BHOPAL NEWS: अयोध्या बायपास 10 लेन के समर्थन में प्रदर्शन की तैयारी

भोपाल, 25 दिसंबर 2025
: 16 किलोमीटर के अयोध्या बायपास के दोनों तरफ भारी मात्रा में अस्थाई अतिक्रमण को बचाने के लिए पेड़ों की सुरक्षा के नाम पर आंदोलन चल रहा है। NGT द्वारा पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी गई है, फिर भी आज गुरुवार को प्रदर्शन किया गया। अब इस प्रोजेक्ट के समर्थन में प्रदर्शन की तैयारी शुरू हो गई है। लोगों का कहना है कि भोपाल के सबसे पिछड़े क्षेत्र का विकास हो रहा है, लेकिन कुछ लोग अपने छोटे से फायदे के लिए इस पूरे प्रोजेक्ट को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। 

कौन लोग हैं जो प्रदर्शन कर रहे हैं

यह प्रदर्शन मूल रूप से अयोध्या बायपास के दोनों तरफ अतिक्रमण को बचाने के लिए किया जा रहा है। यदि 10 लेन बनेगी तो कई लोगों का अस्थाई अतिक्रमण खत्म हो जाएगा। अयोध्या बायपास के दोनों तरफ नल को खत्म कर देने वाले पेड़ों को बचाने के नाम पर NGT के दरवाजे तक पहुंच गए हैं। NGT द्वारा रोक लगा दिए जाने के बावजूद आज फिर से प्रदर्शन हुआ। यह प्रदर्शन सरकार पर प्रेशर क्रिएट करने के लिए था। प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले नेता चाहते हैं कि, 10 लेन के स्थान पर 6 लेन बना दी जाए। ऐसा करने से हजारों पेड़ बच जाएंगे। दरअसल इसके पीछे उनका उद्देश्य यह है कि करोड़ों का अतिक्रमण बच जाएगा। क्योंकि अतिक्रमण करने वालों में भोपाल के कई बड़े बिल्डर भी शामिल है। प्रदर्शन करने वालों में कई ऐसे लोग भी शामिल है जो यहां पर REEL बनाकर खुद को पर्यावरण प्रेमी बताने के लिए आए थे। 

यूकेलिप्टस के पेड़ फायदेमंद नहीं खतरनाक होते हैं 

यूकेलिप्टस (नीलगिरी या सफेदा) के पेड़ कई कारणों से खतरनाक माने जाते हैं, खासकर कुछ विशेष परिस्थितियों में। ये खतरे मुख्य रूप से आग, संरचनात्मक स्थिरता, पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़े हैं। हालांकि, ये सभी जगहों या सभी प्रजातियों में समान रूप से लागू नहीं होते। आइए विस्तार से समझते हैं:

आग का उच्च जोखिम (Fire Hazard)
यूकेलिप्टस के पत्तों, छाल और तने में मौजूद आवश्यक तेल (essential oils) बहुत ज्वलनशील होते हैं।आग लगने पर ये पेड़ तेजी से जलते हैं, विस्फोटक गैस छोड़ते हैं और "फायरबॉल" बनाकर आग को दूर तक फैलाते हैं। छाल और सूखी पत्तियां जमीन पर इकट्ठा होकर आग को बढ़ावा देती हैं। कैलिफोर्निया जैसे क्षेत्रों में इन्हें जंगल की आग का बड़ा कारण माना जाता है, और कई जगहों पर इन्हें हटाने की सिफारिश की जाती है।

डालियां अचानक गिरना (Sudden Branch Drop या Limb Drop)
- यूकेलिप्टस की बड़ी डालियां बिना किसी चेतावनी के गिर सकती हैं, यहां तक कि शांत मौसम में भी।
- गर्मी, सूखे या तनाव में पेड़ पानी बचाने के लिए डालियां त्याग देता है।
- ये डालियां भारी होती हैं और लोगों, वाहनों या घरों पर गिरकर गंभीर चोट या मौत का कारण बन सकती हैं।
- इन्हें कभी-कभी "widow makers" कहा जाता है। घर के पास लगे पेड़ विशेष रूप से खतरनाक।

जड़ों से संबंधित खतरे
- जड़ें उथली लेकिन आक्रामक होती हैं, जो पाइप, सीवर, फाउंडेशन और दीवारों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- तेज हवा में पेड़ गिरने का खतरा ज्यादा, क्योंकि जड़ें गहरी नहीं होतीं।

पर्यावरणीय और अन्य प्रकार के नुकसान
- ये पेड़ बहुत ज्यादा पानी सोखते हैं (अन्य पेड़ों से 2-3 गुना ज्यादा), जिससे भूजल स्तर तेजी से गिरता है।
- भारत के कई इलाकों (जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश) में इन्हें लगाने से जमीन बंजर हो रही है और आसपास की फसलें प्रभावित होती हैं।
- पत्तियां सड़ने में देर लगती हैं और उनमें एलीलोपैथिक रसायन होते हैं, जो अन्य पौधों की वृद्धि रोकते हैं।
- मिट्टी की उर्वरता कम होती है और जैव विविधता प्रभावित होती है।
- पत्तियां और छाल बड़ी मात्रा में खाने पर जानवरों या इंसानों के लिए जहरीली हो सकती हैं (उल्टी, दस्त आदि)।
- कीट और फंगल संक्रमण से पेड़ कमजोर होकर गिर सकते हैं।

सुझाव: घर या खेत के पास लगाने से बचें। अगर पहले से हैं, तो नियमित जांच करवाएं और जरूरी हो तो हटवाएं। यह पेड़ जितना पुराना होता है उतना ही खतरनाक होता जाता है।
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