BHOPAL NEWS: रश्मि वर्मा के डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ी, तानाशाह HOT मोहम्मद यूनुस को हटाया

भोपाल, 15 दिसंबर 2025
: तानाशाह हेड ऑफ़ द डिपार्टमेंट मोहम्मद यूनुस की प्रताड़ना से त्रस्त डॉक्टर रश्मि वर्मा मौत के मुहाने तक पहुंच गई है। डॉक्टर यूनुस का नोटिस मिलने के बाद डॉक्टर रश्मि ने आत्महत्या का प्रयास किया था। उनके पति एवं अन्य डॉक्टरों ने उनको बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। डॉ रश्मि, गरीब मरीजों के लिए भगवान का दूसरा रूप थी। योग्य और अनुभव भी होने के कारण अच्छा इलाज तो करती ही थी लेकिन यदि मरीज के पास दवाई के पैसे नहीं होते थे तो अपनी सैलरी से इलाज करवाती थी। 

7 मिनट तक दिल की धड़कन बंद हो गई थी

इधर रविवार को एम्स से जानकारी मिली कि हाई डोज इंजेक्शन ने डॉ. रश्मि का 7 मिनट तक दिल की धड़कन बंद कर दिया था, जिससे ब्रेन की कोशिकाएं गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुईं, जिसकी पुष्टि घटना के 72 घंटे बाद हुई एमआरआई टेस्ट से हुई। (एक जिम्मेदार पत्रकार होने के नाते हम यहां पर उस इंजेक्शन का नाम नहीं लिख रहे हैं जो डॉक्टर रश्मि की मृत्यु का कारण बना, क्योंकि हम नहीं जाते के लोगों को इस प्रकार की दवाइयां की कोई भी जानकारी हो। क्योंकि हम नहीं चाहते कि कोई भी रश्मि फिर से इस इंजेक्शन का उपयोग करे।)

AIIMS BHOPAL में टॉक्सिक वर्क कल्चर

इस पूरे घटनाक्रम को देश के सबसे संवेदनशील हेल्थ मामलों में बदल दिया गया है। इसी के साथ एम्स के अंदर के कथित टॉक्सिक वर्क कल्चर, विभागीय राजनीति और प्रशासनिक दबाव पर भी बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए छुट्टी के दिन एम्स प्रबंधन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की आपात बैठक हुई, जिसमें बड़े और कड़े फैसले लिए गए। एचओडी हटाए गए, विभाग को दो भाग में तोड़ा गया और अब पूरे मामले की हाई लेवल कमेटी से गोपनीय जांच होगी।

MRI REPORT: ग्लोबल हाइपोक्सिया ब्रेन की पुष्टि

रविवार को डॉ. रश्मि वर्मा की एमआरआई रिपोर्ट सामने आई, जिसने उनके परिवार, सहकर्मियों और पूरे संस्थान को झकझोर कर रख दिया। डॉक्टरों के अनुसार, वे “ग्लोबल हाइपोक्सिया ब्रेन” की स्थिति में पहुंच चुकी हैं। इसका मतलब है कि उनके पूरे मस्तिष्क को लंबे समय तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल सका।

यह स्थिति आमतौर पर कार्डियक अरेस्ट, डूबने, दम घुटने या गंभीर श्वसन विफलता के बाद होती है। इस दौरान मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। कई बार यह नुकसान स्थायी भी हो सकता है। विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि यह एक बेहद गंभीर मेडिकल इमरजेंसी होती है, जिसमें रिकवरी अनिश्चित रहती है।

अस्पताल से केनुला लगवाकर घर गई थीं

डॉक्टरों के मुताबिक, डॉ. रश्मि ने हाई डोज खुद को इंजेक्ट किया था। सबसे गंभीर बात यह रही कि वे अस्पताल से केनुला (IV लाइन) लगवाकर घर गई थीं, जिससे दवा सीधे नस में पहुंची और कुछ ही मिनटों में पूरे शरीर में फैल गई।

डॉ रश्मि का ब्रेन डैमेज हो गया है

जब तक उनके पति उन्हें एम्स लेकर पहुंचे, तब तक उनका दिल धड़कना बंद कर चुका था। इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टरों ने तत्काल रेससिटेशन शुरू किया और तीन बार सीपीआर दिया गया। लगभग सात मिनट बाद दिल की धड़कन वापस आई, लेकिन इतने लंबे समय तक ब्रेन को ब्लड सप्लाई और ऑक्सीजन नहीं मिल पाया। यही वजह है कि अब ब्रेन डैमेज की स्थिति सामने आई है।

डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ी

डॉक्टरों के अनुसार, ऐसे मामलों में शुरुआती 72 घंटे बेहद अहम होते हैं। रविवार को जब 72 घंटे पूरे होने के बाद एमआरआई कराई गई, तब भी रिपोर्ट निराशाजनक रही। इससे डॉ. रश्मि के परिजन और उनके साथ काम करने वाले डॉक्टर अंदर से टूट गए। फिलहाल, वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। हर दिन उनकी स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।

रविवार को छुट्टी के दिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की आपात बैठक

dr rashmi verma aiims bhopal के आत्महत्या प्रयास के पीछे सिर्फ व्यक्तिगत कारण नहीं, बल्कि ट्रॉमा एंड इमरजेंसी विभाग का कथित टॉक्सिक माहौल भी जिम्मेदार माना जा रहा है। यही वजह रही कि रविवार को छुट्टी के दिन, एम्स प्रशासन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की आपात बैठक बुलाई गई। इसमें साफ कहा गया कि अगर वर्क प्लेस स्ट्रेस और विभागीय दबाव इस कदम की वजह बने हैं तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई तय है।

तानाशाही के आरोपी डॉ. यूनुस को हटाया 

बैठक में सबसे बड़ा फैसला यह लिया गया कि ट्रॉमा एंड इमरजेंसी विभाग के एचओडी डॉ. मोहम्मद यूनुस को तत्काल प्रभाव से विभागाध्यक्ष पद से हटा दिया गया। आदेश के मुताबिक, जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, तब तक उन्हें एनेस्थीसिया विभाग से अटैच किया गया है। अब वे एनेस्थीसिया विभाग की एचओडी डॉ. वैशाली के अधीन काम करेंगे और उनकी रिपोर्टिंग भी वहीं होगी। यह फैसला साफ संकेत देता है कि प्रशासन इस मामले को हलके में लेने के मूड में नहीं है।

ट्रॉमा और इमरजेंसी दो हिस्सों में बंटे

इसी बैठक में एक और बड़ा प्रशासनिक फैसला लिया गया। अब एम्स भोपाल में ट्रॉमा और इमरजेंसी मेडिसिन को दो अलग-अलग विभागों में बांट दिया गया है। अब ट्रॉमा विभाग अलग होगा, जहां एक्सीडेंट और गंभीर चोटों से जुड़े मरीजों का इलाज होगा। यह विभाग न्यूरो सर्जरी के अधीन रहेगा और इसे न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. अमित अग्रवाल लीड करेंगे। 

वहीं इमरजेंसी मेडिसिन को अलग विभाग बनाया गया है, जो मेडिसिन डिपार्टमेंट के अंतर्गत काम करेगा। इसकी कमान मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. रजनीश जोशी को सौंपी गई है।

हाई लेवल कमेटी करेगी गोपनीय जांच

बैठक में यह भी तय किया गया कि डॉ. रश्मि के आत्महत्या प्रयास के पूरे मामले की जांच के लिए एक हाई लेवल कमेटी बनाई जाएगी। यह गोपनीय तरीके से जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट सीधे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपेगी। जांच में यह देखा जाएगा कि क्या ट्रॉमा एंड इमरजेंसी विभाग में वर्क प्लेस स्ट्रेस, गुटबाजी या प्रशासनिक दबाव जैसी स्थितियां थीं।

डॉ. श्रुति ने भी मोहम्मद यूनुस की शिकायत की थी

इससे पहले भी इसी विभाग की एक अन्य असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. श्रुति ने डॉ. मोहम्मद यूनुस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसकी जांच रिपोर्ट अब तक लंबित है। नई कमेटी इस पुराने मामले को भी देखेगी। इसके अलावा विभाग में चल रही कथित गुटबाजी, नोटिस कल्चर और स्टाफ पर दबाव जैसे मुद्दों की भी जांच होगी।

अन्य विभागों पर भी गिरेगी गाज

सूत्रों के मुताबिक, एम्स प्रशासन अब सिर्फ ट्रॉमा और इमरजेंसी तक सीमित नहीं रहेगा। नेफ्रोलॉजी और ऑप्थैल्मोलॉजी विभाग से जुड़ी शिकायतों की भी अपने स्तर पर जांच कराई जाएगी। इसके अलावा जिन डॉक्टरों पर प्राइवेट प्रैक्टिस करने या किसी खास संस्थान से जांच, कंज्यूमेबल्स और दवाएं लिखवाने का दबाव बनाने के आरोप हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी है। ऐसी शिकायतें लगातार प्रशासन तक पहुंच रही थीं।
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