भारत सरकार द्वारा श्रम सुधार के उद्देश्य से नए भारत के लिए नए नियम (New Labour Code for New India) लागू कर दिए हैं। यह भी दावा किया है कि, यह आज़ाद भारत (Independent India) के इतिहास में सबसे बड़े Labour Reforms हैं, जो मजदूरों और प्राइवेट कर्मचारियों के कल्याण के लिए, भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बनाया गया है। दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी और कुछ मजदूर यूनियनों द्वारा इसको मजदूर और प्राइवेट कर्मचारियों के लिए हानिकारक बताया जा रहा है। इस आर्टिकल में हम दोनों पक्षों को प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि बिना किसी नेता के आप स्वयं निर्णय ले सकेंगे कि आपको इन नियमों से फायदा हुआ या नुकसान:-
बड़े बदलाव का कारण और उद्देश्य
पहले मज़दूरों के लिए 29 अलग-अलग क़ानून थे, जो बहुत उलझे हुए थे। मज़दूरों को एक छोटे से फ़ायदे के लिए भी चार फ़ॉर्म भरने पड़ते थे। इस उलझन को "क़ानूनों का जाल" (web of legislation) कहा जाता था, जिसमें मज़दूर फँसे हुए थे।
• Shramev Jayate की सोच: सरकार ने 2014 से ही यह साफ़ कर दिया कि अब मज़दूरों को "राष्ट्र निर्माता" (Nation Builders) माना जाएगा। इस सोच को "Shramev Jayate" (श्रम ही विजय) नाम दिया गया।
• सबके लिए सुरक्षा: देश में 50 करोड़ से ज़्यादा workers हैं। इनमें से 90% लोग unorganized sector (असंगठित क्षेत्र, जैसे छोटे ठेले वाले, निर्माण मज़दूर) में काम करते थे, जिन्हें पहले कोई सामाजिक सुरक्षा (Social Security) नहीं मिलती थी। यह सुधार सुनिश्चित करता है कि अब इन सभी को लाभ मिले।
• Inspector Raj ख़त्म: पहले जो Inspector (निरीक्षक) केवल जाँच करता था, उसका काम बदल दिया गया है। अब इंस्पेक्टर मज़दूरों और मालिकों के लिए advisor (सलाहकार) और facilitator (सहायक) का काम करेंगे। इसे "Inspector Raj" को ख़त्म करना कहते हैं।
29 क़ानूनों से 4 Codes
सभी 29 पुराने केंद्रीय क़ानूनों को मिलाकर अब सिर्फ़ 4 Labour Codes (श्रम संहिता) बना दिए गए हैं। इससे प्रक्रिया (process) सरल हो गई है।
ये 4 Codes इस प्रकार हैं:
Wage Code: वेतन संहिता – सबके लिए न्यूनतम वेतन का अधिकार
यह 4 पुराने श्रम क़ानूनों को मिलाकर बनाया गया है। इसके तहत वेतन संबंधी सभी प्रावधान किए गए हैं।
1. न्यूनतम वेतन की गारंटी (Right to Minimum Wages): यह सबसे बड़ा फ़ायदा है। अब देश के 50 करोड़ मज़दूरों (संगठित और असंगठित) को पहली बार Minimum Wages की कानूनी गारंटी मिली है।
उदाहरण: अगर आप असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, तो भी मालिक को अब एक तय minimum salary (न्यूनतम वेतन) देना ही होगा। यह अधिकार पहले 40 करोड़ असंगठित मज़दूरों को नहीं मिला था।
2. समान वेतन (Equal Remuneration): महिला और पुरुष मज़दूरों को समान काम के लिए समान मेहनताना (Equal Remuneration) मिलेगा।
उदाहरण: यदि एक पुरुष मज़दूर और एक महिला मज़दूर फैक्ट्री में एक ही तरह का काम कर रहे हैं, तो उनकी सैलरी (salary) एक जैसी होनी चाहिए।
3. Floor Wage (आधार वेतन): यह सुनिश्चित करने के लिए कि देश के अलग-अलग हिस्सों (geographical area) में मिलने वाले वेतन में बहुत ज़्यादा अंतर न हो, एक Floor Wage का प्रावधान किया गया है।
4. समय पर भुगतान (Timely Payment): सभी workers को समय पर वेतन का भुगतान (timely payment of wages) मिलेगा।
5. भुगतान का तरीका: वेतन अब cheque या सीधे bank account (बैंक खाते) में जमा किया जा सकता है।
6. ग्रैच्युटी (Gratuity): ग्रैच्युटी की अधिकतम सीमा (ceiling limit) को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है।
B. Social Security Code: सामाजिक सुरक्षा संहिता
यह 9 पुराने क़ानूनों को मिलाकर बनाया गया है। यह Code मज़दूरों के insurance (बीमा), pension (पेंशन), gratuity और maternity benefit (मातृत्व लाभ) के अधिकारों को सुरक्षित करता है।
1. EPFO और ESIC का विस्तार (Expansion):
- पेंशन (EPFO): अब organized, unorganized और self-employed (स्व-रोज़गार) क्षेत्र के सभी मज़दूरों को pension scheme (पेंशन योजना) का फ़ायदा मिलेगा।
- मुफ्त इलाज (ESIC): ESIC (फ्री इलाज और दवा की सुविधा) का विस्तार 566 ज़िलों से बढ़ाकर देश के सभी 740 ज़िलों तक किया जाएगा।
- ख़तरनाक काम: अगर कोई मालिक केवल एक मज़दूर को भी hazardous work (ख़तरनाक काम) पर रखता है, तो उसे भी ESIC benefit देना अनिवार्य है।
2. असंगठित मज़दूरों के लिए Fund: असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ workers के लिए एक Social Security Fund बनाया जाएगा, जिससे उन्हें सुरक्षा मिल सके।
3. Gig and Platform Workers को लाभ: जो लोग नई तकनीक पर आधारित काम करते हैं (जैसे online delivery या ऐप-आधारित टैक्सी ड्राइवर), उन्हें भी ESIC से जुड़ने का मौक़ा मिलेगा।
4. Fixed Term Employees की सुरक्षा: जो मज़दूर किसी निश्चित समय के लिए काम पर रखे जाते हैं, उन्हें भी permanent employees (स्थायी कर्मचारियों) की तरह सभी social security benefits मिलेंगे। उन्हें ग्रैच्युटी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि की शर्त से भी छूट दी गई है।
उदाहरण: अगर आपको 11 महीने के कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है, तो भी आपको पेंशन और बीमा का वही फ़ायदा मिलेगा, जो परमानेंट मज़दूर को मिलता है।
5. बुजुर्गों के लिए पेंशन: असंगठित क्षेत्र के बुजुर्ग workers के लिए Pradhan Mantri Shram Yogi Man Dhan Yojana शुरू की गई है, जिसके तहत 60 साल की उम्र के बाद उन्हें हर महीने 3,000 रुपये पेंशन मिलेगी।
6. UAN (Universal Account Number): ESIC, EPFO और असंगठित क्षेत्र के workers के लिए एक Aadhaar based UAN बनाया जाएगा।
उदाहरण: यह एक पहचान पत्र जैसा है। अगर आप काम बदलने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य जाते हैं, तो आपकी सामाजिक सुरक्षा और पेंशन का फ़ायदा आपके साथ चलता रहेगा (seamless portability)।
OSH Code: सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता – काम की जगह पर सुरक्षा
यह कानून, पुराने 13 कानून को समायोजित करके बनाया गया है। इसके तहत प्राइवेट कर्मचारी और मजदूरों की सुरक्षा स्वास्थ्य और जहां पर वह काम करते हैं वहां पर सुरक्षा इत्यादि के बारे में प्रावधान किए गए हैं:-
1. मालिकों के लिए ज़रूरी नियम (Mandatory Rules):
- मालिक को अब workers को appointment letters (नियुक्ति पत्र) देना mandatory (अनिवार्य) कर दिया गया है।
- मालिक को हर साल workers की free annual health check-up (मुफ्त स्वास्थ्य जांच) करानी होगी।
2. महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा (Women Empowerment):
महिलाओं को अब सभी तरह के प्रतिष्ठानों (establishments) में काम करने का अधिकार दिया गया है।
महिलाएँ अपनी सहमति (consent) से रात में भी काम कर सकती हैं, लेकिन मालिक को उनकी सुरक्षा और सुविधाओं (adequate safety and facilities) का पूरा इंतज़ाम करना होगा।
मातृत्व अवकाश (Maternity Leave): सवैतनिक मातृत्व अवकाश को 12 हफ़्तों से बढ़ाकर 26 हफ़्ते कर दिया गया है।
Crèche Facility: जिन प्रतिष्ठानों में 50 या उससे ज़्यादा मज़दूर हैं, वहाँ मालिक को बच्चों के लिए क्रेच सुविधा (mandatory crèche facility) देना अनिवार्य है।
3. छुट्टी के नियम: पहले छुट्टी पाने के लिए 240 दिन काम करना पड़ता था। अब अगर किसी worker ने 180 दिन काम किया है, तो उसे हर 20 दिन के काम के लिए एक दिन की छुट्टी मिलेगी।
प्रवासी मज़दूरों (Inter-State Migrant Workers) के लिए विशेष लाभ
• पंजीकरण (Registration): प्रवासी मज़दूर अब national portal पर खुद को register (पंजीकृत) कर सकते हैं। इससे उन्हें कानूनी पहचान (legal identity) मिलेगी और वे सभी social security schemes का लाभ उठा पाएंगे।
• यात्रा भत्ता (Travel Allowance): मालिक को हर साल प्रवासी मज़दूरों को उनके गाँव (native place) तक आने-जाने के लिए travelling allowance (यात्रा भत्ता) देना होगा।
• राशन की सुविधा: "One Nation - One Ration Card" योजना के तहत, प्रवासी मज़दूर जिस राज्य में काम कर रहा है, वहाँ उसे राशन मिलेगा और उसके परिवार के बाकी सदस्य अपने घर वाले राज्य में राशन ले सकेंगे।
• शिकायत निवारण: हर राज्य में प्रवासी मज़दूरों की शिकायतें सुनने के लिए mandatory helpline facility (अनिवार्य हेल्पलाइन सुविधा) शुरू की गई है।
Industrial Relations (IR) Code: औद्योगिक संबंध संहिता – विवादों का समाधान
यह कानून, तीन पुराने कानून को समायोजित करके बनाया गया है। इसमें विवाद की स्थिति में किस प्रकार से निपटारा होगा, इसका प्रावधान तो किया ही गया है लेकिन यह व्यवस्था बनाने की कोशिश भी की गई है कि मालिकों और मजदूरों के बीच विवाद की स्थिति निर्मित ही ना हो।
1. बेरोज़गारी भत्ता (Unemployment Allowance): नौकरी छूटने पर (job loss), संगठित क्षेत्र के मज़दूरों को Atal Bimit Vyakti Kalyan Yojna के तहत सरकार से आर्थिक मदद (financial aid) (बेरोज़गारी भत्ता) मिलेगी।
2. Re-skilling के लिए पैसा: अगर किसी कारण से छंटनी (retrenchment) होती है, तो मज़दूरों को नए हुनर (skills) सीखने के लिए 15 दिन की मज़दूरी सीधे उनके बैंक खाते में दी जाएगी।
3. तेज़ न्याय (Faster Justice): Labour Tribunal (श्रम न्यायाधिकरण) में अब 2 सदस्य होंगे, जिससे मज़दूरों के मामले तेज़ी से हल होंगे। लक्ष्य है कि विवादों का समाधान एक साल के भीतर हो जाए।
उदाहरण: यदि किसी मज़दूर को लगता है कि उसके साथ अन्याय हुआ है और वह केस फाइल करता है, तो उसे न्याय के लिए सालों इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।
4. Trade Union को मान्यता: जिस Trade Union (मज़दूर संघ) को 51% वोट मिलेंगे, उसे ही मालिक के साथ बातचीत करने वाले एकमात्र संघ (sole negotiating union) के रूप में मान्यता मिलेगी।
5. हड़ताल का अधिकार: मज़दूरों के हड़ताल के अधिकार (right to strike) को कम नहीं किया गया है।
Simplicity and Technology
इन सुधारों का उद्देश्य प्रक्रियाओं को आसान बनाना भी है।
• सरल प्रक्रिया: व्यापार करने में आसानी (Ease of Doing Business) के लिए, मालिक को अब केवल Single Registration, Single License, और Single Statement/Return (एक ही फॉर्म) भरना होगा। इससे कागज़ी कार्रवाई (compliance) कम होगी।
• तकनीक का उपयोग: जाँच (inspection) का काम अब IT-enabled system और web-based random inspection system से किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता (transparency) और जवाबदेही (accountability) बनी रहे।
New Labour Code Summary of Key Points
• क़ानूनों का सरलीकरण: 29 पुराने केंद्रीय क़ानूनों को सिर्फ़ 4 Labour Codes में मिला दिया गया है, जिससे कागज़ी कार्रवाई और भ्रम कम होगा।
• न्यूनतम वेतन की गारंटी: देश के 50 करोड़ मज़दूरों (संगठित और असंगठित) को पहली बार Right to Minimum Wages (न्यूनतम वेतन का अधिकार) मिला है।
• समान अधिकार: महिला और पुरुष मज़दूरों को समान काम के लिए समान वेतन (Equal Remuneration) मिलेगा।
• सामाजिक सुरक्षा सबका हक: Gig and Platform Workers (जैसे डिलीवरी वाले), असंगठित और स्व-रोज़गार वाले सभी मज़दूरों को अब Social Security (पेंशन, बीमा) का लाभ मिलेगा।
• ESIC का विस्तार: मुफ्त इलाज की सुविधा देने वाला ESIC (बीमा) अब देश के सभी 740 ज़िलों तक बढ़ाया जा रहा है।
• UAN (खाता संख्या की पोर्टेबिलिटी): एक Aadhaar based Universal Account Number मिलेगा, जिससे आप कहीं भी काम करें, आपकी सुविधाएँ आपके साथ चलती रहेंगी।
• प्रवासी मज़दूरों को लाभ: प्रवासी मज़दूरों को राष्ट्रीय पोर्टल पर पंजीकरण, गाँव आने-जाने के लिए यात्रा भत्ता और "One Nation - One Ration Card" की सुविधा मिलेगी।
• महिलाओं की सुरक्षा: मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) 26 हफ़्ते का हो गया है, और 50 से अधिक मज़दूरों वाली जगह पर क्रैच सुविधा (crèche facility) ज़रूरी है। महिलाएँ अपनी सहमति से रात में भी काम कर सकती हैं, लेकिन मालिक को सुरक्षा देनी होगी।
• स्वास्थ्य जांच: मालिक द्वारा हर साल मुफ्त स्वास्थ्य जांच (free annual health check-up) कराना अनिवार्य है।
• नौकरी छूटने पर मदद: Unemployment Allowance (बेरोज़गारी भत्ता) और नए हुनर सीखने के लिए 15 दिन की मज़दूरी सीधे बैंक खाते में मिलेगी।
• Inspector Raj का अंत: इंस्पेक्टर अब सलाहकार और सहायक के रूप में काम करेंगे, और निरीक्षण (inspection) का काम तकनीक (technology) द्वारा होगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
• तेज़ न्याय: मज़दूरों के विवाद एक साल के भीतर निपटाने की कोशिश की जाएगी।
केंद्र सरकार का कहना है कि यह सुधार मज़दूरों को respect और सुरक्षा देने के साथ-साथ, मालिक और मज़दूरों के बीच के रिश्ते को systematic (व्यवस्थित) बनाने का प्रयास है।
New Labour Code: प्रमुख आलोचनाएँ और नकारात्मक प्रतिक्रियाएँ
नए श्रम संहिताओं (Labour Codes) को लेकर कानून विशेषज्ञों, मजदूर नेताओं और कर्मचारी संगठनों द्वारा नकारात्मक प्रतिक्रियाएं मुख्य रूप से इन्हें मजदूर-विरोधी, कॉर्पोरेट-समर्थक और मजदूर तथा प्राइवेट कर्मचारी के अधिकारों को कमजोर करने वाला बताया जा रहा है। यहां प्रमुख आलोचनाएं:
1. मजदूर अधिकारों का हनन और 'फायर एंड हायर' संस्कृति का बढ़ावा
एम ए बेबी (CPI(M) महासचिव, @MABABYCPIM): चारों संहिताओं को "ड्रेकोनियन" (क्रूर) बताते हुए कहा कि यह कामकाजी वर्ग के खिलाफ युद्ध की घोषणा है। आठ घंटे के कार्यदिवस, संगठन बनाने, सामूहिक सौदेबाजी और कल्याण राज्य के अधिकारों को पीछे धकेलने की साजिश है। बीजेपी सरकार बिहार चुनाव परिणामों को बहाना बनाकर कॉर्पोरेट मालिकों को खुश कर रही है। 26 नवंबर को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर विरोध की अपील की।
2. न्यूनतम मजदूरी, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा की कमी
जयराम रमेश (कांग्रेस सांसद, @Jairam_Ramesh): 29 पुराने कानूनों को 4 संहिताओं में पैक करके क्रांतिकारी सुधार का दावा झूठा है, क्योंकि नियम अभी अधिसूचित भी नहीं हुए। क्या ये मजदूरों की 5 बुनियादी मांगें पूरी करेंगी?
(1) राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये/दिन (मनरेगा सहित),
(2) 25 लाख का यूनिवर्सल स्वास्थ्य कवरेज,
(3) शहरी रोजगार गारंटी कानून,
(4) असंगठित मजदूरों के लिए व्यापक सामाजिक सुरक्षा (जीवन/दुर्घटना बीमा सहित),
(5) सरकारी कोर फंक्शन्स में कॉन्ट्रैक्टाइजेशन बंद।
मोदी सरकार को कर्नाटक (कांग्रेस) और राजस्थान (पूर्व सरकार) के गिग वर्कर कानूनों से सीखना चाहिए, जो इन संहिताओं से पहले बने।
3. ट्रेड यूनियनों की शक्ति कमजोर और एकतरफा लागू करना
- धिमंत भट्ट (वरिष्ठ पत्रकार, ट्रेड यूनियन विशेषज्ञ, @dhimantbhatt): ट्रेड यूनियनों का एकतरफा लागू करने पर विरोध; सामूहिक सौदेबाजी की शक्ति पर चिंता। विरोध प्रदर्शन की उम्मीद।
- डीटी नेक्स्ट (@dt_next, ट्रेड यूनियन रिपोर्ट): प्रमुख श्रमिक सुरक्षा कमजोर; स्टैंडिंग ऑर्डर थ्रेशोल्ड बढ़ा, लचीले काम के घंटे, सख्त हड़ताल नियम, गिग वर्कर्स के लिए खालीपन। करोड़ों मजदूर असुरक्षित।
4. उद्योग विशेषज्ञों की चिंता: छंटनी सुरक्षा का अभा
कमल करणथ (@Xpheno_), गेराल्ड मनोहरन (@JSALawIndia, कानूनी विशेषज्ञ), लोहित भाटिया (@Quess_Corp), ऋषि अग्रवाल (@TeamLease) इत्यादि ने केंद्र सरकार द्वारा संहिताओं को "क्रांतिकारी" बताने पर सवाल उठाते हुए कहा है कि छंटनी के खिलाफ कोई सुरक्षा का प्रावधान नहीं किया गया है।
निष्कर्ष: अब आपके सामने दोनों पक्ष उपस्थित हैं और आप अपने लाभ हानि का मूल्यांकन कर सकते हैं। कृपया इस जानकारी को 2-3 बार ध्यान से पढ़िए और आपके मन में उठ रहे सभी प्रश्नों के उत्तर खोजने का प्रयास कीजिए। इसके बाद सोशल मीडिया पर या किसी भी प्रकार की मीडिया पर अपने में विचार पोस्ट कीजिए, डिबेट में भाग लीजिए।
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