Karmachari Law: कर्मचारी को वेतन नहीं तो इंक्रीमेंट का अधिकार भी नहीं, हाईकोर्ट का फैसला

जबलपुर, 21 नवम्बर 2025
: भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय की याचिका पर सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक लैंडमार्क जजमेंट सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि सरकार की सेवा समाप्त कर दी गई थी और लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद सेवा बहाल हो गई है तो उसे वरिष्ठता का लाभ मिलेगा परंतु सेवा समाप्ति की अवधि का वेतन एवं इंक्रीमेंट नहीं दिया जाएगा। 

UNION OF INDIA THROUGH SECRETARY TO THE GOVT. OF INDIA MINISTRY OF TEXTILE Vs. SOHANLAL UPADHYAY MP

प्रतिवादी, सोहनलाल उपाध्याय, 26 जुलाई, 1985 से, केंद्र सरकार के कपड़ा मंत्रालय में एक लाइट मोटर वाहन ड्राइवर के रूप में दैनिक वेतन भोगी के तौर पर काम कर रहे थे। उन्हें शुरू में 120 दिनों के लिए ad-hoc आधार पर नियुक्त किया गया था। उनकी सेवा की आवश्यकता न होने के कारण, उन्हें 13 मार्च, 1997 से terminate (सेवा समाप्त) कर दिया गया था। सोहनलाल उपाध्याय ने इस termination order को लेबर कमिश्नर, जबलपुर के समक्ष चुनौती दी।

Labour Court ने 4 जून, 2010 को एक आदेश पारित किया, जिसमें विभाग को प्रतिवादी को termination की तारीख से बहाल करने का निर्देश दिया गया, लेकिन पिछला वेतन देने से मना कर दिया। कपड़ा मंत्रालय ने लेबर कोर्ट के इस आदेश को उच्च न्यायालय में याचिका संख्या 7203/2011 दायर करके चुनौती दी, जिसे 8 फरवरी, 2012 को खारिज कर दिया गया।

वेतन/इंक्रीमेंट का विवाद:

प्रतिवादी ने ड्यूटी जॉइन करने के बाद (जो कि 9 अक्टूबर, 2012 को हुआ), वेतन निर्धारण में सुधार की मांग करते हुए एक अभ्यावेदन दायर किया। प्रतिवादी ने मांग की कि उनका वेतन निर्धारण 26 जुलाई, 1985 से किया जाए, न कि उनकी नवीन जॉइनिंग डेट 9 अक्टूबर, 2012 से। विभाग ने इस दावे को खारिज कर दिया (order dated 08/05/2017)। इसका कारण यह था कि प्रतिवादी 14 मार्च, 1987 से 8 अक्टूबर, 2012 तक service (सेवा) से बाहर थे।

Central Administrative Tribunal (CAT) Order:

विभाग ने उन्हें वेतन वृद्धि का लाभ उनकी वास्तविक जॉइनिंग डेट (09/10/2012) से ही दिया।सोहनलाल ने इस denial (अस्वीकृति) को Central Administrative Tribunal (CAT) में चुनौती दी। CAT ने 5 जनवरी, 2023 को O.A. (Original Application) को allow कर दिया। CAT ने विभाग को निर्देश दिया कि वह प्रतिवादी के वेतन को re-fix करे और उन्हें उस अवधि के लिए one notional increment (एक सांकेतिक वेतन वृद्धि) प्रदान करे, जब वह out of service थे, और इसके बाद pay revision के बाद arrears (बकाया राशि) भी दे।

Challenge in High Court and Verdict

याचिकाकर्ता कपड़ा मंत्रालय ने CAT के इस आदेश को चुनौती देते हुए MP-1001/2024 दायर की। सरकारी वकीलों ने तर्क दिया कि CGIT (Central Government Industrial Tribunal) के original order में notional increment (सांकेतिक वेतन वृद्धि) देने का कोई विशिष्ट निर्देश नहीं था, इसलिए CAT ने इसे प्रदान करके गलती की। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय Andhra Pradesh State Road Transport Corporation vs. Abdul Kareem (2005) का हवाला दिया, जिसमें यह माना गया था कि जब कोई कर्मचारी service में नहीं था, तो वह उस अवधि के लिए notional increment का पात्र नहीं होगा।

सोहनलाल के वकील की दलील

प्रतिवादी के वकील ने Deepali Gundu vs. Kranti Junior Adhyapak Mahavidyalaya (2013) के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया। उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि CGIT ने termination order को रद्द कर दिया था और reinstatement का निर्देश दिया था (without back wages), इसलिए continuity of service को बनाए रखा जाना चाहिए, और प्रतिवादी increment पाने का हकदार है।

High Court's Finding

न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों पर विचार किया।
1. कोर्ट ने पाया कि Deepali Gundu (2013) मामले में यह निर्णय नहीं दिया गया था कि Abdul Kareem (2005) मामले को overrule (खारिज) कर दिया गया है।
2. न्यायालय ने Abdul Kareem मामले के सिद्धांत पर भरोसा किया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था: "In the absence of specific direction" (विशिष्ट निर्देश के अभाव में), केवल reinstatement (बहाली) के आधार पर कोई कर्मचारी notional increment का दावा नहीं कर सकता, भले ही उसे backwages न दिए गए हों।
3. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि यह असंगत होगा यदि एक कर्मचारी, जो लंबी अवधि के लिए duty पर नहीं था और जिसे उस अवधि का वेतन भी नहीं मिला, फिर भी उस दौरान increment अर्जित करता रहे।
4. Increment केवल तभी अर्जित किया जा सकता है जब एक कर्मचारी actually in service (वास्तव में सेवा में) हो, न कि notionally (सांकेतिक रूप से)।
5. CGIT द्वारा termination की तारीख से reinstatement का आदेश देने का अर्थ continuity of service (सेवा निरंतरता) केवल seniority (वरिष्ठता) और pension (पेंशन) के उद्देश्य से था, न कि backwages or increment के लिए, जब तक कि कोई specific direction न हो।

Final Order

उपरोक्त निर्णयों के आधार पर, उच्च न्यायालय ने यह निष्कर्ष निकाला कि CAT का आदेश कानूनी सिद्धांतों के विरुद्ध था।
• The petition is allowed (याचिका स्वीकार की जाती है)।
• The impugned order passed by the CAT (CAT द्वारा पारित विवादित आदेश) is set aside (रद्द किया जाता है)।
• The O.A. filed by the respondent (प्रतिवादी द्वारा दायर मूल आवेदन) is dismissed (खारिज किया जाता है)।
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