जीतू पटवारी जी, कौवा कान नहीं ले गया, किसानों को मिस गाइड मत कीजिए, कोई फर्क नहीं पड़ेगा

मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी सरकार के खिलाफ हल्ला मचाने के लिए इतने अधिक आतुर हैं कि, ठीक प्रकार से मुद्दे भी नहीं उठा पाते। कहीं कोई उनको बता देता है कि "कौवा कान ले गया" और वह कान चेक किए बिना, कौवे के पीछे दौड़ लगा देते हैं। आज भी ऐसा ही हुआ है। एक ऐसी चिट्ठी को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो मध्य प्रदेश के विकास के लिए उपयोगी है। किसानों को मिस गाइड कर रहे हैं जबकि किसानों के हितों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। 

जीतू पटवारी जी, मुख्यमंत्री के पत्र की तारीख तो देख लेते

आज दिनांक 3 नवंबर 2025 है, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री श्री प्रहलाद जोशी को दिनांक 24 सितंबर 2025 को लिखा गया पत्र वायरल किया है। इस पत्र में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने किसानों को किए जाने वाले भुगतान की समस्या के बारे में बताते हुए केंद्र सरकार से मदद मांगी है। यह किसानों के हित में लिखा गया पत्र है लेकिन पत्र लिखने के 41 दिन बाद श्री जीतू पटवारी किसानों को बता रहे हैं कि यदि केंद्र ने मध्य प्रदेश सरकार को मदद कर दी तो किसान बर्बाद हो जाएंगे। 

सवाल यह है कि:- 
  • पत्र के 41 दिन बाद, जब व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो रही है। इस प्रकार से भ्रम फैलाने की क्या आवश्यकता है। 
  • यदि केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश सरकार को मदद कर देती है, तो श्री जीतू पटवारी को क्या समस्या है। 
  • क्या श्री जीतू पटवारी प्रमाणित कर सकते हैं कि पत्र में मुख्यमंत्री ने गेहूं और धान खरीदने से इनकार कर दिया है। 
  • क्या श्री जीतू पटवारी, मध्य प्रदेश के किसानों को अनपढ़ मानते हैं। पत्र को संलग्न करते हुए लिख रहे हैं कि "सरकार ने गेहूं/धान की सरकारी खरीदी करने से हाथ खड़े कर दिए हैं"। जबकि पत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष एक भी शब्द नहीं लिखा है। 

मुख्यमंत्री के पत्र का निष्कर्ष क्या है

यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो मध्य प्रदेश के सभी राज्य अक्सर केंद्र सरकार के साथ पत्राचार के दौरान करते हैं। किसानों को भुगतान के लिए जो धनराशि केंद्र सरकार से प्राप्त होती है, उसका 25 प्रतिशत व्यवस्था की गड़बड़ी के कारण लंबे समय से अटका हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने पत्र लिखकर व्यवस्था को ठीक करने का निवेदन किया है। ऐसा करने से मध्य प्रदेश की सरकार को, किसानों को भुगतान करने के लिए हजारों करोड रुपए मिल जाएंगे। किसानों को अपनी फसल का भुगतान समय पर मिल जाएगा, देरी नहीं होगी। सरकार 72000 करोड़ रुपए का लोन चुका पाएगी। ब्याज का भुगतान नहीं करना पड़ेगा और उस रकम का उपयोग विकास कार्यों में किया जा सकेगा। 

जीतू पटवारी की प्रॉब्लम क्या है?

दरअसल, श्री जीतू पटवारी यह मान बैठे हैं कि, श्री कमलनाथ और श्री दिग्विजय सिंह की वृद्धावस्था के कारण और श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ देने के बाद वह कांग्रेस पार्टी के एकमात्र सीएम कैंडिडेट हैं। यदि राज्य सरकार विकास करेगी, कल्याणकारी योजनाओं का संचालन होता रहेगा, लाडली बहनों को हर महीने भुगतान होता रहेगा और हर साल इंक्रीमेंट भी होता रहेगा तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार नहीं बन पाएगी। इसलिए वह हमेशा ऐसे मुद्दे उठाते हैं जिसके कारण सरकार के संचालन में बाधा उत्पन्न हो जाए। क्योंकि यदि सरकार का संचालन गड़बड़ नहीं हुआ तो जनता नाराज नहीं होगी और जनता नाराज नहीं हुई तो उन्हें वोट कौन देगा। 

✔ ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के दौरान भी परीक्षा के नाम पर उपद्रव प्लान किया था, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रस्थान के समय में परिवर्तन करके कांग्रेस की पूरी साजिश पर पानी फिर दिया था। 

✔ 27% ओबीसी आरक्षण के मामले में भी लगातार अड़ंगा लगा रहे हैं। क्योंकि यदि सरकार ने पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण दे दिया, सुप्रीम कोर्ट के मामलों का समाधान हो गया, तो ओबीसी को भड़काने का मौका हाथ से चला जाएगा। 51% ओबीसी का वोट हाथ से चला जाएगा, जिसके बलबूते पर श्री जीतू पटवारी खुद को अगला मुख्यमंत्री मान रहे हैं। 

मध्य प्रदेश सरकार के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के मंत्री श्री गोविंद राजपूत ने बड़े ही स्पष्ट शब्दों में कहा नहीं है, सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं किया है बल्कि लेटर पैड पर लिखकर दिया है, गेहूं अथवा धान के उपार्जन में किसानों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा रजिस्ट्रेशन से लेकर खरीदी तक सब कुछ जैसा होता है बिल्कुल वैसा ही होगा। केवल एक अंतर आएगा, किसानों के भुगतान में जो देरी होती है, वह देरी नहीं होगी। 

जीतू पटवारी की बातों पर विश्वास करने से पहले यह जरूर जान लीजिए

श्री जीतू पटवारी इंदौर जिले की राऊ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं। जब मध्य प्रदेश में भाजपा की लहर थी तब भी श्री जीतू पटवारी अपनी विधानसभा से चुनाव जीते क्योंकि विधानसभा में वह स्वयं को कांग्रेस पार्टी का नेता नहीं, पार्टी की विचारधारा का पालन करने वाला कार्यकर्ता नहीं बल्कि पार्टी से अलग कैंडिडेट बताते हैं। "पार्टी गई तेल लेने" सबको याद है। फिर क्या कारण है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में जब मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के खिलाफ जबरदस्त माहौल बना हुआ था, तब श्री जीतू पटवारी चुनाव हार गए। हार-जीत का अंतर भी कम नहीं था, 35000 से अधिक था। 

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 2013 और 2018 में जिताने के बाद राऊ विधानसभा की जनता समझ गई थी, श्री जीतू पटवारी केवल REEL वाले नेता हैं। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं लेकिन जमीन पर काम नहीं करते। सोशल मीडिया पर वायरल होने के लिए खुद किसी के भी घर में चाहे जब घुस जाते हैं। लेकिन अपने आलीशान बंगले का दरवाजा पब्लिक के लिए कभी ओपन नहीं करते। राऊ विधानसभा में किसानों की निर्णायक संख्या है। 2019 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो किसानों को उम्मीद थी, जीतू पटवारी उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे, लेकिन श्री जीतू पटवारी ने समस्याओं पर बात तक नहीं की। 

जैसे 2019 में श्री जीतू पटवारी ने किसानों पर ध्यान नहीं दिया बिल्कुल वैसी ही 2023 में किसानों ने श्री जीतू पटवारी पर ध्यान नहीं दिया। नतीजा ट्रैक सूट पहनकर सोशल मीडिया पर साइकिल चलाता हुआ हैंडसम कैंडिडेट, 35000 से ज्यादा वोटो से चुनाव हार गया।

किसानों को पता है कि, जो नेता अपनी सरकार में अपनी विधानसभा के किसानों की समस्या सॉल्व नहीं कर सकता, वह मध्य प्रदेश के किसानों की समस्या कभी सॉल्व नहीं होने देगा। 

41 दिन पहले मुख्यमंत्री द्वारा लिखा गया पत्र 


श्री जीतू पटवारी द्वारा बेवजह हंगामा करने के बाद विभागीय मंत्री का लिखित बयान



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