बालाघाट, 15 दिसंबर 2025: जिले में लंबे समय से स्कूल से गायब चल रहे प्राथमिक शिक्षक राजकुमार सोनवाने को आखिरकार निलंबित कर दिया गया है। ये मामला बिरसा विकासखंड के अंतर्गत आने वाली शासकीय प्राथमिक शाला चितालखोली का है, जहां ये शिक्षक पदस्थ थे। सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग श्रीमती शकुंतला डामोर ने सोमवार को तत्काल प्रभाव से उन्हें सस्पेंड कर दिया। निलंबन की अवधि में उनका मुख्यालय शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गढ़ी, विकासखंड बैहर रखा गया है।
लोकल अखबारों में अक्सर खबरें चल रही थी
दरअसल, ये कोई नई बात नहीं है। काफी समय से खबरें आ रही थीं कि राजकुमार सोनवाने बिना किसी जानकारी के स्कूल से अनुपस्थित रहते हैं। समाचार पत्रों में छपी रिपोर्ट्स पर विभाग ने संज्ञान लिया और जांच करवाई। जांच में जो तथ्य सामने आए, वो काफी गंभीर हैं। जुलाई 2025 में तो वे पूरे महीने स्कूल नहीं आए, जबकि सितंबर में सिर्फ तीन दिन ही हाजिरी लगाई। इसके अलावा स्कूल की जरूरी पंजियां जैसे दाखिला-खारिज रजिस्टर, उपस्थिति रजिस्टर, परीक्षा रिजल्ट, टीसी और मिड-डे मील की पंजी तक ठीक से मेंटेन नहीं की जा रही थीं।
कारण बताओं नोटिस का जवाब तक नहीं दिया
परियोजना प्रशासक, एकीकृत जनजातीय कार्य परियोजना बैहर ने अक्टूबर 2025 में ही इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव भेज दिया था। उसके बाद कारण बताओ नोटिस भी जारी हुआ, लेकिन शिक्षक महोदय ने न तो जवाब दिया और न ही अपने व्यवहार में कोई सुधार किया। आखिरकार संकुल प्राचार्य कचनारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर सहायक आयुक्त ने फैसला लिया कि ऐसे शिक्षक को पद पर रखना ठीक नहीं, क्योंकि ये न सिर्फ अपने ड्यूटी से भाग रहे हैं बल्कि सरकार की इमेज भी खराब कर रहे हैं।
ये मामला आदिवासी बहुल इलाके का है, जहां बच्चों की शिक्षा पहले से ही चुनौतीपूर्ण होती है। ऐसे में शिक्षक की ये लापरवाही बच्चों के भविष्य पर सीधा असर डाल रही थी। विभाग का ये सख्त कदम जरूरी था, ताकि दूसरे शिक्षकों को भी संदेश जाए कि ड्यूटी से भागने की गुंजाइश नहीं है।
सालों पहले भी ऐसा ही हुआ
वैसे ये पहली बार नहीं जब इस स्कूल और इस शिक्षक का नाम अनुपस्थिति के कारण सुर्खियों में आया हो। सालों पहले भी इसी तरह की शिकायतें सामने आई थीं, जब ग्रामीणों ने शिक्षक को हटाने की मांग की थी। अब उम्मीद है कि इस कार्रवाई से स्कूल में नियमितता आएगी और बच्चों की पढ़ाई पर फोकस रहेगा।
इसके अलावा मध्यप्रदेश में जनजातीय विभाग से जुड़े अन्य मामलों में भी कार्रवाइयां हो रही हैं, जैसे हाल ही में कुछ ट्रांसफर ऑर्डर कैंसल हुए या अन्य जिलों में लापरवाही पर सस्पेंशन के केस सामने आए। शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए विभाग सक्रिय दिख रहा है, जो अच्छी बात है।
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