BHARAT सरकार किसानों के लिए क्या कर रही है, संसद में मंत्रालय के जवाब का सारांश पढ़िए

नई दिल्ली, 4 दिसंबर 2025
: किसान दिन-रात खेतों में मेहनत करते हैं, पसीना बहाते हैं, तब जाकर देश का पेट भरता है। लेकिन किसानों की अपनी थाली कई बार खाली रह जाती है। इसी चिंता को दूर करने के लिए, भारत सरकार ने किसानों की कमाई बढ़ाने और जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। 

किसानों की आमदनी बढ़ाने के छह मुख्य रास्ते

सरकार ने किसानों से एक पक्का वादा किया है। उन्होंने किसानों की आमदनी बढ़ाने और खेती को फायदे का सौदा बनाने के लिए छह मुख्य रास्तों पर काम करने का फैसला किया है। यह सरकार की सोच की नींव है, जिससे यह पक्का हो सके कि हमारी मेहनत बेकार न जाए। ये छह रास्ते इस प्रकार हैं:
1. आपकी फसल की पैदावार को बढ़ाना: यानी एक ही खेत से पहले से ज़्यादा उपज कैसे मिले, इसमें मदद करना।
2. खेती में लगने वाले खर्चे को कम करना: बीज, खाद, पानी और जुताई जैसे खर्चों को घटाने के तरीके बताना और सहायता देना।
3. आपकी मेहनत की उपज का सही और फायदेमंद दाम दिलवाना: यह पक्का करना कि जब आप अपनी फसल मंडी में बेचें, तो उसका अच्छा पैसा मिले।
4. एक ही फसल पर निर्भर न रहकर, अलग-अलग तरह की खेती करने में मदद करना: जैसे कि अनाज के साथ-साथ सब्ज़ी, फल या दूसरी चीज़ें उगाने के लिए बढ़ावा देना।
5. फसल कटाई के बाद उसे सीधे बेचने के बजाय, उससे दूसरी चीजें बनाकर ज़्यादा पैसा कमाने के मौके बनाना: जैसे टमाटर से चटनी या गेहूँ से आटा बनाकर बेचना, ताकि मुनाफा ज़्यादा हो।
6. मौसम के बदलाव से होने वाले नुकसान से अपनी खेती को बचाना: जैसे सूखा, बाढ़ या बेमौसम बारिश से होने वाली फसल की बर्बादी को कम करने के उपाय करना।

किसानों के लिए बजट में 480% की वृद्धि

यह सिर्फ़ कहने की बातें नहीं हैं। सरकार इस काम के लिए पहले से कहीं ज़्यादा पैसा लगा रही है। जहाँ साल 2013-14 में खेती-किसानी के लिए ₹21,933.50 करोड़ का बजट था, वहीं साल 2025-26 के लिए इसे बढ़ाकर ₹1,27,290.16 करोड़ कर दिया गया है। सरकार ने इन्हीं छह रास्तों पर चलने के लिए अलग-अलग योजनाएँ बनाई हैं, जो किसी न किसी तरह से आपकी पैदावार बढ़ाने, खर्चा घटाने या सही दाम दिलाने में मदद करती हैं।

सीधी आर्थिक मदद और सुरक्षा

ये वो योजनाएँ हैं जो सीधे किसानों के खाते में पैसा भेजकर या नुकसान से बचाकर आपकी मदद करती हैं।
  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान): सालाना ₹6,000 की सीधी मदद।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पी.एम.एफ.बी.वाई.): फसल खराब होने पर नुकसान की भरपाई।
  • प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना (पीएम-के.एम.वाई.): 60 साल की उम्र के बाद पेंशन का सहारा।
  • संशोधित ब्याज छूट योजना (एम.आई.एस.एस.): खेती के लिए लिए गए कर्ज पर ब्याज में छूट।

पैदावार बढ़ाने और लागत घटाने की योजनाएँ

इन योजनाओं का मकसद है कि आप कम खर्चे में ज़्यादा फसल उगा सकें।
  • कृषि मशीनीकरण उप-मिशन (एस.एम.ए.एम.): ट्रैक्टर और दूसरे कृषि यंत्र खरीदने के लिए सब्सिडी।
  • मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता (एस.एच. एंड एफ.): आपकी खेत की मिट्टी की जाँच और उसे बेहतर बनाने में मदद।
  • राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एन.एम.एन.एफ.): बिना केमिकल वाली खेती को बढ़ावा देना।
  • परम्परागत कृषि विकास योजना (पी.के.वी.वाई.): जैविक खेती के लिए सहायता।
  • वर्षा सिंचित क्षेत्र विकास (आर.ए.डी.): जहाँ सिंचाई का पानी कम है, वहाँ खेती के तरीके सुधारना।
  • बीज एवं रोपण सामग्री उप-मिशन (एस.एम.एस.पी.): अच्छी क्वालिटी के बीज उपलब्ध कराना।

फसल बेचने और सही दाम पाने में मदद

ये योजनाएँ सुनिश्चित करती हैं कि किसानों की मेहनत की उपज का आपको सही और फायदेमंद दाम मिले।
  • एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (ए.आई.एफ.): गोदाम, कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए सस्ता कर्ज।
  • 10,000 नए किसान उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) का गठन और संवर्धन: किसानों को मिलकर अपनी उपज बेचने और ज़्यादा मुनाफा कमाने में मदद।
  • एकीकृत कृषि विपणन योजना (आई.एस.ए.एम.): ऑनलाइन मंडी (e-NAM) जैसी सुविधाओं से देश भर के बाज़ारों तक पहुँच।
  • प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा): MSP पर खरीद सुनिश्चित करना।

खेती में नए तरीके अपनाने के लिए

अगर आप पारंपरिक खेती के अलावा कुछ नया करना चाहते हैं, तो ये योजनाएँ आपके लिए हैं।
  • राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एन.बी.एच.एम.): मधुमक्खी पालन के लिए मदद।
  • नमो ड्रोन दीदी: खेती में ड्रोन के इस्तेमाल के लिए महिलाओं को ट्रेनिंग और सहायता।
  • फसल विविधीकरण कार्यक्रम (सी.डी.पी.): अलग-अलग तरह की फसलें उगाने को बढ़ावा।
  • समेकित बागवानी विकास मिशन (एम.आई.डी.एच.): फल, फूल, सब्ज़ी उगाने के लिए मदद।
  • राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एन.एम.ई.ओ.) - ऑयल पाम और तिलहन: तेल वाली फसलें उगाने पर ज़ोर।
  • राष्ट्रीय बांस मिशन: बांस की खेती को बढ़ावा देना।
  • कृषि वानिकी: खेतों की मेड़ पर पेड़ लगाना।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन: पूर्वोत्तर राज्यों में जैविक खेती के लिए खास योजना।
  • डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन: खेती से जुड़ी जानकारी मोबाइल पर उपलब्ध कराना।
  • कृषि विस्तार उप-मिशन (एस.एम.ए.ई.): किसानों तक नई तकनीक और जानकारी पहुँचाना।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (एन.एफ.एस.एन.एम.): दाल, चावल, गेहूँ का उत्पादन बढ़ाना।

इन सब योजनाओं के साथ-साथ, सरकार ने यह भी पक्का किया है कि आपकी फसल का आपको सही दाम मिले।

4. आपकी फसल का सरकारी भाव: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को समझिए

सरकार ने अपने तीसरे वादे ("आपकी मेहनत की उपज का सही और फायदेमंद दाम दिलवाना") को पूरा करने के लिए जो सबसे बड़ा कदम उठाया है, वो है न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP। यह सरकार की तरफ से एक गारंटी वाला भाव होता है। इसका मतलब है कि अगर बाज़ार में आपकी फसल का दाम बहुत गिर भी जाए, तो भी सरकार आपसे उस फसल को MSP पर खरीदेगी, ताकि आपको नुकसान न हो। यह हम किसानों के लिए एक तरह का सुरक्षा कवच है।

MSP कैसे तय होता है?

सरकार जब किसी फसल का MSP तय करती है तो कई बातों का ध्यान रखती है, जैसे फसल उगाने में कितना खर्चा आया, देश में उसकी कितनी मांग है, और बाहर के देशों में क्या भाव चल रहा है। लेकिन सबसे ज़रूरी बात जो हमारे लिए है, वो यह है कि सरकार का लक्ष्य लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत का मुनाफा देना है। यानी, अगर आपका एक क्विंटल अनाज उगाने में 1000 रुपये का खर्चा आया, तो सरकार कोशिश करेगी कि उसका MSP कम से कम 1500 रुपये तय हो।

किन फसलों पर मिलता है MSP?

सरकार ने कुल 22 फसलों के लिए MSP तय किया है। ये फसलें इस प्रकार हैं:
14 खरीफ फसलें: धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, तूर (अरहर), मूंग, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, नाइजरसीड, और कपास।
6 रबी फसलें: गेहूँ, जौ, चना, मसूर, रेपसीड और सरसों, और कुसुम।
2 कमर्शियल (व्यावसायिक) फसलें: जूट और खोपरा।

खेती के अलावा भी कमाई के कुछ नए रास्ते खुल रहे हैं, जिनके बारे में सरकार सोच रही है।

खेती-बाड़ी के साथ पर्यटन: कमाई का एक नया जरिया

सरकार अब एक नई सोच को बढ़ावा दे रही है, जिसे कृषि-पर्यटन कहते हैं। इसका सीधा-सा मतलब है कि किसान अपनी खेती-बाड़ी के साथ-साथ शहर के लोगों को अपने गाँव, अपने खेत और अपने रहन-सहन का अनुभव कराकर भी पैसा कमा सकते हैं। शहर के लोग गाँव की ताज़ी हवा, खेतों की हरियाली और शांति देखने के लिए तरसते हैं। आप उन्हें अपने यहाँ रहने की जगह दे सकते हैं, उन्हें अपने हाथ का बना खाना खिला सकते हैं और खेती के काम दिखा सकते हैं।

यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि इस तरह के पर्यटन को बढ़ावा देने का काम मुख्य रूप से राज्य सरकारें करती हैं। हालाँकि, केंद्र सरकार का पर्यटन मंत्रालय भी इसमें मदद करता है। 'स्वदेश दर्शन 2.0' जैसी योजनाओं के ज़रिए केंद्र सरकार गाँवों में सड़कें, बिजली और मेहमानों के ठहरने जैसी सुविधाएँ बनाने के लिए राज्यों को पैसा देती है। यह एक नई सोच है, जिस पर आप अपने इलाके में और जानकारी ले सकते हैं।

यह सारी जानकारी सीधे भारत के कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री, श्री रामनाथ ठाकुर द्वारा दी गई रिपोर्ट से ली गई है, ताकि आप तक सही और पक्की बात पहुँचे।
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