VIT BHOPAL: मैनेजमेंट ने 3000 स्टूडेंट्स के खिलाफ डकैती की शिकायत की, आजीवन कारावास का प्रावधान

भोपाल, 27 नवंबर 2025
: भोपाल से 70 किलोमीटर दूर सीहोर जिले में VIT Bhopal के नाम से संचालित VIT यूनिवर्सिटी के मैनेजमेंट ने 3000 स्टूडेंट के खिलाफ दंगा करने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, लॉकर से रुपए लूटने (अपराधियों की संख्या 5 से अधिक होने पर डकैती) और आग लगाकर यूनिवर्सिटी जलाने की शिकायत की है। पुलिस ने BNS के सेक्शन 190, 191(1) 324 (1) 326(g) के तहत मामला दर्ज किया है जिसमें आजीवन कारावास का प्रावधान है। 

VIT BHOPAL के स्टूडेंट्स ने भी मामला दर्ज करवाया है

पुलिस ने स्टूडेंट्स की तरफ से भी एक मामला दर्ज किया है। इसमें स्टूडेंट ने बताया है कि, 25 नवंबर को रात करीब 11.30 बजे मैंने अपने मोबाइल पर सोशल मीडिया पर एक वीडियो देखा। इस वीडियो में वीआईटी कॉलेज का वार्डन अपने 4-5 साथियों के साथ एक राय होकर वीआईटी के छात्रों के साथ मारपीट कर रहे थे।मैंने एक अन्य छात्र से इस संबंध में पता किया तो पता चला कि कॉलेज के वार्डन और प्रोफेसर प्रशांत कुमार पांडे व उनके साथियों ने मिलकर वीआईटी के छात्रों को गंदी–गंदी गालियां देते हुए मारपीट की थी और पुलिस में शिकायत करने पर भविष्य बर्बाद करने व जान से मारने की धमकी भी दी थी। पुलिस ने प्रशांत पांडे के खिलाफ BNS की धाराओं 191(2) 190 296 A 115 (2) 351(3) के तहत केस दर्ज किया है। इस मामले में अधिकतम 2 वर्ष जेल का प्रावधान है। 

VIT BHOPAL: मैनेजमेंट ने 3000 स्टूडेंट्स को कानूनी जाल में फंसा लिया

अधिवक्ता राजेश्वरी बंदेवार का कहना है कि, सामान्य नजर से देखने पर यह एक क्रॉस मामला दिखाई देता है। दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है परंतु एक्चुअल में यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने 3000 स्टूडेंट्स को कानूनी जाल में फंसा लिया है। यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार की ओर से मामला दर्ज करवाया गया है। इसका मतलब हुआ कि यदि केके नायर नहीं होंगे तो रजिस्ट्रार के पद पर जो कोई भी होगा वह इस केस को लड़ेगा। 3000 में से एक भी स्टूडेंट का नाम नहीं लिखा है, यानी किसी का भी नाम लिखवा सकते हैं। यह एक ऐसा दबाव है जो सभी स्टूडेंट्स पर हमेशा बना रहेगा। जिन धाराओं में मामला दर्ज करवाया गया है, उनमें आजीवन कारावास का प्रावधान है। पुलिस ने यदि टाइम लिमिट के भीतर इन्वेस्टिगेशन पूरी नहीं की तो स्टूडेंट को लंबे समय तक मैनेजमेंट के हैवी प्रेशर में रहना पड़ेगा। क्योंकि आप यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट के हाथ में वह कानून का डंडा आ गया है जिसको मारकर यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट किसी भी स्टूडेंट की लाइफ बर्बाद कर सकता है। 

जबकि स्टूडेंट की तरफ से केवल एक प्रोफेसर (इंडिविजुअल प्रशांत पांडे) के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है। इसमें भी अधिकतम 2 साल सजा का प्रावधान है। यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट यदि प्रोफेसर को नौकरी से निकाल दे तो भी कोर्ट केस प्रशांत पांडे को ही लड़ना पड़ेगा। 
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