आरोपी दीपांशु उर्फ अनुराग की जमानत अर्जी को सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि आरोपी उस वक्त स्कॉर्पियो की पैसेंजर सीट पर बैठा था और चाहता तो अपने साथी देवराज को 100 किमी प्रति घंटे से ज्यादा की स्पीड से गाड़ी दौड़ाने से रोक सकता था, लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया। इसलिए उसे बेल का फायदा नहीं मिल सकता।

बाइक से जा रहे कॉलेज स्टूडेंट्स को पीछे से टक्कर मारी थी

ये हादसा रात करीब 2 बजे हुआ था, जब तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने बाइक पर सवार तीन युवकों को जोरदार टक्कर मार दी। सीसीटीवी फुटेज में साफ रिकॉर्ड हुआ कि कैसे स्कॉर्पियो ने आयुष राठौर, श्रेयांश राठौर और कृष्णपाल सिंह तंवर को टक्कर मारी। आयुष और कृष्णपाल की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि श्रेयांश अब भी अस्पताल में जिंदगी और मौत से लड़ रहा है। तीनों खंडवा जिले के रहने वाले थे और इंदौर के प्रेस्टीज कॉलेज में बीटेक कर रहे थे। आयुष और श्रेयांश तो भाई-बहन जैसे करीबी रिश्तेदार थे।

स्कॉर्पियो में सवार चारों लोग नशे की हालत में थे

पुलिस जांच में पता चला कि स्कॉर्पियो में सवार शिवम, देवराज, दीपांशु और एक चौथा साथी सभी नशे की हालत में थे। देवराज गाड़ी चला रहा था। लसूड़िया पुलिस ने इनके खिलाफ भारत न्याय संहिता 2023 की धारा 105 (कुल्पेबल होमिसाइड), 110 (अटेम्प्ट टू कुल्पेबल होमिसाइड) और मोटर व्हीकल एक्ट की संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया। (कुल्पेबल होमिसाइड क्या होता है नहीं जानते तो यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं) हादसे के बाद आरोपी फरार हो गए थे, लेकिन पुलिस ने गाड़ी जब्त कर ली और एक आरोपी शिवम को डिटेन भी किया।

मृतकों के परिवार की तरफ से जमानत का कड़ा विरोध किया गया। उन्होंने दलील दी कि सभी आरोपी मिलकर नशे में थे और लापरवाही से गाड़ी चला रहे थे। हाईकोर्ट ने सभी पक्ष सुनने के बाद दीपांशु की बेल रिजेक्ट कर दी। ये फैसला उन परिवारों के लिए थोड़ी मन की शांति की तरह है जो अपने जवान बेटों को इतनी जल्दी खो बैठे। सड़क पर तेज रफ्तार और नशे में ड्राइविंग कितनी जानलेवा हो सकती है, ये हादसा उसकी मिसाल बन गया।

इस मामले में अभी जांच जारी है और बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी का इंतजार है। ऐसे हादसों से सबक लेते हुए ड्राइविंग करते वक्त जिम्मेदारी दिखाना कितना जरूरी है, ये हम सभी को याद रखना चाहिए।
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