BHOPAL की एक सरकारी यूनिवर्सिटी में बिना मान्यता का मेडिकल कोर्स, 294 फर्जी डॉक्टर?

भोपाल, 1 दिसंबर 2025
: अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के अध्ययन केंद्र में बिना मान्यता का मेडिकल कोर्स संचालित किया जा रहा है। अब तक 294 विद्यार्थी यह कोर्स पूरा कर चुके हैं, और शायद बिना लाइसेंस के डॉक्टर बनकर प्रैक्टिस भी कर रहे हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा आज मध्य प्रदेश विधानसभा में हुआ।

इलेक्ट्रो होम्योपैथी कोर्स: 294 विद्यार्थी पास आउट, 234 पढ़ रहे हैं

विधायक श्री राजन मण्डलोई द्वारा पूछे गए सवाल (क्रमांक 347) के लिखित जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने स्वीकार किया कि "इलेक्ट्रो होम्योपैथी कोर्स" विश्वविद्यालय के अध्ययन केंद्रों पर सत्र 2022-23 से चलाया जा रहा है। वर्तमान सत्र में 232 छात्र इस कोर्स में पंजीकृत हैं और प्रत्येक छात्र से 30,000 रुपये शिक्षण शुल्क लिया जा रहा है। इससे पहले भी 294 छात्र यह कोर्स पास कर चुके हैं। हैरानी की बात यह है कि जब मंत्री से पूछा गया कि क्या इस पैथी को भारत सरकार द्वारा उपचार की विधि के रूप में मान्यता दी गई है, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से "जी नहीं" में उत्तर दिया।

सरकार को नहीं पता पास आउट विद्यार्थी क्या कर रहे हैं

सरकार ने यह भी माना कि इस कोर्स के लिए प्रदेश की होम्योपैथिक काउंसिल या आयुष विभाग से कोई मान्यता नहीं ली गई है। मंत्री ने आश्वासन दिया है कि मामले के परीक्षण के उपरांत यथोचित कार्यवाही की जाएगी। पास होकर निकले छात्र कहां प्रैक्टिस कर रहे हैं, इसका सरकार के पास कोई डेटा मौजूद नहीं है। जबकि इस बात की पूरी संभावना आएगी पास आउट विद्यार्थी स्वयं को डॉक्टर घोषित करके प्रैक्टिस कर रहे हैं। अब उनके पास एक सरकारी यूनिवर्सिटी का सर्टिफिकेट है, इसलिए लोकल प्रशासन के लोग भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करते होंगे।

Electro Homeopathy क्या है?

इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा की एक वैकल्पिक पद्धति है, जिसकी खोज 19वीं सदी में इटली के काउंट सीजर मैटी (Count Cesare Mattei) ने की थी। यह पद्धति मानती है कि मानव शरीर में "लिम्फ" (Lymph) और "रक्त" (Blood) के अशुद्ध होने से बीमारियाँ होती हैं। इसमें केवल पेड़-पौधों (वनस्पतियों) के रस से बनी दवाओं का उपयोग किया जाता है। इसे 'हर्बल चिकित्सा' का ही एक रूप माना जाता है। इसमें दावा किया जाता है कि दवाइयां बिजली (Electro - bio-energy) की गति से काम करती हैं, इसलिए इसे इलेक्ट्रो होम्योपैथी कहा जाता है।

क्या Electro Homeopathy कोर्स करने के बाद व्यक्ति 'DOCTOR' बन जाता है?

कानूनी रूप से: नहीं। भारत में 'डॉक्टर' शब्द का इस्तेमाल केवल वे लोग कर सकते हैं जिनके पास भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धतियों (जैसे MBBS, BAMS, BHMS, BUMS, BDS आदि) की डिग्री हो और वे स्टेट मेडिकल काउंसिल या संबंधित आयोग में पंजीकृत हों।

जैसा कि उच्च शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया है- "इलेक्ट्रो होम्योपैथी को उपचार करने की विधि के अनुरूप भारत सरकार द्वारा मान्यता नहीं दी गई है।"

Electro Homeopathy को पूरे भारत में मान्यता नहीं है

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आदेशों के अनुसार, इलेक्ट्रो होम्योपैथी अभी तक एक मान्यता प्राप्त चिकित्सा प्रणाली (Recognized System of Medicine) नहीं है। इसलिए, तकनीकी रूप से इस कोर्स को करने वाले व्यक्ति अपने नाम के आगे 'डॉक्टर' नहीं लिख सकते और न ही एलोपैथी या मान्यता प्राप्त होम्योपैथी की तरह आधिकारिक क्लिनिक चला सकते हैं। चूंकि इस पद्धति को सरकार से "चिकित्सा पद्धति" के रूप में मान्यता ही नहीं मिली है, इसलिए कानूनी तौर पर ये किसी भी बीमारी का "आधिकारिक इलाज" (Medical Treatment) करने के लिए अधिकृत नहीं हैं।

हालांकि, इस पैथी के समर्थक दावा करते हैं कि वे:
  • पाचन तंत्र की समस्याएं,
  • त्वचा रोग,
  • सांस की तकलीफ,
  • और पुराने दर्दों का इलाज अपनी हर्बल दवाओं से कर सकते हैं।

निष्कर्ष: वर्तमान नियमों के अनुसार, यह कोर्स केवल एक 'सर्टिफिकेट' या 'डिप्लोमा' हो सकता है जो ज्ञानवर्धन के लिए हो, लेकिन यह "मेडिकल प्रैक्टिस" का लाइसेंस (License to Practice Medicine) नहीं देता है। इसे करने के बाद मरीज देखना और दवा लिखना गैर-कानूनी है।
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