2025: मौसम और जलवायु की गड़बड़ी से 11 लाख अरब रुपए का नुकसान: Christian Aid की रिपोर्ट

नई दिल्ली, 27 दिसंबर 2025
: लोगों की फितरत भी बड़ी अजीब होती है। यदि खेत-खलिहान में रखा एक बोरी अनाज गायब हो जाए तो चोरी का मामला बन जाता है लेकिन मौसम और जलवायु के कारण पैदावार में 10 क्विंटल अनाज की कमी हो जाए, तो किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं होती। साल 2025 में क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन के कारण लोगों को 11 अरब रुपए का नुकसान हुआ है। यह खुलासा Christian Aid की नई रिपोर्ट Counting the Cost 2025 में हुआ है।

कैलिफोर्निया जंगल की आग से 13 अरब रुपए का नुकसान

रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में दुनिया भर में कम से कम 10 ऐसी बड़ी जलवायु आपदाएं हुईं, जिनमें से हर एक ने एक अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान किया। कैलिफोर्निया के जंगलों में लगी Palisades और Eaton fires अकेले 60 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान कर गईं, जहां 31 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों अतिरिक्त मौतों का अनुमान है। वहीं, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में आए cyclones और floods ने 1,750 से ज्यादा लोगों की जान ली और करीब 25 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ, जिसमें थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका, वियतनाम और मलेशिया जैसे देश प्रभावित हुए।

भारत और पाकिस्तान को 47,880 करोड़ रुपए का नुकसान

भारत और उसके पड़ोसी देशों के लिए यह साल खास तौर पर भारी रहा। भारत और पाकिस्तान में आई भीषण floods ने 1,860 से ज्यादा लोगों की जान ली और करीब 5.6 अरब डॉलर का नुकसान हुआ, जहां पाकिस्तान में 7 मिलियन से ज्यादा लोग प्रभावित हुए। रिपोर्ट बताती है कि एशिया दुनिया के उन हिस्सों में शामिल रहा जहां सबसे ज्यादा तबाही दर्ज की गई, जबकि इन देशों का वैश्विक emissions में योगदान अपेक्षाकृत कम है। इसके अलावा, फिलीपींस में typhoons ने सैकड़ों मौतें कीं और 5 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया, जबकि 1.4 मिलियन से ज्यादा लोग displaced हुए।

ये आपदाएं भगवान की मर्जी नहीं है

Christian Aid की यह रिपोर्ट साफ कहती है कि ये आपदाएं "natural" नहीं हैं। ये दशकों से जारी fossil fuels पर निर्भरता और राजनीतिक टालमटोल का नतीजा हैं। Imperial College London की Emeritus Professor Joanna Haigh के शब्दों में, 
"The world is paying an ever-higher price for a crisis we already know how to solve. These disasters are not 'natural' — they are the inevitable result of continued fossil fuel expansion and political delay." 

अमीरों को तो इंश्योरेंस क्लेम मिल जाता है, असल पीड़ा गरीबों को होती है

रिपोर्ट यह भी दिखाती है कि आर्थिक नुकसान का बोझ अमीर देशों में ज्यादा दिखाई देता है, क्योंकि वहां insurance और property का दायरा बड़ा है। लेकिन असल पीड़ा गरीब देशों में है, जहां लोग सब कुछ खो देते हैं और फिर भी आंकड़ों में उनकी तकलीफ पूरी तरह दर्ज नहीं हो पाती। जैसे कि Nigeria में floods से 700 मौतें हुईं, Democratic Republic of Congo में भारी तबाही, और Iran में drought से Tehran के 10 मिलियन लोग खतरे में पड़े।

Christian Aid के CEO Patrick Watt कहते हैं कि जलवायु संकट अब भविष्य की चेतावनी नहीं, बल्कि आज की असलियत है। उनके मुताबिक, 
"This year has once again shown the stark reality of climate breakdown. Violent storms, devastating floods and prolonged droughts are turning lives and livelihoods upside down. The poorest communities are first and worst affected." 

Scotland जैसे ठंडे इलाकों में भी आग लग गई

रिपोर्ट यह भी याद दिलाती है कि 2025 में record-breaking heat, wildfires, droughts और storms दुनिया के हर कोने में महसूस किए गए। Scotland जैसे ठंडे इलाकों में भी जंगल जल उठे, जहां 47,000 hectares जले, जबकि oceans का temperature record स्तर तक पहुंच गया। Brazil में drought ने 4.75 अरब डॉलर का नुकसान किया, Australia में Cyclone Alfred से 1.2 अरब डॉलर, और Réunion में Cyclone Garance से 1.05 अरब डॉलर का हुआ। China में floods से 11.7 अरब डॉलर और 30 से ज्यादा मौतें, जबकि Texas में floods से 135 मौतें और 1 अरब डॉलर का नुकसान। Hurricane Melissa ने Jamaica, Cuba और Bahamas में 8 अरब डॉलर का damage किया।

तबाही को रोकने साहस की जरूरत है

हमारे लिए यह रिपोर्ट सिर्फ आंकड़ों का document नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। एक ऐसी चेतावनी जो कहती है कि अगर आज decisions नहीं बदले गए, तो आने वाले सालों में नुकसान सिर्फ बढ़ेगा। सवाल अब यह नहीं है कि हम कितना खो चुके हैं, बल्कि यह है कि क्या हम आगे होने वाली तबाही को रोकने का courage दिखा पाएंगे।

इस विषय से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी: 

रिपोर्ट में Power Shift Africa के Mohamed Adow का quote है, जो कहते हैं कि wealthy nations financial costs count करते हैं, लेकिन Africa, Asia और Caribbean में millions of people lives, homes और futures खो रहे हैं। 
LSCE France के Davide Faranda कहते हैं कि ये events predictable हैं warmer atmosphere और hotter oceans की वजह से। 
रिपोर्ट 2026 में governments से emissions cut करने, renewable energy transition accelerate करने, और vulnerable communities के लिए funding बढ़ाने की मांग करती है। 
हाल ही में Guardian और Daily Mail जैसे sources में भी इस रिपोर्ट को cover किया गया, जहां emphasis है कि insured losses 120 अरब डॉलर से ज्यादा हैं, लेकिन true costs इससे कहीं higher हैं। 
Down to Earth में mention है कि southwest monsoon in India and Pakistan 2025 की deadliest disaster थी।

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